Author- Swami Akshya Atmanand
ISBN – 9789351866244
Language – Hindi
Pages – 168
Swami Akshya Atmanand
Rs.212.00 Rs.250.00
Author- Swami Akshya Atmanand
ISBN – 9789351866244
Language – Hindi
Pages – 168
Weight | 0.230 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
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रामेश्वरम में पैदा हुए एक बालक से लेकर भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति बनने तक का डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन असाधारण संकल्प शक्ति, साहस, लगन और श्रेष्ठता की चाह की प्रेरणाप्रद कहानी है। छोटी कहानियों और पार्श्व चित्रों की इस शृंखला में डॉ. कलाम अपने अतीत के छोटे-बड़े महत्त्वपूर्ण पलों को याद करते हैं और पाठकों को बताते हैं कि उन पलों ने उन्हें किस तरह प्रेरित किया। उनके प्रारंभिक जीवन पर गहरी छाप छोड़ने वाले लोगों और तदनंतर संपर्क में आए व्यक्तियों के बारे में वे उत्साह और प्रेम के साथ बताते हैं। वे अपने पिता और ईश्वर के प्रति उनके गहरे प्रेम, माता और उनकी सहृदयता, दयालुता, उनके विचारों और दृष्टिकोणों को आकार देनेवाले अपने गुरुओं समेत सर्वाधिक निकट रहे लोगों के बारे में भी उन्होंने बड़ी आत्मीयता से बताया है। बंगाल की खाड़ी के पास स्थित छोटे से गाँव में बिताए बचपन के बारे में तथा वैज्ञानिक बनने, फिर देश का राष्ट्रपति बनने तक के सफर में आई बाधाओं, संघर्ष, उनपर विजय पाने आदि अनेक तेजस्वी बातें उन्होंने बताई हैं।
‘मेरी जीवन-यात्रा’ अतीत की यादों से भरी, बेहद निजी अनुभवों की ईमानदार कहानी है, जो जितनी असाधारण है, उतनी ही अधिक प्रेरक, आनंददायक और उत्साह से भर देनेवाली है।
आभार
मेरी जीवन-यात्रा घटनाओं से भरे जीवन का विवरण है। मेरे मित्र हैरी शेरिडॉन करीब बाईस वर्षों से मेरे साथ रहे हैं और अनेक घटनाओं के भागीदार बने हैं। उन्होंने मेरे साथ सुख और दुःख, दोनों झेले हैं। शेरिडॉन हर तरह के उतार-चढ़ावों में मेरे साथ रहे हैं और जब कभी मुझे जरूरत पड़ी, उन्होंने मेरी पूरी-पूरी सहायता की। ईश्वर उन्हें और उनके परिवार को सदैव सुखी रखे। मैं सुदेषणाशोम घोष को भी धन्यवाद देना चाहूँगा, जो पुस्तक की परिकल्पना से लेकर उसे आकार देने तक मेरे साथ रहीं। पुस्तक प्रकाशित होने तक वे धैर्य के साथ निरंतर मुझसे जुड़ी रहीं। मैं उनके प्रयासों को नमन करता हूँ।
संसार में यह एक प्रेरक शक्ति है। मनुष्य जैसें -जैसें उन्नत्ति करता जायेगा, वैसें वैसें विवेक और प्रेम उसके जीवन में आदर्श बनते जायेंगे। भक्ति को अपना सर्वोच्च आदर्श बनाना चाहिए तथा संसार और इंद्रियों से धीरे धीरे अपना रास्ता बनाते हुए हमें ईश्वर तक पहुचना है अथार्थ् भक्ति, भक्त और भगवान तीनों एक है।
‘हिंदुत्व’ एक ऐसा शब्द है, जो संपूर्ण मानवजाति के लिए आज भी अपूर्व स्फूर्ति तथा चैतन्य का स्रोत बना हुआ है। इस शब्द से संबद्ध विचार, महान् ध्येय, रीति-रिवाज तथा भावनाएँ कितनी विविध तथा श्रेष्ठ हैं। ‘हिंदुत्व’ कोई सामान्य शब्द नहीं है। यह एक परंपरा है। एक इतिहास है। यह इतिहास केवल धार्मिक अथवा आध्यात्मिक इतिहास नहीं है। अनेक बार ‘हिंदुत्व’ शब्द को उसी के समान किसी अन्य शब्द के समतुल्य मानकर बड़ी भूल की जाती है। वैसे यह इतिहास मात्र नहीं है, वरन् एक सर्वसंग्रही इतिहास है। ‘हिंदू धर्म’, यह शब्द ‘हिंदुत्व’ से ही उपजा उसी का एक रूप है, उसी का एक अंश है।
‘हिंदुत्व’ शब्द में एक राष्ट्र, हिंदूजाति के अस्तित्व तथा पराक्रम के सम्मिलित होने का बोध होता है। इसीलिए ‘हिंदुत्व’ शब्द का निश्चित आशय ज्ञात करने के लिए पहले हम लोगों को यह समझना आवश्यक है कि ‘हिंदू’ किसे कहते हैं। इस शब्द ने लाखों लोगों के मानस को किस प्रकार प्रभावित किया है तथा समाज के उत्तमोत्तम पुरुषों ने, शूर तथा साहसी वीरों ने इसी नाम के लिए अपनी भक्तिपूर्ण निष्ठा क्यों अर्पित की, इसका रहस्य ज्ञात करना भी आवश्यक है।
प्रखर राष्ट्रचिंतक एवं ध्येयनिष्ठ क्रांतिधर्मा वीर सावरकर की लेखनी से निःसृत ‘हिंदुत्व’ को संपूर्णता में परिभाषित करती अत्यंत चिंतनपरक एवं पठनीय पुस्तक।
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