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HINDUTVA KI YATRA (PB)


‘हिन्दुत्व की यात्रा’ नाम से ही पुस्तक का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट हो जाता है। प्रस्तुत पुस्तक द्वारा विद्वान लेखक ने आदिकाल से आरम्भ कर अब तक के आर्य-हिन्दू की जीवन मीमांसा का विशद वर्णन किया है। न केवल इतना, अपितु उन्होंने तथाकथित पाश्चात्य पण्डितों ने भारतीय मानस-पुत्रों, उनकी धारणाओं एवं मान्यताओं का निवारण एवं निराकरण भी किया है जो आर्य-हिन्दू को यहां का मूल निवासी नहीं मानते।

Rs.80.00

हिन्दुत्व का अभिप्राय है—हिन्दुस्तान देश के रहने वालों का आचार-विचार; केवल आज के युग के रहने वालों का ही नहीं, वरन् आदिकाल से इस भूखण्ड पर रहने वालों का आचार-विचार।

संशय यह किया जाता है कि आजकल के रहने वालों का आचार-विचार वह नहीं रहा हो आज से दो-तीन सहस्र वर्ष पूर्व निवासियों का था। आदिकाल की तो बात ही दूसरी है।

Weight .280 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1 in

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