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Bachpan


बचपन टॉलस्टॉय का आत्मकथात्मक लघु उपन्यास है, जो उन्होंने सन् 1852 में लगभग सत्ताईस वर्ष की अवस्था में लिखा था। एक दस वर्ष के बाल-नायक के ज़रिये इसमें न केवल उन्होंने बचपन के भोलेपन को, उसकी अविश्वसनीय सादगी की नाटकीयता को छुआ है, उन रहस्यों की ओर भी इशारा किया है, जो वय-संधि की देहरी पर खड़े हर बाल-मन को अपनी ओर बरबस खींचते हैं। बचपन का यह परिवेश इसलिए भी अलौकिक है कि इसे टॉलस्टॉय जैसे मर्मज्ञ ने छुआ है। सन् 1955 के आसपास इसका अनुवाद निर्मल वर्मा ने किया था, छद्म नाम से, अपने मित्र जगदीश स्वामीनाथन के लिए, जो उन दिनों पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस में काम करते थे। यह राज़ निर्मल जी ने स्वयं ही अपने मित्रों को बताया था।

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NIRMAL VERMA

निर्मल वर्मा (1929-2005) भारतीय मनीषा की उस उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक-पुरुष हैं, जिनके जीवन में कर्म, चिन्तन और आस्था के बीच कोई फाँक नहीं रह जाती। कला का मर्म जीवन का सत्य बन जाता है और आस्था की चुनौती जीवन की कसौटी। ऐसा मनीषी अपने होने की कीमत देता भी है और माँगता भी। अपने जीवनकाल में गलत समझे जाना उसकी नियति है और उससे बेदाग उबर आना उसका पुरस्कार। निर्मल वर्मा के हिस्से में भी ये दोनों बखूब आये। स्वतन्त्र भारत की आरम्भिक आधी से अधिक सदी निर्मल वर्मा की लेखकीय उपस्थिति से गरिमांकित रही। वह उन थोड़े से रचनाकारों में थे जिन्होंने संवेदना की व्यक्तिगत स्पेस और उसके जागरूक वैचारिक हस्तक्षेप के बीच एक सुन्दर सन्तुलन का आदर्श प्रस्तुत किया। उनके रचनाकार का सबसे महत्त्वपूर्ण दशक, साठ का दशक, चेकोस्लोवाकिया के विदेश प्रवास में बीता। अपने लेखन में उन्होंने न केवल मनुष्य के दूसरे मनुष्यों के साथ सम्बन्धों की चीर-फाड़ की, वरन् उसकी सामाजिक, राजनैतिक भूमिका क्या हो, तेजी से बदलते जाते हमारे आधुनिक समय में एक प्राचीन संस्कृति के वाहक के रूप में उसके आदर्शों की पीठिका क्या हो, इन सब प्रश्नों का भी सामना किया। अपने जीवनकाल में निर्मल वर्मा साहित्य के लगभग सभी श्रेष्ठ सम्मानों से समादृत हुए, जिनमें साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1985), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1999), साहित्य अकादेमी महत्तर सदस्यता (2005) उल्लेखनीय हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मभूषण, उन्हें सन् 2002 में दिया गया। अक्तूबर 2005 में निधन के समय निर्मल वर्मा भारत सरकार द्वारा औपचारिक रूप से नोबल पुरस्कार के लिए नामित थे।

Weight .250 kg
Dimensions 7.50 × 5.57 × 1.57 in

Author: NIRMAL VERMA
Format: Paperback
ISBN:9789387330740
Pages: 158

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