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Bharat Mein Rashtrapati Pranali


एक महान् समाज दुर्बल हो रहा है। भारत के नागरिक जीवन की दयनीय स्थिति और अप्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं से जूझ रहे हैं। इसका परिणाम है, वे नैतिक रूप से लगातार कमजोर हो रहे हैं। इस स्थिति पर शोक मनाने या केवल टिप्पणी करने के बजाय मैंने कुछ ठोस करने का निर्णय लिया। अमरीका में लगभग दो दशक रहने के बाद मैं भारत लौटा और उस प्रदेश के लिए एक दैनिक समाचार-पत्र आरंभ किया, जहाँ मैं रहने जा रहा था। सोच रहा था कि मेरे अखबार में, जो विचार और विवरण सामने आएँगे, वे जनता की राय बदलेंगे। संभवतया ऐसा हुआ भी, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि दोष महज जागरूकता की कमी से कहीं अधिक गहरा था। इसने मेरा संकल्प और मजबूत कर दिया और उसी मंथन का परिणाम है यह पुस्तक। भारत मेरा एकमात्र ध्येय है। मेरी कोई राजनीतिक, वैचारिक या दलगत संबद्धता नहीं है।
यह पुस्तक भारत को बचाने का एक प्रयास है। हर गुजरते दिन, भारत में सरकार की मौजूदा प्रणाली लोगों के आत्मबल और नैतिक चरित्र को नष्ट कर अपूरणीय क्षति पहुँचा रही है। यह पुस्तक मात्र रोग ही नहीं बताती, इलाज सुझाती है। यह भारत को इसके कष्टों से छुटकारा दिलाने का हृदयस्पर्शी प्रयास है।

Rs.450.00 Rs.500.00

Author Bhanu Dhamija
ISBN 9789352660018
Language Hindi
Publisher Prabhat Prakashan
Edition 1
Publication Year 2017
Number of pages 280
Binding Style Hard Cover

Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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