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Ganga Gyan Sagar in four volumes


पूज्य. प० गंगाप्रसाद जी उपाध्याय के साहित्य, लेखों तथा व्याख्यानों को संग्रहीत व सम्पादित करके हमने ‘गंगा ज्ञान सागर‘ नामक ग्रंथमाला (चार भागों मंे) के नाम से धर्मप्रेमी स्वाध्यायशील जनता के सामने श्रद्धा-भक्ति से भेंट किया। आर्यसमाज के इतिहास में यह सबसे बड़ी और सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थमाला है। यह इस ग्रन्थमाला का तृतीय संस्करण है। देश की प्रादेशिक भाषाओं में भी इसका पूरा व आंशिक अनुवाद निरन्तर छपता जा रहा है।
हमने अपने विद्यार्थी जीवन में ही उपाध्याय जी के लेखों, ट्रैक्टों व पुस्तकों को सुरक्षित करने का यज्ञ आरम्भ कर दिया। योजनाबद्ध ढंग से उर्दू, अंग्रेजी में प्रकाशित लेखों पुस्तकों का अनुवाद अत्यन्त श्रद्धा-भक्ति से किया। एक ही विषय पर लिखे गये मौलिक लेखों व तर्कों का मिलान करके आवश्यक, ज्ञानवर्द्धक व पठनीय पाद टिप्पणयाँ देकर इस ग्रन्थ माला की गरिमा बढ़ाने के लिये बहुत लम्बे समय तक हमने श्रम किया। यह ज्ञान राशि पूज्य उपाध्याय जी के 65 वर्ष की सतत् साधना व तपस्या का फल है।
गंगा-ज्ञान सागर के प्रत्येक भाग को इस प्रकार से संग्रहीत व सम्पादित किया गया है कि प्रत्येकभाग अपने आप में एक ‘पूर्ण ग्रन्थ‘ है। हमारे सामने एक योजना थी कि प्रत्येक भाग में सब मूलभूत वैदिक सिद्धान्त आ जायें, यह इस ग्रन्थ माला की सबसे बड़ी विषेषता है। संगठन व इतिहास विषय में भी बहुत सामग्री दी है। बड़े-बड़े विद्वानों व युवा पीढ़ी द्वारा प्रशंसित इस ग्रन्थ माला में क्या नहीं है? बहुत सी सामग्री जो सर्वत्र लोप या अप्राप्य हो चुकी थी-हमने अपने भण्डार से निकाल कर साहित्य पिता का स्मरण करवा दिया है। इतनी सूक्तियाँ व वचन सुधा किसी ग्रन्थ माला में नहीं देखी होंगी। अजय जी को सहयोग करके आर्य जन धर्मलाभ प्राप्त करें। ऋषि ऋण चुका कर यश के भागीदार बनें। -प्रा. राजेन्द्र ‘जिज्ञासु‘

Rs.2,000.00

गंगा ज्ञान सागर (चार भागों में)

AUTHOR : Pandit Ganga Prasad Upadhyaya
EDITOR : Pradhyapak Rajendra Jigyasu

Weight 4.100 kg
Dimensions 9.10 × 7.8 × 2.5 in

AUTHOR : Pandit Ganga Prasad Upadhyaya
EDITOR : Pradhyapak Rajendra Jigyasu
PUBLISHER : Govindram Hasanand
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9788170772552
BINDING : Hardback
EDITION : 2018
PAGES : 2054
SIZE : 25cms x 19cms
WEIGHT : 4000 gm

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