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Sandhya Yog Brahm-Shakshatkar


इस ग्रन्थ में यह प्रमाणित किया है कि योग की पूर्ण और प्रामाणिक पद्धति ही ‘अष्टांग योग‘ है, जिसमें आठों अंगो का यथावत् अनुष्ठान करने से महर्षि पातंजलि की प्रतिज्ञानुसार उपासक के अन्तःकरण की अपवित्रता नष्ट होने पर ज्ञान की दीप्ति लगातार बढ़ती ही चली जाती है। जब तक ‘आत्मसाक्षात्कार‘ नहीं हो जाता है। योग में ‘ज्ञान‘ व ‘कर्म‘ दोनों को मिलाकर चलने से उक्त फल प्राप्त होता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रत्येक मन्त्रगत रहस्य को रंगीन चित्रों के द्वारा व्याख्या सहित दर्षाया गया है, पाठकगण इस बात को स्मरण रखें कि जब साधारण लौकिक ज्ञान के स्नातक केा बी.ए. तक का प्रमाणपत्र लेने में 14 वर्ष लग जाते हैं, तब इस आन्तरिक-गुहा-रहस्यपूर्ण सूक्ष्मतम आध्यात्मिक विद्या की प्राप्ति व इसमें निष्णात बनने में 20 वर्ष लगकर भी यदि कुषलता मिल जाये तो इसे मंहगा नहीं अपितु सस्ता ही समझना चाहिये।
संसार में पदार्थों का मूल्यांकन केवल रुपये पैसे से ही नहीं होता यह ‘आध्यात्मिक जीवन‘ तो ‘अमूल्य‘ है, वह सदा अमूल्य रहा है। इसी दृष्टि को समक्ष रखते हुए यदि आस्तिक जन ‘सन्ध्या योग‘ का अध्ययन करेंगे तो इसे अमूल्य ही पायेंगे। प्रस्तुत ग्रन्थ अति मंहगे समय में प्रकाषित हुआ है, फिर भी इसका मूल्य यथासाध्य न्यूनतम रखने का प्रयत्न किया गया है।

Rs.300.00

Author:Brahmchari Jagannath Pathik
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 978-81-7077-136-0
BINDING : Hardback
EDITION : 2010
PAGES : 276
WEIGHT : 750 gm

Weight 0.760 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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