Format:Hard Bound
ISBN:81-7055-264-8
Author:NARENDRA KOHLI
Pages:224
नरेन्द्र कोहली
Rs.300.00
Format:Hard Bound
ISBN:81-7055-264-8
Author:NARENDRA KOHLI
Pages:224
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‘लौह पुरुष’ के नाम से विख्यात सरदार पटेल को भारत के गृह मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर के संवेदनशील मामले को सुलझाने में कई गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उनका मानना था कि कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र में ले जाने से पहले ही इस मामले को भारत के हित में सुलझाया जा सकता था।
हैदराबाद रियासत के संबंध में सरदार पटले समझौते के लिए भी तैयार नहीं थे। बाद में लॉर्ड माउंटबेटन के आग्रह पर ही वह 20 नवंबर, 1947 को निजाम द्वारा बाह्य मामले तथा रक्षा एवं संचार मामले भारत सरकार को सौंपे जाने की बात पर सहमत हुए। हैदराबाद के भारत में विलय के प्रस्ताव को निजाम द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने पर अंततः वहाँ सैनिक अभियान का नेतृत्व करने के लिए सरदार पटेल ने जनरल जे.एन. चौधरी को नियुक्त करते हुए शीघ्रातिशीघ्र काररवाई पूरी करने का निर्देश दिया। अंततः 13 सितंबर, 1948 को भारतीय सैनिक हैदराबाद पहुँच गए और सप्ताह भर में ही हैदराबाद का भारत में विधिवत् विलय कर लिया गया।
प्रस्तुत पुस्तक में कश्मीर और हैदराबाद के भारत में विलय की राह में आई कठिनाइयों और उन्हें दूर करने में सरदार पटेल की अदम्य इच्छाशक्ति पर प्रामाणिक ढंग से प्रकाश डाला गया है।
हम चारदिवारी के अंदर सुख की जिंदगी जीते हैं, लेकिन सुख देने वाले कोई और नहीं हमारे देश के रक्षक पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल के लोग हैं, जो दिन-रात अपनी जान हथेली पर लेकर हमारी सुरक्षा का दायित्व उठाते हैं।इस उपन्यास में बस्तर (नक्सलवादी क्षेत्र) में कार्यरत सैन्य सेवा की दुविधाएं ,परेशानियां, जद्दोजहद और उनकी कर्तव्यनिष्ठा का जीवंत चित्रण है। पढ़ने की लालसा हर पृष्ठ की साथ बढ़ती ही जाती है।बस्तर एक ऐसी जगह है जहां बाहर से बहुत कम लोगों का आना जाना होता है, ऐसे में आप जब इस उपन्यास को पढ़ेंगे, तो वहां से संबंधित बहुत सारी जानकारियों से अवगत होंगे।
कमल जी ने बहुत ही सहज, सरल और रोचक भाषा में कहानी लिखी है। लेखक क्योंकि स्वयं पैरा मिलिट्री में अफसर हैं ,इसलिए अनुभव की प्रामाणिकता का कयास लगाया जा सकता है। बस्तर की माटी की खुशबू, पुलिस का कठिन जीवन, जान हथेली पर लेकर जंगल जंगल कई दिन लगातार पेट्रोलिंग करना आपको रोमांचित कर देगा।
THE AUTHOR
संदीप देव
संदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
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