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Rathoron ki Kuldevi Shri Nagnechiyan Mata


राठौड़़ों की कुलदेवी श्री नागणेचियाँ माता : दो शब्द भारत में शक्ति की उपासना प्राचीनकाल से ही अनवरत चली आरही है। अभिलेखीय प्रमाणों से शक्ति की उपासना के अनगिनत प्रमाण मिलते है। मध्यकाल में, जीवन में युद्व और भय का वातावरण बना रहने से सूरवीर शक्ति के अवतार दुर्गा को अपनी आराध्या मानते थे। युद्व के समय योद्वा ‘जय माताजी’ का उद्घोष्ष किया करते थे। वैदिक युग से ही शक्तिपुजा का बड़ा महत्व रहा है। शक्ति के विविध अवतारों की पुजा-अर्चना का उल्लेख महाभारत काल में ही मिलता है। मूलतः बल और बुद्वि-प्रदाता के रूप में शक्ति की उपासना युगो-युगों से होती आई है और आज भी शकित के विविध रूपों की आराधना कर मनुष्ष्य अपने मनोवांछित फल प्राप्त करने की चेष्ष्टा करता रहा है। यह सर्वविदित है कि प्रत्येक कुल या जाति की एक कुलदेवी होती है, जो उस कुल-जाति की रक्षा करती है। राठौड़ वंश में कुलदेवी के रूप में नागणेचियां माताजी पूजित है। परम्परा से पूर्व में राठेश्वरी, चक्रेश्वरी, पंखिणी आदि नामों से राठौड़ों द्वारा पूजी जाती रही है।

Rs.60.00

Rathoron ki Kuldevi Shri Nagnechiyan Mata

राठौड़़ों की कुलदेवी श्री नागणेचियाँ माता

Weight .80 kg
Dimensions 8.66 × 5.57 × 1.57 in

Author : Bhawani Singh Patawat (भवानी सिंह पातावत)
Language : Hindi
ISBN : 9789385593031
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP

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