Author – Dale Carnegie
ISBN – 9789352663750
Language – Hindi
Pages – 216
Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo- Dale Carnegie
Dale Carnegie
Rs.175.00
Weight | .213 kg |
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Agni Ki Udaan
0 out of 5(0)त्रिशूल ‘ के लिए मैं ऐसे व्यक्ति की सुलाश में था जिसे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मिसाइल युद्ध की ठोस जानकारी हो बल्कि जो टीम के सदस्यों में आपसी समझ बढ़ाने के लिए पेचीदगियों को भी समझा सके और टीम का समर्थन प्राप्त कर सके । इसके लिए मुझे कमांडर एस.आर. मोहन उपयुक्त लगे, जिनमें काम को लगन के साथ करने की जादुई शक्ति थी । कमांडर मोहन नौसेना से रक्षा शोध एवं विकास में आए थे ।
‘ अग्नि ‘, जो मेरा सपना थी, के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो इस परियोजना में कभी-कभी मेरे दखल को बरदाश्त कर सके । यह बात मुझे आर.एन. अग्रवाल में नजर आई । वह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकोलॉजी के विलक्षण छात्रों में से थे । वह डी.आर.डी.एल. में वैमानिकी परीक्षण सुविधाओं का प्रबंधन सँभाल रहे थे ।
तकनीकी जटिलताओं के कारण ‘ आकाश ‘ एवं ‘ नाग ‘ को तब भविष्य की मिसाइलों के रूप में तैयार करने पर विचार किया गया । इनकी गतिविधियाँ करीब आधे दशक बाद तेजी पर होने की उम्मीद थी । इसलिए मैंने ‘ आकाश ‘ के लिए प्रह्लाद और ‘ नाग ‘ के लिए एन. आर. अय्यर को चुना । दो और नौजवानो-वी.के. सारस्वत एवं ए.के. कपूर को क्रमश: सुंदरम तथा मोहन का सहायक नियुक्त किया गया ।
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ‘ अग्नि ‘, ‘ पृथ्वी ‘, ‘ आकाश ‘, ‘ त्रिशूल ‘ और ‘ नाग ‘ मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।SKU: n/a -
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0 out of 5(0)‘मनुस्मृति’ सामाजिक व्यवस्था, विधि, न्याय एवं प्रशासन-तंत्र पर विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, जो विद्वान् महर्षि मनु द्वारा संस्कृत की पद्यात्मक शैली (श्लोकों) में लिऌा गई है। इस ग्रंथ में मनु ने तत्कालीन समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं मनुष्य के स्वभाव का अति सूक्ष्म परिवेक्षण कर मानव-समाज को सुव्यवस्थित, सुऌखी, स्वस्थ, संपन्न, वैभवशाली एवं सुरक्षित बनाने हेतु विविध नियमों का प्रावधान किया है, ताकि नारी व पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग, विद्वान् व अनपढ़, स्वस्थ व विकलांग, संपन्न व गरीब, सभी सऌमान एवं प्रतिष्ठा के साथ रह सकें तथा समाज और देश की चतुर्मुऌा उन्नति में अपना प्रशंसनीय योगदान करने में सफल हों।
मनुस्मृति किसी धर्म विशेष की पुस्तक नहीं है। यह वास्तव में मानव-धर्म की पुस्तक है तथा समाज की तत्कालीन स्थिति से परिचित कराती है। समाज की सुव्यवस्था हेतु मनुष्यों के लिए जो नियम अथवा अध्यादेश उपयुत समझे, मनु ने इस मानव-धर्म ग्रंथ में उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवाधिकारों के संरक्षण पर अनेक श्लोक हैं। मनुस्मृति में व्यतियों द्वारा प्राप्त ज्ञान, उनकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार उनके कर्म निर्धारित किए गए हैं तथा कर्मानुसार ही प्रत्येक व्यति के अधिकारों, कर्तव्यों, उारदायित्वों एवं आचरणों के बारे में स्पष्ट मत व अध्यादेश अंकित हैं।
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