Author – Jaidev
ISBN – 9789390101429
Language – Hindi
Pages – 160
Author – Jaidev
ISBN – 9789390101429
Language – Hindi
Pages – 160
Weight | .172 kg |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय, भारतीय काल गणना, भारतीय इतिहास, आर्यों की वर्ण व्यवस्था, सूर्य वंश, सोमवंश, चन्द्रवंश, महाभारत की युगीन जनपद, राजपूतों की उत्पत्ति, कछवाहा, राठौड़, गुहिलोत, चौहान, देवड़ा, प्रतिहार, कुमार (कमाष) जेठवा राजवंश, निंकुभ राजवंश, हुल राजवंश, चालुक्य (सोलंकी) राजवंश, तोमर राजवंश, तंवर, गोहिल, गुर्जर, कलचूरी, राष्ट्रकूट, परमार, चावड़ा, यादव, यौधय, मकवाना, शिलाहार, चन्देल, गौड़, कटोच, राजपूत, मुस्लिम राजपूत एवं अन्य राजवंश आदि के राजवंश, राज्य एवं खांपें और ठिकाने, भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन, ब्रिटिशकाल, स्वतंत्र भारत में राजपूत जाति का संगठन, आन्दोलन एवं योगदान, विभिन्न क्षेत्रों में राजपूतों को राजनैतिक योगदान एवं विश्वविख्यात व्यक्तित्व, राजपूतों के विवाह सम्बंध एवं गोत्र प्रवरादि संस्कार, लोकदेवता तंवर शिरोमणि बाबा रामदेव जी का वंशक्रम आदि और भी बहुत कुछ…
अथर्ववेद की मधु अभीप्सा गहरी है। यह सम्पूर्ण विश्व को मधुमय बनाना चाहती है। सारी दुनिया में मधु अभिलाषा का ऐसा ग्रन्थ नहीं है। कवि अथर्वा वनस्पतियों में भी माधुर्य देखते हैं। कहते हैं, “हमारे सामने ऊपर चढ़ने वाली एकलता है। इसका नाम मधुक है। यह मधुरता के साथ पैदा हुई है। हम इसे मधुरता के साथ खोदते हैं। कहते हैं कि आप स्वभाव से ही मधुरता सम्पन्न हैं। हमें भी मधुर बनायें।” स्वभाव की मधुरता वाणी में भी प्रकट होती है। प्रार्थना है कि हमारी जिह्वा के मूल व अग्र भाग में मधुरता रहे। आप हमारे मन, शरीर व कर्म में विद्यमान रहें। हम माधुर्य सम्पन्न बने रहें। यहाँ तक प्रत्यक्ष स्वयं के लिए मधुप्यास है। आगे कहते हैं, “हमारा निकट जाना मधुर हो। दूर की यात्रा मधुर हो। वाणी में मधु हो। हमको सबकी प्रीति मिले।” जीवन की प्रत्येक गतिविधि में मधुरता की कामना अथर्ववेद का सन्देश है।
There are no reviews yet.