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DWIKHANDIT


जब हम एक लेखक की ‘आत्मकथा’ पढ़ते हैं, तो वह उन्हीं शब्दों के माध्यम से अपनी कहानी कहता है जो उसने अपनी कविताओं, उपन्यासों में प्रयोग किये थे किन्तु जब एक चित्रकार या संगीतकार अपने जीवन के बारे में कुछ कहता है तो उसे अपनी ‘सृजन भाषा’ से नीचे उतर कर एक ऐसी भाषा का आश्रय लेना पड़ता है, जो एक दूसरी दुनिया में बोली जाती है, उससे बहुत अलग और दूर, जिसमें उसकी ‘कालात्मा’ अपने को व्यक्त करती है । वह एक ऐसी दुनिया है, जहाँ वह है भी और नहीं भी, उसे अपनी नहीं अनुवाद की भाषा में बात कहनी पड़ती है । हम शब्दों की खिड़की से एक ऐसी दुनिया की झलक पाते हैं , जो ‘शब्दातीत’ है -जो बिम्बों, सुरों, रंगों के भीतर संचारित होती है । हम पहली बार उनके भीतर उस ‘मौन’ को मूर्तिमान होते देखते हैं, जो लेखक अपने शब्दों के बीच खाली छोड़ जाता है । हुसेन की आत्मकथा की यह अनोखी और अद्भूत विशेषता है, कि वह अनुवाद की बैसाखी से नहीं सीधे चित्रकला की शर्तों पर, बिम्बों के माध्यम से अपनी भाषा को रूपान्तरित करती है । ऐसा वह इसलिए कर पाती है, क्योंकि उसमें चित्रकार हुसेन उस ‘दूसरे ‘ से अपना अलगाव और दूरी बनाये रखते हैं, जिसका नाम मकबूल है, जिसकी जीवन-कथा वह बाँचते हैं, जिसने जन्म लेते ही अपनी माँ को खो दिया, जो इन्दौर के गली-कूचों में अपना बचपन गुजारता है, बम्बई के चौराहों पर फिल्मी सितारों के होर्डिग बनाता है, कितनी बार प्रेम में डूबता है, उबरता है, उबार कर जो बाहर उजाले में लाता है उनकी तस्वीरें बनाता है । धूल धूसरित असंख्य ब्योरे, जिनके भीतर के एक लड़के की झोली, बेडौल, नि श्छल छवि धीरे धीरे ‘एम. एफ. हुसेन, की प्रतिमा में परिणत होती है ।

Rs.325.00

Author: TASLIMA NASRIN
Format: Paperback
ISBN : 9789352294381

Weight .500 kg
Dimensions 7.50 × 5.57 × 1.57 in

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