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Jayee Rajguru: Khurda Vidhroh ke Apratim Krantikari (PB)


प्रखर देशभक्ति, अटूट विश्वास और अदम्य साहस उनके चरित्र की पहचान थी। वे कभी मृत्यु से नहीं डरे और अपने जीवन को उन्होंने मातृभूमि को भेंट कर दिया था। उनकी मृत्यु अमरता की ओर एक कदम था। वे कोई और नहीं, शहीद जयकृष्ण महापात्र उपाख्य जयी राजगुरु हैं, जो ओडिशा में खोर्र्धा राज्य के राजा के राजगुरु थे, जिन्होंने सन् 1804 में इतिहास को बदलने का साहस किया। यह उल्लेखनीय है कि खोर्र्धा भारत के अंतिम स्वतंत्र क्षेत्र ओडिशा का तटीय राज्य था, जो 1803 में अंग्रेजों के हाथों में आया था। तब तक शेष भारत पहले ही ब्रिटिश शासन के अधीन आ चुका था। संयोग से अगले वर्ष, यानी 1804 में ओडिशा के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, जो ओडिशा में ‘पाइक विद्रोह’ की शुरुआत थी। खोर्र्धा विद्रोह-1804 के नाम से ख्यात यह विद्रोह वास्तव में कई मायनों में एक जन-विद्रोह का रूप ले चुका था। भारतीय स्वतंत्रता के इस प्रारंभिक युद्ध के नायक जयकृष्ण महापात्र थे, जो कि शहीद जयी राजगुरु (1739-1806) के रूप में अधिक लोकप्रिय हुए। इस महान् जननेता और स्वतंत्रता सेनानी का जीवन निस्स्वार्थ बलिदान, अदम्य साहस और अप्रतिम देशभक्ति की गाथा है, जिसे सन् 1806 में अंग्रेजों द्वारा किए गए क्रूर कृत्य के साथ समाप्त कर दिया गया। उनका शानदार नेतृत्व, तीक्ष्ण कूटनीति और राज्य का सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन के लिए उनका योगदान राष्ट्रीय इतिहास में प्रेरक है। यह दुर्भाग्य है कि राष्ट्र की स्मृति में उन्हें उचित स्थान प्राप्त नहीं हुआ है।
—श्रीदेब नंदा, अध्यक्ष, शहीद जयी राजगुरु न्यास

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THE AUTHOR

Bijay Chandra Rath
डॉ. बिजय चंद्र रथ ने सन् 1976 में उत्कल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने के बाद ओडिशा शिक्षा सेवा में योगदान दिया। तत्पश्चात् कलकत्ता विश्वविद्यालय से उच्चत्तर गवेषणा के लिए पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। ओडिशा के विभिन्न सरकारी महाविद्यालयों में अध्यापन करने के साथ ही अन्यान्य प्रशासनिक पदों पर नियुक्त होकर अपनी दक्षता को प्रतिपादित करते हुए सेवानिवृत्त हुए। वह सिर्फ एक प्रबुद्ध शिक्षक और दक्ष प्रशासक ही नहीं थे, बल्कि मौलिक गवेषणा के क्षेत्र में भी उनका अवदान अविस्मरणीय है। उनके द्वारा रचित गवेषणात्मक पुस्तकों ने ओडिशा के इतिहास को नया दिग्दर्शन देने के साथ ही विपुल पाठक समुदाय विकसित किया है।

Weight .260 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

Author : Bijay Chandra Rath
Publisher : Prabhat Prakashan
Language : Hindi
ISBN : 9789353229252
Binding : (PB)
Edition : 2020
Pages : 136

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