#1: मृण्मय घट में चिन्मय दीप
#2: मन की आंखें खोल
#3: ध्यान: एक अकथ कहानी
#4: सुखी आदमी का अंगरखा
#5: जीवन एक वर्तुल है
#6: पेम मृत्यु से महान है
#7: मनुष्य की जड़ : परमात्मा
#8: बेईमानी : संसार के मालकियत की कुंजी
#9: जहां वासना, वहां विवाद
#10: भक्त की पहचान ः शिकायत-शून्य हृदय
#11: मृत्यु ः जीवन का द्वार
#12: पृथ्वी में जड़ें, आकाश में पंख
#13: प्रयास नहीं, प्रसाद
#14: जो जगाये, वही गुरु
#15: आखिरी भोजन हो गया?
#16: साधु, असाधु और संत
#17: अहंकार की उलझी पूंछ
#18: वासना-रहितता और विशुद्ध इंद्रियां
#19: चल उड़ जा रे पंछी
Bin Bati Bin Tel
“जीवन का न कोई उदगम है, न कोई अंत। न जीवन का कोई स्रोत है, न कोई समाप्ति। न तो जीवन का कोई प्रारंभ है, और न कोई पूर्णाहुति। बस, जीवन चलता ही चला जाता है। ऐसी जिनकी प्रतीति हुई, उन्होंने यह सूत्र दिया है। यह सूत्र सार है बाइबिल, कुरान, उपनिषद–सभी का; क्योंकि वे सभी इसी दीये की बात कर रहे हैं। पहली बात: जिस जगत को हम जानते हैं, विज्ञान जिस जगत को पहचानता है, तर्क और बुद्धि जिसकी खोज करती है, उस जगत में भी थोड़ा गहरे उतरने पर पता चलता है कि वहां भी दीया बिना बाती और बिना तेल का ही जल रहा है। वैज्ञानिक कहते हैं, कैसे हुआ कारण इस जगत का, कुछ कहा नहीं जा सकता। और कैसे इसका अंत होगा, यह सोचना भी असंभव है। क्योंकि जो है, वह कैसे मिटेगा? एक रेत का छोटा-सा कण भी नष्ट नहीं किया जा सकता। हम पीट सकते हैं, हम जला सकते हैं, लेकिन राख बचेगी। बिलकुल समाप्त करना असंभव है। रेत के छोटे से कण को भी शून्य में प्रवेश करवा देना असंभव है–रहेगा, रूप बदलेगा, ढंग बदलेगा, मिटेगा नहीं। जब एक रेत का अणु भी मिटता नहीं, यह पूरा विराट कैसे शून्य हो जायेगा? इसकी समाप्ति कैसे हो सकती है? अकल्पनीय है! इसका अंत सोचा नहीं जा सकता; हो भी नहीं सकता। इसलिये विज्ञान ने एक सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है कि शक्ति अविनाशी है। पर यही तो धर्म कहते हैं कि परमात्मा अविनाशी है। नाम का ही फर्क है। विज्ञान कहता है, प्रकृति अविनाशी है। पदार्थ का विनाश नहीं हो सकता। हम रूप बदल सकते हैं, हम आकृति बदल सकते हैं, लेकिन वह जो आकृति में छिपा है निराकार, वह जो रूप में छिपा है अरूप, वह जो ऊर्जा है जीवन की, वह रहेगी।”—ओशो
Rs.1,000.00
Weight | 1.350 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 2 in |
AUTHOR: OSHO
PUBLISHER: Osho Media International
LANGUAGE: Hindi
COVER: HB
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