Pawan Putra | पवनपुत्र
Bhagwatisharan Mishra| भगवतीशरण मिश्र
देश में महाबली हनुमान के मंदिर बिखरे पड़े हैं और सभी भारतीय ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ भी करते हैं परन्तु कितने हैं जो उनके जीवन तथा इतिहास से ज़रा भी परिचित हैं? यह उपन्यास उनके जीवन को बहुत विस्तार से प्रस्तुत करता है और इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जो हनुमानजी के सम्बन्ध में किसी भी धर्मग्रन्थ में लिखा गया है। अपने विषय का अकेला आदि से अन्त तक पठनीय उपन्यास।
Rs.435.00
Pawan Putra | पवनपुत्र
Bhagwatisharan Mishra| भगवतीशरण मिश्र
Weight | .400 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Bhagwatisharan Mishra
PUBLISHER : Rajpal and Sons
LANGUAGE : Hindi
ISBN :9788170285663
BINDING : (HB)
PAGES : 360
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पुराणों की कथाएँ भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद, पुराण, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है। पुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है, परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है, ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है, वही पुराण है। वैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं, परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इस प्रकार, विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।.
अभ्युदय – 1
‘अभ्युदय’ रामकथा पर आधृत हिन्दी का पहला और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। ‘दीक्षा’, ‘अवसर’, ‘संघर्ष की ओर’ तथा ‘युद्ध’ के अनेक सजिल्द, अजिल्द तथा पॉकेटबुक संस्करण प्रकाशित होकर अपनी महत्ता एवं लोकप्रियता प्रमाणित कर चुके हैं। महत्वपूर्ण पत्र पत्रिकाओं में इसका धारावाहिक प्रकाशन हुआ है। उड़िया, कन्नड़, मलयालम, नेपाली, मराठी तथा अंग्रेज़ी में इसके विभिन्न खण्डों के अनुवाद प्रकाशित होकर प्रशंसा पा चुके हैं। इसके विभिन्न प्रसंगों के नाट्य रूपान्तर मंच पर अपनी क्षमता प्रदर्शित कर चुके हैं तथा परम्परागत रामलीला मण्डलियाँ इसकी ओर आकृष्ट हो रही हैं। यह प्राचीनता तथा नवीनता का अद्भुत संगम है। इसे पढ़कर आप अनुभव करेंगे कि आप पहली बार एक ऐसी रामकथा पढ़ रहे हैं, जो सामयिक, लौकिक, तर्कसंगत तथा प्रासंगिक है। यह किसी अपरिचित और अद्भुत देश तथा काल की कथा नहीं है। यह इसी लोक और काल की, आपके जीवन से सम्बन्धित समस्याओं पर केन्द्रित एक ऐसी कथा है, जो सार्वकालिक और शाश्वत है और प्रत्येक युग के व्यक्ति का इसके साथ पूर्ण तादात्म्य होता है।
‘अभ्युदय’ प्रख्यात कथा पर आधृत अवश्य है; किन्तु यह सर्वथा मौलिक उपन्यास है, जिसमें न कुछ अलौकिक है, न अतिप्राकृतिक। यह आपके जीवन और समाज का दर्पण है। पिछले पच्चीस वर्षों में इस कृति ने भारतीय साहित्य में अपना जो स्थान बनाया है, हमें पूर्ण विश्वास है कि वह क्रमशः स्फीत होता जाएगा, और बहुत शीघ्र ही ‘अभ्युदय’ कालजयी क्लासिक के रूप में अपना वास्तविक महत्त्व तथा गौरव प्राप्त कर लेगा।
‘मनुस्मृति’ सामाजिक व्यवस्था, विधि, न्याय एवं प्रशासन-तंत्र पर विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, जो विद्वान् महर्षि मनु द्वारा संस्कृत की पद्यात्मक शैली (श्लोकों) में लिऌा गई है। इस ग्रंथ में मनु ने तत्कालीन समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं मनुष्य के स्वभाव का अति सूक्ष्म परिवेक्षण कर मानव-समाज को सुव्यवस्थित, सुऌखी, स्वस्थ, संपन्न, वैभवशाली एवं सुरक्षित बनाने हेतु विविध नियमों का प्रावधान किया है, ताकि नारी व पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग, विद्वान् व अनपढ़, स्वस्थ व विकलांग, संपन्न व गरीब, सभी सऌमान एवं प्रतिष्ठा के साथ रह सकें तथा समाज और देश की चतुर्मुऌा उन्नति में अपना प्रशंसनीय योगदान करने में सफल हों।
मनुस्मृति किसी धर्म विशेष की पुस्तक नहीं है। यह वास्तव में मानव-धर्म की पुस्तक है तथा समाज की तत्कालीन स्थिति से परिचित कराती है। समाज की सुव्यवस्था हेतु मनुष्यों के लिए जो नियम अथवा अध्यादेश उपयुत समझे, मनु ने इस मानव-धर्म ग्रंथ में उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवाधिकारों के संरक्षण पर अनेक श्लोक हैं। मनुस्मृति में व्यतियों द्वारा प्राप्त ज्ञान, उनकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार उनके कर्म निर्धारित किए गए हैं तथा कर्मानुसार ही प्रत्येक व्यति के अधिकारों, कर्तव्यों, उारदायित्वों एवं आचरणों के बारे में स्पष्ट मत व अध्यादेश अंकित हैं।
सरल-सुबोध भाषा में समर्थ-सशत-समरस समाज का मार्ग प्रशस्त करनेवाला ज्ञान-संपन्न ग्रंथ।
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