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Budape se Javani ki Ore


यह पुस्तक एक ऐसी पुस्तक के आधार पर लिखी गई है जो हजारों रुपए खर्च कर देने पर भी दुर्लभ थी। आज से 350 वर्ष पहले फ्रांस की एक महिला मदाम डी लेनक्लोस निनोन, जो कि 91 वर्ष की होकर मरीं, तब भी उनके चेहरे पर एक भी झूरी नहीं पड़ी थी।
सन् 1710 में फ्रांस के लेखक जीन सौवल ने एक पुस्तिका प्रकाशित की थी जिसमें उन प्रयोगों तथा व्यायाम का उल्लेख था जो उक्त महिला के युवा-सम स्वास्थ्य का कारण थे।
इन प्रयोगों को आधार बनाकर सैन फ्रांसिस्को के श्री सैनफोर्ड बेनेट ने यह प्रयोग अपने ऊपर किए और उन्हें सफलता प्राप्त हुई। उस आधार पर उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था ‘ओल्ड एज इट्स कॉजेज एंड प्रिवेंशन‘। यह पुस्तक मदाम निनोन के प्रयोगों के आधार पर लिखी गई थी। इसकी एक ही प्रति भारत में उपलब्ध थी, जिसे लेखक ने प्राप्त कर उसके आधार पर इस ग्रंथ की रचना की।
इस पुस्तक में जो लिखा गया है उसे नियम पूर्वक क्रिया में परिणत किया जाए, तो मनुष्य वृद्धावस्था में युवावस्था का-सा सुखद स्वास्थ्य तथा चेहरा-मोहरा कायम रख सकता है। इसलिए इस पुस्तक का नाम रखा है ‘बुढ़ापे से जवानी की ओर‘।
जिन प्रयोगों का इस पुस्तक में वर्णन है उनका वैज्ञानिक-विवेचन भी इसमें किया गया है। दीर्घ-जीवन का वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन करने के साथ-साथ, दीर्घ-जीवन की आसन, प्राणायाम, ब्रह्मचर्य आदि भारतीय-पद्धतियों का विवरण भी इसमें दिया है।
इस पुस्तक की यह भी विशेषता है कि इसमें वृद्धावस्था की अनेक शारीरिक समस्याओं के लिए होम्योपैथिक उपचार का भी निर्देश दिया गया है। बुढ़ापे के आने पर भी बुढ़ापा ना आए-इस उपाय को सामने रख देना इस पुस्तक का मुख्य लक्ष्य है।

Rs.300.00

बुढ़ापे से जवानी की ओर

Weight 0.510 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

AUTHOR : Prof. Satyavrat Siddhantalankar
PUBLISHER : Govindram Hasanand
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9788170772958
BINDING : (HB)
EDITION : 2020
PAGES : 288
SIZE : 23cms x 15cms
WEIGHT : 410 gm

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