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Dhammapad


धम्मपद’ ग्रंथ को पाठकों के समक्ष लाने का मेरा अभिप्राय इस ग्रंथ की शिक्षा से पाठकों को लाभान्वित कराना है-
यथागारं सुच्छन्नं, वुट्ठि न समतिविज्झति।
एवं सुभावितं चित्तं, रागो न समतिविज्झति।।
जैसे ठीक से छाए घर में वर्षा जल नहीं घुसता, ठीक वैसे ही ध्यान भावना से चित्त में विकार नहीं घुसता। इसी प्रकार
देश की सुव्यवस्था से नैतिकता और राष्ट्रीयता का उत्थान होता है जैसे गाथा में ध्यान भावना का उदाहरण देकर कहा है
वैसे ही सुव्यवस्थित देश्

Rs.360.00

Author : R.N.Gautam
आर.एन. गौतम, जन्म-1949, निवास-दिल्ली
क्लास-प्, भारत सरकार ;से.नि.द्ध
दिल्ली विश्वविद्यालय से बु( शिक्षा पर शोध, पालि, तिब्बतन व हिंदी साहित्य पर अध्ययन।
एम.फिल.;बो.अ.द्ध, एम.ए.;पालिद्ध, एम.ए.;हिंदीद्ध, पालि एवं तिब्बतन- डिप्लोमा, पी.जी.डी.;अनु.द्ध, वर्ष
1989 से प्र.वि. आचार्य एस.एन. गोयनका के सहायक के रूप में सन् 2000 से विपश्यना शिविर संचालन में
सेवारत।
लेखन कार्य – दिल्ली विश्वविद्यालय ;बो.अ.द्ध के जनरल में, बरेली, जयपुर और न्यूपा विश्वविद्यालय में कई लेख,
इसके अतिरिक्त धम्म दर्पण, धर्मचक्र प्रवर्तन पत्रिका में कई कविता एवं लेख।
पुस्तक- शोध कार्य – त्रिशरण महत्वः एक अध्ययन, दि.वि.वि. ;बौ.अ.द्ध, संपादित कार्य – थेर गाथा।
अप्रकाशित पुस्तकें – बु( की शिक्षा और विश्वविद्यालय, बु( की शिक्षा कहाँ तक, प्रतीत्यसमुत्पाद। इस पुस्तक का
अंग्रेजी अनुवाद प्रक्रिया में है।

Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

AUTHOR : R.N Gautam
Publisher: Akshaya Prakashan
LANGUAGE: Hindi
ISBN: 9788188643929
COVER: HB

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