Chapter Titles
1: शून्य की वीणा: विराट के स्वर
2: तू स्वयं मंदिर है
3: धर्म अर्थात सन्नाटे की साधना
4: साक्षी, ताओ और तथाता
5: परमात्मा तुम्हारा स्वभावसिद्ध अधिकार है
6: आलसी शिरोमणि हो रहो
7: तथाता का सूत्र–सेतु है
8: संन्यास–सहज होने की प्रक्रिया
9: साक्षी स्वाद है संन्यास का
10: प्रभु-मंदिर यह देह री
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