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Saagar Swar


‘‘आदमी सागर की सतह तक तो पहुंच गया है लेकिन अभी तक मानव मस्तिष्क की गहरी सतह तक नहीं पहुंच पाया है और न ही उसे पूरी तरह से समझ पाया है। शायद आज तक लोगों के बीच जो आपसी रिश्ते कायम हैं, वह इसलिए कि हम एक-दूसरे के अंदर के मन की बात को नहीं जान पाते। वर्षों साथ रहने के बाद भी शायद दो लोग एक-दूसरे को पूरी तरह से जान नहीं पाते। इसी बात को सोचते-सोचते मेरे मन में यह प्रश्न उठा कि यदि कोई ऐसी मशीन बन जाए जिससे सबके मस्तिष्क पारदर्शी हो जाएं, तो क्या होगा? मुझे जवाब मिला कि शायद मानव सभ्यता ढह जाएगी। यहीं से शुरू हुई मेरे उपन्यास की शुरुआत…’’-प्रतिभा राय जब एक संवेदनशील नारी का विवाह एक ऐसे वैज्ञानिक से होता है जो हर मनुष्य को केवल एक मशीन ही समझता है, हृदय की भावनाएँ उसके लिए कोई मायने नहीं रखतीं तब नारी के कोमल मन पर क्या बीतती है, इसी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है यह उपन्यास। वैज्ञानिक ‘ब्रेनोविश्जॅन’ का अन्वेषण करता है जिससे कि हरेक व्यक्ति के दिमाग में जो बात चल रही है, उसको सब देख सकते हैं। इससे उसकी पत्नी के साथ रिश्ते और खुद पर उसका क्या असर होता है? जानिए इस उपन्यास में।

Rs.275.00

Saagar Swar | सागर स्वर

Pratibha Rai

Weight .250 kg
Dimensions 8.66 × 5.57 × 1.57 in

AUTHOR :Pratibha Rai
PUBLISHER : Rajpal and Sons
LANGUAGE : Hindi
ISBN :9789350640784
BINDING : (HB)
PAGES : 204

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