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Akshaya Prakashan, English Books, इतिहास
A Hermeneutic Study Of Vacanamrtam
The text Vacanamrtam, a collection of dialogues contains a well-formulated vedanta. In Indian tradition,
Scripture is considered the primary source. Therefore, an extensive study of the text in hermeneutic perspective is undertaken.
The book is divided in six parts. Part one comprising three chapters gives an overview of
Hermeneutics from Western and Indian perspectives, and the text ‘Vacanamrtam’ in the
hermeneutic perspective. Part II covering two chapters gives a glimpse of the life story of
ƒri SwÈminÈrÈya‡a and the general history of GujarÈt. Part III comprises two chapters
meant for the general introduction of the text and of the compilers. Part IV covering five
chapters discusses various methods employed; and beauty of the prose of the text. Part V in
three chapters deals with the major topics – Epistemology, Ontology, Ethics and Religion.
Part VI comprises two chapters; one chapter with reference to Hermeneutics as an ongoing
process covers a comparative reading of different traditions, and in the concluding chapter,
I offer my personal observations.SKU: n/a -
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A History of Kashmir
Parvz Dewan can send you to sleep about Kashmr. If anyone has the Ultimate Dossier on this region, it is he, after years of running about India’s northernmost state, administering and adventuring his way around its valleys, peaks and rivers. Along the way he discovered that Kashmr’s ancient tradition of fine miniature painting had continued unbroken till the early twentieth century. He also trekked with the chief of a tribe of shepherds to discover an ancient cave temple. Above all, Parvez immersed himself in the Valley’s legendary Kashmriyat (Kashmriness). In this first-of-its-kind three-volume set on Jammu, Kashmir and Ladakh, one on each region, Parvez Dewan has tried to bring alive the past of the fabled land that has been the arena of his adult life: an up-to-date yet timeless history of the magical trinity of Jammu, Kashmir and Ladakh that crowns the sub-continent of India.
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English Books, Harper Collins, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
A Life in the Shadows : A Memoir
No Indian spymaster has, until now, written a memoir. A.S. Dulat is the first to do so, and in A Life in the Shadows he does it with considerable elan.
He is one of India’s most successful spymasters, his name synonymous with the Kashmir issue. His methods of engagement and accommodation with all people and perspectives from India’s most conflicted state are legendary. The author of two bestselling books, Kashmir: The Vajpayee Years (2014) and The Spy Chronicles: R&AW, ISI and the Illusion of Peace (2018), Dulat’s views on India, Pakistan and Kashmir are well-known and sought after.
Yet very little is known about him, primarily because the former spymaster has been notoriously private about his personal life. In this unusual and unique memoir, Dulat breaks that silence for the first time. This is not a traditional, linear narrative as much as a selection of stories from across space and time. Still bound by the rules of secrecy of his trade, he tells a fascinating story of a life richly lived and insightfully observed. From a Partition-bloodied childhood in Lahore and New Delhi to his early years as a young intelligence officer; from meetings with international spymasters to travels around the world; from his observations on Kashmir-political and personal-post the abrogation of Article 370, to his encounters with world leaders, politicians and celebrities; moving from Bhopal to Nepal and from Kashmir to China, Dulat tells the story of his life with remarkable honesty, verve and wit.
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Hindi Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A Nation on Fire: Hinduism Under Siege
This book is on the subject that few know or have the courage to know. Hinduism, the life and breath of a ten million old civilization is under threat not only from external threat, but also from insidious anti-nationalism and subversive elements within.
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
A set of 26 books by Mahatma Anand Swami
इस सैट में सम्मिलित है-प्यारा ऋषि, अमृत पान, आनन्द गायत्री कथा, भगवान शंकर और दयानन्द, वैदिक सत्यनारायण कथा, उपनिषदों का सन्देश, मानव और मानवता, यह धन किसका है, दो रास्ते, तत्त्वज्ञान, प्रभु भक्ति, सुखी गृहस्थ, एक ही रास्ता, मानव जीवन गाथा, भक्त और भगवान, घोर घने जंगल में, प्रभु मिलन की राह, बोध कथाएँ, दंुनिया में रहना किस तरह, प्रभु दर्शन, महामन्त्र, त्यागमयी देवियाँ, माँ(गायत्री मन्त्र की महिमा), यज्ञ-प्रसाद, हरिद्वार का प्रसाद, महात्मा आनन्द स्वमी(जीवनी)
इन 26 पुस्तकों में स्वामी जी की आनन्द रस धारा का रसास्वादन कीजिए एवं सुख-सन्तोष दूसरों को भी बाँटिये।
सात पुस्तकें अंग्रेजी में भी उपलब्ध।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
A set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
-10%Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिA set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
भारतीय संस्कृति या वैदिक वाङ्गमय से सम्बन्ध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति छः दर्शनों या षड्दर्शन के नाम से परिचित होता ही है। चंूकि ये दर्शन वेद को प्रमाणिक मानते हैं, इसलिए इन्हें वैदिक दर्शन भी कहा जाता है।
ये छः दर्शन हैं-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदान्त। छः दर्शनों से अभिप्राय छः महर्षियों द्वारा लिखे गए सूत्र ग्रन्थों से है। (महर्षि गौतम के न्याय सूत्र, महर्षि कणाद के वैशेषिक सूत्र, महर्षि कपिल के सांख्य सूत्र, महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, महर्षि जैमिनि के मीमांसा सूत्र और महर्षि व्यास के वेदान्त सूत्र) बाद में इन्हीं सूत्र ग्रन्थों पर विद्वानों द्वारा विभिन्न भाष्य, टीकाएँ व व्याख्याएं लिखी गई।
परन्तु ऐसा भाष्य अपेक्षित था, जो विवेचनात्मक होने के साथ-साथ दर्षन के रहस्यों को सुन्दर, सरल भाषा में उपस्थित कर सके। आचार्यप्रवर पं. श्री उदयवीरजी शास्त्री दर्शनों के मर्मज्ञ विद्वान् थे। छः दर्शनों का विद्योदय भाष्य आचार्य जी के दीर्घकालीन चिन्तन-मनन का परिणाम है। इन भाष्यों के माध्यम से उन्होंने दर्षनसूत्रों के सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक पक्ष को विद्वज्जनों तथा अन्य जिज्ञासुओं तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है।
मूलसूत्रों में आये पदों को उनके सन्दर्भगत अर्थों से जंचाकर की गई यह व्याख्या दर्षनविद्या के क्षेत्र में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इन भाष्यों के अध्ययन से अनेक सूत्रों के गूढार्थ को जानकर दर्षन जैसे क्लिष्ट विषय को आसानी से समझा जा सकता है। आचार्य जी द्वारा प्रस्तुत इन भाष्यों की यह विशेषता है कि यह शास्त्रसम्मत होने के साथ-साथ विज्ञानपरक भी हैं।SKU: n/a -
English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A Spy’s Journey: A CIA MEMOIR
BOOK SUMMARY OF A SPY’S JOURNEY: A CIA MEMOIR In March 1967, Floyd Paseman joined the Central Intelligence Agency following successful service as an army officer in Germany. Stationed i the Far East, where he became fluent in Chinese language and culture, and then in Germany, at what was largely considered the agency’s toughest Cold War field posting, he quicly rose from field spy to division chief and became a fixture in the top ranks of the Operations Directorate of the CIA. About Author : Floyed L. Paseman retired from the Central Intelligence Agency in January 2001 after a 35 years career in operations.
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Aadhunik Bharat ka Itihas
आधुनिक भारत का इतिहास (1740 ई. से 1950 ई. तक) : आधुनिक भारत का इतिहास, अत्यंत रोचक, पठनीय एवं प्रेरणादायक हैं। यह इतिहास उस समय से आरम्भ होता है, जब मुगलों का समस्त वैभव धूल-धूसरित होकर केवल लाल किले तक सीमित रह जाता है और मराठों के हाथों की कठपुतली बनकर अंतिम सांसें गिनने लगता है। इस युग में होने वाले अफगान आक्रमणों के हाथों, मराठों की भी कमर टूट जाती है और वे बिखरने लगते हैं। इस काल में पूरा देश हिन्दुओं, मराठों और मुस्लिम रियासतों में विभक्त होकर एक दूसरे के विनाश के लिये भयानक रक्तपात करता हुआ दिखाई देता है। ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत की इस दुर्दशा का लाभ उठाती है और तेजी से पसरती हुईं पहले मद्रास, फिर बंगाल और इलाहबाद और अंत में दिल्ली तक जा पहुंचती है। 1857ई. में भारत अपनी खोई हुई स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास करता है किंतु ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश ताज के अधीन हो जाता है। लगभग तीन दशकों बाद ही भारत अपनी मुक्ति के लिये पुनः आंदोलन करता है। यह आंदोलन 1947ई. में तब तक चलता रहता है, जब तक कि भारत दासता की बेड़ियां पूरी तरह काट नहीं डालता। इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित यह इतिहास भारत के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
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Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
-10%Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
आठवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत में जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा अन्य अनेक सम्प्रदायों और मत-मतान्तरों का बोलबाला था। जैन धर्म की अपेक्षा बौद्ध धर्म अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ। जैन धर्म को खुलकर चुनौती दी। जैन धर्म भी वैदिक धर्म का कम विरोधी नहीं था। बौद्ध और जैन धर्मों के अतिरिक्त सातवीं-आठवीं शताब्दी में अन्य धार्मिक सम्प्रदाय भी प्रचलित हो गए थे। उनमें भागवत, कपिल, लोकायतिक (चार्वाक), काणाडी, पौराणिक, ऐश्वर, कारणिक, कारंधमिन (धातुवादी), सप्ततान्त्व (मीमांसक), शाब्दिक (वैयाकरण), पांचेरात्रिक प्रमुख थे। ये सभी सम्प्रदाय वेद-विरोधक और श्रुति-निन्दक थे। ऐसी विषम और भयावह स्थिति में धार्मिक जगत में किसी ऐसे उत्कट त्यागी, निस्पृह, वीतराग, धुरंधर विद्वान, तपोनिष्ठ, उदार, सर्वगुण-संपन्न अवतारी पुरुष की महान आवश्यकता थी जो धर्म की विशृंखलित कड़ियों को एकाकार करके उसे सुदृढ़ बनाता और धर्म का वास्तविक स्वरूप सबके सम्मुख प्रस्तुत करता। मध्वाचार्य ने शंकराचार्य के अवतार का वर्णन विस्तार के साथ किया है। उसका सारांश इस प्रकार है—”भगवती भूदेवी और समस्त देवताओं ने जगत-सृष्टा ब्रह्मा के साथ कैलाश पर्वत पर जाकर पिनाकपाणी आशुतोष भगवान शंकर की आर्त्त वाणी में करबद्ध स्तुति की। तब भगवान शंकर उन लोगों के सम्मुख अत्यन्त तेजस्वी रूप में प्रकट हुए और उन्हें इस प्रकार आश्वासन दिया—‘हे देवगण, मैं समस्त घटनाओं से भली-भाँति विज्ञ हूँ। अतः मैं मनुष्य का रूप धारण कर आप लोगों की मनोकामना पूर्ण करूँगा। दुष्टाचार विनाश के लिए तथा धर्म के स्थापन के लिए, ब्रह्मसूत्र के तात्पर्य निर्णायक भाष्य की रचना कर, अज्ञानमूलक द्वैतरूपी अन्धकार को दूर करने के लिए मध्यकालीन सूर्य की भाँति चार शिष्यों के साथ चार भुजाओं से युक्त विष्णु के समान इस भूतल पर यतियों में श्रेष्ठ शंकर नाम से अवतरित होऊँगा। मेरे समान ही आप लोग भी मनुष्य-शरीर धारण कर मेरे कार्य में हाथ बँटाइए।’ इतना कहकर और देवताओं को अन्य आवश्यक निर्देश देकर भगवान शंकर अन्तर्धान हो गए!” आचार्य शंकर का भारतीय दार्शनिकों में अप्रतिम स्थान है। पाश्चात्य दार्शनिक भी उन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं और उनकी प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हैं। उनके बाल्यकाल से देहलीला सँवरण तक की घटनाएँ चमत्कारिक एवं दैवी शक्ति से परिपूर्ण हैं। इसलिए उन्हें भगवान आशुतोष शंकर का अवतार माना जाता है। उन्होंने वैदिक धर्म का पुनरुद्धार किया और उसके वास्तविक स्वरूप को सही अर्थ में समझाने की चेष्टा की। इस महान प्रयास में उन्हें तत्कालीन धर्मों और सम्प्रदायों से लोहा लेना पड़ा। शैवों, शाक्तों, वैष्णवों, बौद्धों, जैनों एवं कापालिकों आदि से शास्त्रार्थ करना पड़ा। अपनी असाधारण प्रतिभा और अकाट्य तर्कों द्वारा उन्हें पराजित किया। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में चार शंकराचार्य को अभिषिक्त कर भारतीय वैदिक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का उत्तरदायित्व उन्हें सौंपा। उन्होंने शैवों, शाक्तों एवं वैष्णवों को एक सूत्र में बाँधा। इससे वैदिक धर्म अत्यन्त शक्तिशाली हो गया। मात्र बत्तीस वर्ष की अल्पायु में उन्होंने अद्वितीय आश्चर्यजनक कार्य किए।
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Hindi Books, Rajkamal Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
-10%Hindi Books, Rajkamal Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
अपने अनुयायियों को मृत और आचार्य शंकर के शिष्यों और भक्तों को सुरक्षित देखकर क्रकच क्रोध से आगबबूला हो गया। उसी अवस्था में वह यतीन्द्र शंकर के समक्ष उपस्थित होकर कहने लगा, ‘‘हे नास्तिक, अब मेरी शक्ति का प्रभाव देखो। तुमने तो दुष्कर्म किये हैं, उनका फल भोगो।’’ इतना कहकर वह हाथ में मनुष्य की खोपड़ी लेकर आँख मूँदकर ध्यानमुद्रा में खड़ा हो गया। वह भैरव-तंत्र का प्रकाण्ड पंडित था। उसकी इस क्रिया के प्रभाव से रिक्त खोपड़ी मदिरा से भर गई। उसने आधी पी ली और पुनः ध्यानमुद्रा में स्थित हुआ। इतने में ही क्रकच के सम्मुख नरमुण्डों की माला पहने, हाथ में त्रिशूल लिये, विकट अट्टहास और गर्जन करते हुए, आग की लपट के समान लाल-लाल जटावाले महाकापाली भैरव प्रकट हो गये।
क्रकच ने अपने इष्टदेव को देखकर प्रसन्न भाव से प्रार्थना की, ‘‘हे भगवन्, आपके भक्तों से द्रोह रखने वाले इस शंकर को अपनी दृष्टिमात्र से भस्म कर दीजिए।’’ क्रकच की प्रार्थना सुनकर महाकापाली ने उत्तर दिया, ‘‘अरे दुष्ट, शंकर तो मेरे अवतार हैं। इनका वध करके, क्या मैं अपना ही वध करूँ? क्या तुम मेरे शरीर से द्रोह करते हो?’’ ऐसा कहकर भैरव महाकापाली ने क्रोध से क्रकच का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।SKU: n/a -
Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Aadi, Ant Aur Aarambha
अकसर कहा जाता है कि बीसवीं शती में जितनी बड़ी संख्या में लोगों को अपना देश, घर-बार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेना पड़ा, शायद किसी और शती में नहीं। किन्तु इससे बड़ी त्रासदी शायद यह है कि जब मनुष्य अपना घर छोड़े बिना निर्वासित हो जाता है, अपने ही घर में शरणार्थी की तरह रहने के लिए अभिशप्त हो जाता है। आधुनिक जीवन की सबसे भयानक, असहनीय और अक्षम्य देन ‘आत्म-उन्मूलन’ का बोध है। अजीब बात यह है कि यह चरमावस्था, जो अपने में काफी ‘एबनॉर्मल’ है, आज हम भारतीयों की सामान्य अवस्था बन गयी है। आत्म-उन्मूलन का त्रास अब ‘त्रास’ भी नहीं रहा, वह हमारे जीवन का अभ्यास बन चुका है। ऊपर की बीमारियाँ दिखाई देती हैं, किन्तु जो कीड़ा हमारे अस्तित्व की जड़ से चिपका है, जिससे समस्त व्याधियों का जन्म होता है- आत्म-शून्यता का अन्धकार- उसे शब्द देने के लिए हमें जब-तब किसी सर्जक-चिन्तक की आवश्यकता पड़ती रही है। हमारे समय के मूर्धन्य रचनाकार निर्मल वर्मा अकसर हर कठिन समय में एक सजग, अर्थवान् हस्तक्षेप करते रहे हैं। अलग-अलग अवसरों पर लिखे गये इस पुस्तक के अधिकांश निबन्ध- भले ही उनके विषय कुछ भी क्यों न हों- आत्म-उन्मूलन में इस ‘अन्धकार’ को चिद्दित करते रहे हैं। एक तरह से यह पुस्तक निर्मल वर्मा की सामाजिक-सांस्कृतिक चिन्ताओं का ऐतिहासिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करती है।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aaj Bhi Khare Hain Talab
आज भी खरे हैं तालाब : विश्वभर में बुद्धिजीव निरन्तर दोहरा रहे हैं कि तृतीय विश्वयुद्ध पानी के कारण होगा। राजस्थान में वर्षा का औसत अन्य क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है इसलिए जल-संग्रहण के अनेक उपाय परम्परागत रूप से किये जा रहे हैं। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ के लेखक अनुपम मिश्र ने गहराई से राजस्थान के परम्परागत जल संग्रहण के उपायों का विवेचन किया है। प्रस्तुत ग्रंथ में राजस्थान के विभिन्न तालाबों का शोधपरक विवरण प्रस्तुत किया है। अनुपम मिश्र के लेखन की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि उन्होंने सुदूर अंचलों में स्थित तालाबों का सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनकी समस्त विशेषताओं को प्रकट करते हुए रोचक शैली में विवरण प्रस्तुत किया है। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ की सार्थकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक अल्प अवधि में ही इसकी लगभग एक लाख प्रतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। निःसंदेह राजस्थान के जल स्रोतों से संबंधित यह पुस्तक इस दिशा में शोध करने वाले विषयों के साथ ही जल-संग्रहण संबंधी चेतना जागृत करने वालों के लिए भी अत्यन्त ही उपयोगी एवं लाभप्रद सिद्ध होगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Aankhan Dekhi Bihar Andolan
एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है।
हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी?
प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।SKU: n/a -
Osho Media International, ओशो साहित्य
AANKHON DEKHI SANCH
एक ज्ञान बाहर है, एक प्रकाश बाहर है। अगर आपको गणित सीखनी है, केमिस्ट्री सीखनी है, फिजिक्स सीखनी है, इंजीनियरिंग सीखनी है, तो आप किसी स्कूल में भरती होंगे, किताब पढ़ेंगे, परीक्षाएं होंगी और सीख लेंगे। यह लर्निंग है; नॉलेज नहीं। यह सीखना है; ज्ञान नहीं। विज्ञान सीखा जाता है, विज्ञान का कोई ज्ञान नहीं होता। लेकिन धर्म सीखा नहीं जाता, उसका ज्ञान होता है। उसकी लर्निंग नहीं होती, उसकी नॉलेज होती है। एक प्रकाश बाहर है, जिसे सीखना होता है; एक प्रकाश भीतर है, जिसे उघाड़ना होता है, जिसे डिस्कवर करना होता है। ओशो
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Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books, Yoga and Pranayam, ध्यान, योग व तंत्र, बाल साहित्य
Aao Seekhe Yog Class 5 (Marathi)
Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books, Yoga and Pranayam, ध्यान, योग व तंत्र, बाल साहित्यAao Seekhe Yog Class 5 (Marathi)
It is a textbook based on yogic education for students of Class 5. Yogic knowledge presented here is as per the physical and mental level of students in this age-group. Its purpose is to familiarise children to various yogic practices with the development of the ability to control mental impulses such as anger and jealousy. This in turn will enable them to gracefully subsist duties towards their own self, family, society and nation and grow up to become a moral and responsible human being. This series of book is available in multiple regional languages.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Aapaatnama
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के जख्म बड़े गहरे हैं। ‘आपातनामा’ उस काली रात की दास्तान है, जिसने उन्नीस महीने तक प्रजातंत्र के सूर्य को उगने ही नहीं दिया। सत्ता का नशा कैसे भ्रष्ट व्यक्तियों को जन्म देता है, यह ‘आपातनामा’ उपन्यास के कथानक से झलकता है। कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नौकरशाहों और नेताओं के पास बंदी बना ली गई थी। कैसे न्यायपालिका को कार्यपालिका के हाथों की कठपुतली बनाकर नचाया जा रहा था। देश में किस प्रकार से अराजक तत्त्व मनमानी करने लगे थे और किस प्रकार से तानाशाही को खुलकर खेलने का अवसर मिल रहा था, यह सब इस कथानक के मूल मुद्दे हैं।
‘आपातनामा’ में आपातकाल की हकीकत को बड़ी ही संजीदगी से मर्मस्पर्शी शैली में अभिव्यक्त किया गया है।
सरकार के मौखिक आदेश लोगों पर इस कदर कहर बरसा रहे थे कि कुछ लोग अंग्रेजों के दमनचक्र से भी अधिक खौफनाक दौर से गुजरने लगे थे।
सरकार की अमानुषिक एवं आतंकित कर देनेवाली गतिविधियों से बेबस, समझौतापरस्त, उदासीन जनता को लेखक ने विद्रोह-चेतना का हथौड़ा मारकर जगाया है, जिसे वह क्रांति का लघुदर्शन मानता है, ताकि संसदीय प्रजातंत्र का मजाक न बन सके, अभिव्यक्ति की आजादी कुंठित न हो और व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें।SKU: n/a