-15%
, , ,

Bhartiya Kala evam Sanskriti : Vividh Aayam


भारतीय कला एवं संस्कृति : विविध आयाम – प्रकृति को समस्त कलाओं की जननी माना गया है। प्रकृति की छटा देखकर और उसकी सृष्टि के रहस्यों को समझकर ही मानव कलाकार अपनी कला को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित हुआ है। समस्त मानवीय क्रियाएँ, ज्ञान-विज्ञान और कलाएँ इसी प्रकृति के सृष्टिकारक रहस्यों को समझने, उनका उपभोग करने और उन्हीं के आधार पर पुनः सृष्टि करने में ही प्रस्फुटित हुई हैं। प्रकृति के मूल में जो सृष्टिकारक शक्ति है वही मानव को आकृष्ट कर उसे भी सृजन-निमित्त प्रेरणा प्रदान करती है। मनुष्य ने आदि सृष्टि-कारक ब्रह्म की कल्पना की। कालान्तर में यही, ब्रह्म प्राप्ति एवं कला का लक्ष्य भी बनी। प्रकृति के रहस्यमय स्वरूप के कारण उसके अनेक प्रतीकात्मक अंकन हुए। संस्कृति जीवन को परिष्कृत करने की एक प्रक्रिया है। यह व्यक्ति के आचरण में निहित होती है। संस्कृति एक गत्यात्मक तथ्य है जो अपनी परम्परा की पृष्ठभूमि में विकसित होती है और युग और उसकी चेतना के अनुसार अपने स्वरूप को परिवर्तित करती है। भारतीय संस्कृति का शान्ति, अहिंसा एवं विश्व-बन्धुत्व का आदर्श आज युद्ध की विभिषिका से त्रस्त मानव के लिए आशा की एक किरण है। ऐसी परिस्थिति में इस महान् संस्कृति के स्वरूप और गौरवपूर्ण योगदान को भली प्रकार समझना नितान्त आवश्यक है। इसी उद्देश्य को लेकर लेखिका ने समय-समय पर अनेक संगोष्ठियों में भाग लेकर कला एवं संस्कृति के विविध आयामों पर शोध-पत्र वाचन किए, जो राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। ग्रन्थकार ने यथास्थान चित्रों द्वारा विषय को अधिक सुबोध, रोचक एवं उपयोगी बनाने की चेष्टा की है। पारिभाषिक शब्दों के देवनागरी रूपान्तर द्वारा विषय को अधिकाधिक बोधगम्य बनाने का भी प्रयास किया गया है।

Rs.1,270.00 Rs.1,500.00

भारतीय कला एवं संस्कृति : विविध आयाम
Author : Beena Jain
Language : Hindi
ISBN : 9789390179046
Edition : 2020
Publisher : RG Group

Weight 0.850 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

Based on 0 reviews

0.0 overall
0
0
0
0
0

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

There are no reviews yet.