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Kashmiri Khilafat and Hindu Narsahar


पुस्तक ‘कश्मीरी खिलाफत और हिन्दू नरसंहार’, जम्मू-कश्मीर राज्य में 1339 से 1819, इस्लामिक शासन काल में हुए वृहद स्तर पर हिन्दू नरसंहार को रेखांकित करते हुए उसकी समीक्षा करती है। क्यूं, कैसे और कब-कब इस प्रक्रिया को मध्ययुग में 5 सदियों तक बार-बार दोहराया गया। नरसंहार के सभी आयामों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया। किस प्रकार इस्लामिक साम्राज्यवाद का दिल्ली सल्तनत काल का स्वरूप कश्मीरी सल्तनत काल से समानता रखता था। कैसे राजनीतिक इस्लाम का बर्बर एवं क्रूर रूप कश्मीरी हिन्दुओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी भयाकुल कर रहा था। कैसे हिन्दू नरसंहार धर्मान्तरण, हत्या, बलात्कार, दासत्व, जजिया कर, धर्मस्थल-विखण्डन, धर्मग्रंथ अग्निसात करने जैसे अनेक क्रियाओं द्वारा सम्पन्न हो रहा था। पुस्तक मध्ययुगीन हिन्दू नरसंहार और आधुनिक स्वतन्त्रा भारत में राजनैतिक इस्लाम के अलगाववादी चरित्रा से जनित हिन्दू नरसंहार का नवस्वरूप वर्णित करने का प्रयास करती है।पुस्तक कश्मीर के प्राचीन इतिहास के संक्षिप्त विवरण, इस्लाम के आगमन के कारण से लेकर अभी चल रही हिंसक इस्लामिक अलगाववादी प्रक्रिया को समझाने का प्रयास करती है। पुस्तक कश्मीर पर शीतयुद्ध के दौरान पश्चिमी देशों की नकारात्मक नीति पर प्रकाश डालती है। हिन्दू नरसंहार के विभिन्न रूपों का वर्णन करने के साथ-साथ कश्मीर में ‘दारुल-इस्लाम’ की स्थापना के कुचक्र की प्रक्रिया को भी समझाने का प्रयास करती है। धारा-370 का प्रयोग किस प्रकार हिन्दू नरसंहार एवं इस्लामिक अलगाववाद के लिए किया गया?

Rs.716.00 Rs.795.00

ISBN-13 : 9788170495383
Language : Hindi
Binding : Hard Bound
Publisher  : Manas Publications
Publishing Date : 2018
Total Pages : 315
Weight 0.610 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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