Author – Premchand
ISBN – 9789350488317
Language – Hindi
Pages – 400
Weight | .404 kg |
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गलियाँ, तेरे संग यारा, कौन तुझे यूँ प्यार करेगा, मेरे रश्के-क़मर, मैं फिर भी तुमको चाहूँगा जैसे दर्ज़नों लोकप्रिय गीत लिखने वाले मनोज ‘मुंतशिर’, फिल्मों में शायरी और साहित्य की अलख जगाए रखने वाले चुनिंदा क़लमकारों में से एक हैं। वो दो बार IIFA अवार्ड, उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘यश भारती’, ‘दादा साहब फाल्के एक्सेलेन्स अवार्ड’, समेत फ़िल्म जगत के तीस से भी ज्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुके हैं। फ़िल्मी पण्डित और समालोचक एक स्वर में मानते हैं कि ‘बाहुबली’ को हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल फ़िल्म बनाने में, मनोज ‘मुंतशिर’ के लिखे हुए संवादों और गीतों का भरपूर योगदान है। रुपहले परदे पर राज कर रहे मनोज की जड़े अदब में हैं। देश-विदेश के लाखों युवाओं को शायरी की तरफ वापस मोड़ने में मनोज की भूमिका सराहनीय है। मेरी फितरत है मस्ताना… उनकी अन्दरूनी आवाज़ है। जो कुछ वो फ़िल्मों में नहीं लिख पाये, वो सब उनके पहले कविता संकलन में हाज़िर है।
नरेन्द्र कोहली
इस उपन्यास का नाम कुछ पौराणिक-सा लगता है किन्तु यह तनिक भी पौराणिक नहीं है। यह नरेन्द्र कोहली का पहला उपन्यास है, जो समकालीन है और विदेशी धरती पर लिखा गया है। विदेशी धरती ही नहीं, इसमें अनेक महाद्वीपों के लोगों के परस्पर गुँथे होने और एक नया संसार गढ़ने की कथा है। परिणामतः उनके हृदय में और परस्पर सम्बन्धों में अनेक विरोध भी हैं और अनेक विडम्बनाएँ भी। जहाँ इतिहास है, वहाँ उस ऐतिहासिक काल की कड़वाहट भी है, जिसे न आप भूल सकते हैं, न उसके कारणों को दूर कर सकते हैं। जहाँ वर्तमान है, वहाँ अपने मूल देश के प्रति प्रेम भी है और छिद्रान्वेषण भी। न स्वयं को अपने देश से असम्पृक्त कर सकते हैं और न उसको उसकी त्रुटियों के साथ स्वीकार कर सकते हैं। न देश के अपने हो पाये, न पराये। न उसे स्वीकार कर पाये, न अस्वीकार। इसके चरित्र व्यक्ति नहीं हैं, वे प्रवृत्तियाँ हैं, जो अभी स्थिर नहीं हो पायी हैं। वे परिवर्तन की चक्की में पिस रहे हैं और अपने वास्तविक रूप को जानने का प्रयत्न कर रहे हैं। अपने देश को स्मरण भी करते हैं और उसे भूल भी जाना चाहते हैं। जिनके प्रति प्रेम है, उन्हें भूलना चाहते हैं; और जिन्हें प्रेम नहीं करते, उन्हें अपनाना चाहते हैं। उनसे मिलना भी चाहते हैं और उनसे दूर भी रहना चाहते हैं। कुल मिलाकर यह परिवर्तन और नये निर्माण की कथा है। कहा नहीं जा सकता कि वह नया निर्माण कैसा होगा।
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