अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Girnar ke Siddha Yogi
अनंत दास संघ शिविर में तथा संघ शिक्षा वर्ग में ‘बौद्धिक कक्ष’ में सेवारत होने के कारण संघ साधना के तपस्वी और ऋषितुल्य प्रचारकजी के संग रहे हैं। राष्ट्रभावना के संस्कार उनमें दृढ़ हो गए। महापुरुषों-तपस्वियों के जीवन चरित्रों का वाचन, लेखन, चिंतन और पूर्वाश्रम के संस्कारों के कारण भी वे कभी-कभी स्वयं का जूनागढ़ गिरनार के प्रति अतिशय आकर्षण होना बताते हैं। समय मिलते ही वे यदा-कदा गिरि-कंदराओं में जाकर साधु-संतों के संपर्क में रहते थे; वे गिरनार के प्रति गैबी-प्रेरणा का तीव्र आकर्षण बताते थे और सच ही सेवानिवृत्ति के बाद अनंत दादा ने गिरनार का पथ पकड़कर, गिरनार में निवास करने वाले श्रेष्ठ तपस्वियों, आदर्श साधु-संतों और आश्रमों में रहकर तप, साधना, विचार, वाचन, चिंतन, अनुभव एवं चमत्कारी अनुभूतियाँ प्राप्त की हैं। उनके परिणामस्वरूप और किसी गैबी शक्ति की प्रेरणा से ‘अमृत फल स्वरूप’, ‘गिरनार के सिद्ध योगी’ पुस्तक का सृजन हुआ है।
यथार्थ में, पुस्तक में ‘गिरनार’ के सूक्ष्म स्वरूप का दर्शन करवाकर सभी आध्यात्ममार्गियों की श्रद्धा को पुष्ट किया है और सद्गुरु चरित्र का सटीक वर्णन करके समाज में साधु-संतों की सुंदर पहचान करवाई है। यह पुस्तक लंबे समय तक अध्यात्ममार्गियों का मार्गदर्शन करती रहेगी, इसमें कोई शंका नहीं है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Gita Prashnottari
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताGita Prashnottari
“गीता’ वह ईश्वरीय वाणी है, जिसमें धर्म संवाद के माध्यम से—मैं कौन हूँ? यह देह क्या है? इस देह के साथ क्या मेरा आदि और अंत है? देह त्याग के पश्चात् क्या मेरा अस्तित्व रहेगा? यह अस्तित्व कहाँ और किस रूप में होगा? मेरे संसार में आने का क्या कारण है? मेरे देह त्यागने के बाद क्या होगा, कहाँ जाना होगा, इन सभी के प्रश्नों के उत्तर भगवान् श्रीकृष्ण ने बड़े सहज ढंग से दिए हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वभावगत कर्म में लगे रहने को ‘श्रेष्ठ योग’ कहा है। उनके अनुसार, कर्म अवश्यंभावी है। बिना कर्म के मुक्ति पाना तो दूर, मनुष्य बनना भी कठिन है। स्वाभाविक कर्म करते हुए बुद्धि का अनासक्त होना सरल है।
इस प्रकार, ‘गीता’ ज्ञान का भंडार है। इसमें सात सौ श्लोक और अठारह अध्याय हैं। इसके उपदेश को सरलता और सहजता से समझाने के लिए मैंने इसे अध्याय-दर- अध्याय प्रश्नोत्तरी फॉरमेट में प्रस्तुत किया है, ताकि बड़ों के साथ-साथ स्कूल- कॉलेज के विद्यार्थी भी क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से इसके संदेश को खेल-खेल में ही ग्रहण कर लें।”
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Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Gopi Geet (Darshanik Vivechan)
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गोपी गीत (दार्शनिक विवेचन)
सकलशास्त्रपारावारीण द्वादशदर्शनकाननपच्चानन निगमागमपारदृश्वा परब्रह्मïस्वरूप पूज्यपाद श्री स्वामी करपात्रीजी महाराज के गोपी-गीतविषयक प्रवचनों का संग्रह ‘गोपी-गीत’ सुधी सहृदय तथा भक्त पाठकों के लिए प्रकाशित कर हम अपने को अत्यन्त-कृतकृत्य मान रहे हैं। पूज्य चरणों का श्रीमद्भागवत पर असाधारण स्वाध्याय था। इस महान् ग्रन्थ के वे सभी कोने झाँक आये थे। उनकी असाधारण अद्वैतनिष्ठा एवं तदनुसारिणी प्रतिभा उनके भक्त-हृदय के अन्तरतम को कभी बोझिल नहीं कर सकी। भगवद्विषयक तीव्र विरहजन्य ताप की ज्वाला में तप्त होकर भगवान् की ही शरण में अन्तिम परम विश्राम पाने की इच्छा से समुद्भूत (जीवात्माओं की) प्राय: समस्त चेष्टïाओं को वे अपने प्रवचनों में भिन्न-भिन्न प्रकार के मनोहारी ढंगों से प्रस्तुत कर श्रोतृवृन्द के हृदय में सम्प्रयोग, विप्रयोग तथा उभयावस्था में भी रस का पोषण और उसकी सर्वथा स्वतन्त्रता (मोक्ष) को अत्यन्त सरल ढंग से स्थापित कर देते थे।SKU: n/a -
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Great Immortals
The book is a sequel to the author’s earlier book ‘Vedic Philosophy and Religion’. This volume contains the life story of personalities who were themselves divine, and were born with a mission in life, which they successfully completed.
The author has tried to make a beautiful garland of the life of the Immortals. Some of them belong to religions other than Hinduism, but have contributed to the culture and civilization of the sub-continent. The spiritual history has been woven through the chronology of persons and events and presented in a graphic manner.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Gyaneshwari Prasad
हम सभी भारतवासी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता जैसी श्रेष्ठ चिंतन-संपदा प्राप्त हुई है। हजारों वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश श्रोता-पाठक वर्ग को आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं। इस पवित्र ग्रंथ में प्रस्तुत किए गए चिंतन का विश्लेषण कर सुधीजनों हेतु उपलब्ध कराने का श्रेष्ठ कार्य अनेक महानुभावों ने अपनी-अपनी शैली से किया है। इस शृंखला में ज्ञानेश्वरी का अपना विशेष स्थान है। अत्यंत जटिल, कठिन चिंतन को अत्यंत सरल भाषा में, नित्य अनुभव में आनेवाले दृष्टांतों के साथ और तर्कशुद्ध पद्धति से संत ज्ञानेश्वर ने प्रस्तुत किया है। मुख्यतः ज्ञानेश्वरी और पू. स्वामी चिन्मयानंद के व्याख्यानों के संग्रह के आधार पर प्रस्तुत संकलन न विश्लेषण है, न समीक्षात्मक विवेचन। यह अनेकानेक महानुभावों द्वारा प्रस्तुत की गई संकल्पनाओं को, उन्हीं के शब्दों को सरलता से प्रस्तुति का एक प्रयास मात्र है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Hanumanji Ke Jeevan Ki Kahaniyan
हनुमानजी के जीवन की महागाथाओं को वैसे तो शब्दों में पिरोना लगभग असंभव ही है, क्योंकि उनकी वीरता की गाथाएँ पृथ्वी से लेकर आकाश और पाताल तक—तीनों लोकों में फैली हैं। उन्होंने ‘सब संभव है’ को अपने जीवन में चरितार्थ किया। भूख लगी तो सूर्य देवता को ही फल समझ उनकी ओर छलाँग लगा दी, तब देवराज इंद्र को अपना वज्र चलाकर उन्हें रोकना पड़ा। रावण की स्वर्ण लंका को उन्होंने जलाकर राख कर दिया और तीनों लोकों को दहलानेवाला रावण भी असहाय बना बैठा रहा। पाताल लोक में जाकर उन्होंने न केवल भगवान् श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया, वरन् वहाँ के दुष्ट राजा अहिरावण का वध भी किया। हनुमानजी भगवान् श्रीराम के परम भक्त हैं। उनकी भक्ति की शक्ति से ही वे स्वयं को शक्तिसंपन्न मानते हैं। उन्होंने यह सिद्ध करके दिखाया है कि अनन्य और समर्पित भक्ति से सबकुछ हासिल किया जा सकता है। राम-रावण युद्ध के दौरान वे एक केंद्रीय पात्र रहे और हर अवसर पर भगवान् राम के अटूट सहयोगी के रूप में सामने आए—चाहे वह लक्ष्मणजी को लगी शक्ति का विपरीत काल हो, चाहे नागपाश वाली घटना। हनुमानजी को सीता माता द्वारा अजर-अमर होने का वरदान प्राप्त है—अजर-अमर गुणनिधि सुत होऊ—वे त्रेता से लेकर द्वापर में भगवान् राम के श्रीकृष्ण अवतार में भी उनके सहयोगी बने और महाभारत संग्राम के दौरान अनेक बार उभरे। आज कलियुग में भी वे अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनकी मदद को दौडे़ चले आते हैं।
अपूर्व भक्ति, निष्ठा, समर्पण, साहस, पराक्रम और त्याग की कथाओं का ज्ञानपुंज है हनुमानजी का प्रेरक जीवन।SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Har-Har Mahadev Code: 1343
भगवान् शिव की लीलाएँ अनन्त हैं। इस पुस्तक में विभिन्न पुराणों के आधार पर भगवान् शिव के द्वारा सृष्टि, अर्धनारीश्वर शिव, सती-जन्म, तप तथा विवाह, सती का योगाग्नि में आत्मदाह, दक्षयज्ञ-विध्वंस, पार्वती-जन्म, तप, काम-दहन आदि चुनी हुई सत्रह लीलाओं का सचित्र चित्रण किया गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, उपन्यास
Hari Priya
हरि की प्रिया मीरा वर्षों पूर्व एक साधारण स्त्रा् से एक विशिष्ट महिला बन जाती है। सदियों से नारी कभी परदे में तो कभी बहुपत्नीत्व तो कभी पति प्रताड़ना तो कभी सास, ननद के विचारों तले दबी अपने अस्तित्व की खोज करती रही है। वो प्राणी है—उसे भी सामान्य रूप से जीवन की साँस लेने का अधिकार तो है, पर वंचित रह स्वयं को जीवित रखने हेतु भक्ति मार्ग ही सुरक्षित कवच होता है। संयम, नम्रता, बुद्धि व व्यवहार में स्त्रा् को पुरुष का सहयोग चाहिए, परंतु समाज को यह रास नहीं।
मीरा भी समाज से टक्कर ले स्वयं को कृष्ण प्रेम में समर्पित कर देती है। कृष्ण-प्रेम मीरा के लिए ढोंग नहीं, एक सुलझी भक्ति साधना है, जिसे गुरु ने शक्तिवान बनाया है। ऐसी ही नारी व प्राणी ईश्वर का प्रिय होता है, जो कर्म, धर्म व मन से ईश्वर में लीन होता है। निर्मल मन, दृढ़ निश्चय व संयम व्यक्ति को भक्ति में डुबो देता है। मीरा अद्भुत शक्तिसंपन्न स्वामीजी के मार्ग-सहयोग से स्वयं को सशक्त नारी बना इतिहास में उल्लेखनीय बनाती है।
कृष्णभक्त मीरा की समर्पित भक्ति का जयघोष करती पठनीय औपन्यासिक कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Hindu Devi-Devta
हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। हिंदू धर्मग्रंथों—वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि ने संपूर्ण मानव जाति को दिशा दिखाई है तथा जीवन में आदर्श और नैतिकता का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस उच्च धर्म के वाहक चौंसठ करोड़ देवी-देवता हैं। विद्या की देवी माँ सरस्वती हैं, धन-धान्य की देवी माँ लक्ष्मी हैं, शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा हैं। ब्रह्माजी जन्मदाता हैं, विष्णु पालक और शिवजी संहारक।
हिंदू धर्म उपासक अपनी श्रद्धा और भक्ति में सराबोर होकर अपने इष्ट देवी-देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। वही अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं, उनका कल्याण करते हैं।
इस ग्रंथ में विद्वान् लेखक ने हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख देवी-देवताओं के अलौकिक जीवन की झाँकी प्रस्तुत की है, जो श्रद्धा और भक्ति के आकाश को नया क्षितिज प्रदान करेगी। आस्था, विश्वास और समर्पण का भाव जगानेवाली पठनीय व मननीय कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनHindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen
भारतीय जनमानस में वैदिक धर्म का जो वर्तमान स्वरूप आजकल में देखने को मिलता है, उसे आज का तर्कशील और वैज्ञानिक दृष्टि रखनेवाला मानव अंधविश्वास, आस्था व रूढि़वाद की संज्ञा देता है। प्रायः देखा जाता है कि पढ़े-लिखे लोग, जो अपने आपको बुद्धिजीवी मानते हैं, अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों, मान्यताओं के वर्तमान स्वरूप की या तो उपेक्षा करते हैं या उन्हें अपने व्यंग्य और मनोरंजन का विषय बनाते हैं।
ऐसे अनेक लोगों का तो यह भी मानना है कि हमारी धार्मिक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार ही नहीं है। परंतु यह उनके अज्ञान का परिचायक है। वास्तव में हमारे धर्म का एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार है। जरूरत बस, उसके मूल और मर्म को समझने की है।
प्रस्तुत पुस्तक में सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति से जुड़ी मान्यताओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों एवं धर्म-कर्म के पीछे जो गहरा विज्ञान है, उसे बड़े ही सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। इसके अध्ययन से जन सामान्य का अंध-विश्वास दूर हो और वे तथा भावी पीढि़याँ अपनी मान्यताओं एवं धरोहर पर गर्व कर सकें, तो इस पुस्तक का लेखन-प्रकाशन सार्थक होगा।SKU: n/a -
Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hindu Shaddarshan [PB]
Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिHindu Shaddarshan [PB]
प्रख्यात महाग्रन्थ ‘जपसूत्रम्’ के प्रणेता महान् दार्शनिक, गणितज्ञ तथा मनीषी स्वामी प्रत्यगात्मानन्द प्रणीत ‘हिन्दू षड्दर्शन’ के भाषानुवाद का प्रस्तुतिकरण इस प्रसंग की सूक्ष्म विवेचना न होकर इसका दिशानिर्देश-मात्र है, जो सूत्ररूप से ग्रथित है। साथ ही षड्दर्शन का साररूप है। जो विशाल कलेवरयुक्त गूढ़ तत्त्व समावृत षड्दर्शन का समग्र अध्ययन नहीं कर सकते, तथापि इस विषय के प्रति जिज्ञासु हैं, उनके लिए यह ग्रन्थ एक पथ-प्रदीप के समान है। स्वनामधन्य ग्रन्थकार का पूर्वनाम था प्रमथनाथ मुखोपाध्याय, तत्पश्चात् संन्यासाश्रम में ये स्वामी प्रत्यगात्मानन्द सरस्वती के नाम से विख्यात हो गये। दर्शनशास्त्र का अध्यापक होने पर भी इन्होंने गणित तथा विज्ञान में उतनी ही दक्षता प्राप्त करके दीर्घकालपर्यन्त शिक्षण-कार्य भी किया था। कालान्तर में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार आयोजित विश्वतन्त्र सम्मेलन का इन्हें अध्यक्ष भी मनोनीत किया गया था। महान् विद्वान सर जॉन वुडरफ, महामहोपाध्याय डॉ० पं० गोपीनाथ कविराज भी इनके प्रति श्रद्धावान् थे। 96 वर्ष की आयु में दिनांक 20-10-1973 ई० को इन्होंने इस धराधाम का त्याग करके अनन्त की यात्रा का वरण किया था। यह ग्रन्थ केवल वागविलास न होकर इन मनीषी की गहन अनुभूति एवं चिन्तना पर आधारित होने के कारण अत्यन्त उपयोगी है। प्रत्यक्ष ज्ञानयुक्त है। अत: पठनीय है।
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Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu-Darshan
डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है।
हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu-Darshan (PB)
डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है।
हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a