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Bhati Vansh Ka Gauravmay Itihas (Vols. 1-2)


भाटी वंश का गौरवमय इतिहास

राष्ट्रधर्मी यदुवंशी भाटी (वि.सं. 680/623 ई.) के वंशजों का राजस्थान में ही नहीं भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उत्तर-पश्चिम भारत की ओर एक के बाद एक अनेक राजधानियाँ स्थापित करने वाले भाटी शासकों ने विदेशी आक्रांताओं से प्रतिरोध कर जहां राष्ट्र की रक्षा करने के दायित्व का निर्वाह किया वहीं अपने क्षेत्र की भूमि को आबाद करने के साथ जन-जन की रक्षा करने और संस्कृति को बचाने में अपना बलिदान दिया। Bhati Vansh Gauravmay Itihas

श्री कृष्ण-वंशी भाटियों के इतिहास को पुराणों के सहारे धरातल से जोड़ा गया है और भटनेर, मारोठ, तन्नोट, देरावर, लोद्रवा जैसलमेर के भाटी शासकों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को आंकते हुए युद्ध अभियानों और रचनात्मक कार्यों पर प्रकाश डाला गया है। together with उनकी संतति से अंकुरित हुई शाखाओं के बारे में समुचित परिचय दिया है। additionally इतना ही नहीं पड़ौसी राज्यों के साथ सम्बन्ध, केन्द्रीय सत्ता (मुगल, अंग्रेज) के साथ हुए संधि-समझौतों, शासन प्रबंध, परगनां का गठन, आर्थिक-सामाजिक जीवन, भाटी ठिकाने व ठिकानेदारों की भूमिका, प्राचीन शाखाओं, प्रवासी भाटी आदि अनेक तथ्यों को प्राचीन ग्रन्थों एवं शोध यात्राओं से शिलालेखों की खोज कर इनके आधार पर प्रमाणित करने का प्रयास किया है।

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भाटी वंश का गौरवमय इतिहास
Author : Dr. Hukam Singh Bhati
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9789391446901
Publisher : Rajasthani Granthagar

Weight 3.200 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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