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गाँधी वध और मैं | Gandhi Vadh Aur Main


नाथूराम गोडसे

साहित्य दृष्टी से ‘गांधी-वध और मैं’ जीवनी,आत्मकथा तथा संस्मरण विधाओं का संगम हैं। गांधी वध करनेवाले वधक श्रद्धेय नाथूराम गोडसे का जीवन चरित है।लेखक की अपनी आत्म-कथा है।गांधी-वध से संबंधित तथा जेल-जीवन के संस्मरन हैं।इतिहास की दृष्टि से यह पुस्तक कांग्रेस,गांधी और भारत-विभाजन का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करती हैं इतिहास की सच्चाई को प्रकट करती हैं।भारत में प्रचारित झूठे तथा मनगढंत तथ्यों को उजागर करती हैं।

“गांधी-वध और मैं” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के भाई और इस षड्यंत्र में शामिल तथा उसके लिए कारावास भोगने वाले गोपाल गोडसे की कलम से उनका पक्ष प्रस्तुत करने वाली पुस्तक है। यह नाथूराम गोडसे की जीवनी भी है, गोपाल गोडसे की आत्मकथा भी है और साथ ही उनके संस्मरण भी। गांधीजी की हत्या से जुड़ी तमाम रोमांचक बातें इस पुस्तक में दी गई हैं, जिन्हें पढ़कर गांधीजी से घृणा भी की जा सकती है और इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि…प्रार्थना के लिए जाते समय गोडसे की तीन गोलियों ने गांधीजी को नहीं रोका…बल्कि गांधीजी ने ही उन तीन गोलियों को रोका, ताकि वे और न फैलें, किसी और पर न पड़ें और घृणा का उसी क्षण अंत हो जाए!

Rs.200.00

महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे संभवत: देश का सबसे विवादास्पद चरित्र है। इस व्यवहार को लेकर देश भी दो खेमों में बंटा हुआ है। कुछ लोग उन्हें देशद्रोही मानते हैं तो कुछ लोग उन्हें देश का सच्चा सिपाही मानकर उनका मंदिर बनवाने की गुहार लगाते हैं। ऐसे में आम आदमी के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर नाथूराम गोडसे क्या थे? क्या नाथूराम गोडसे आतंकवादी था? क्या नाथूराम गोडसे देशद्रोही था? क्या नाथूराम गोडसे एक पेशेवर हत्यारा था? यदि नहीं तो गांधीजी को क्यों मारा? उन्होंने भारत के विभाजन के लिए गांधीजी को जिम्मेदार क्यों माना? और क्या गांधीजी ने मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए यह अपराध कर देश की जनता को सच में धोखा दिया? गोपाल गोडसे द्वारा प्रस्तुत एक ऐतिहासिक दस्तावेज, जिसे 13 अक्टूबर 1964 को नाथूराम गोडसे का पक्ष लेने के लिए मुक्त किया गया था |

Weight 0.425 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

AUTHOR: NATHURAM GODSE
PUBLISHER: Surya Bharti Prakashan
LANGUAGE: Hindi
ISBN: 00
COVER: PAPERBACK
WEIGHT: 425 GMS
Pages: 328

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