Upnishad
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Chaukhamba Prakashan, English Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
112 Upanishads (Set Of 2 Vol)
-10%Chaukhamba Prakashan, English Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति112 Upanishads (Set Of 2 Vol)
Author: K.L. Joshi
112 Upaniṣads : (an exhaustive introduction, Sanskrit text, English translation & index of verses) carries details on all upanisads. Altogether, 112 Upanishads are described. All the verses are written in Sanskrit/Devanagari, with their translation in English.
The Upanisads are philosophical and theological mystical treatises forming the third division of the Veda; the preceding portions being the Mantras or Hymns, which are largely prayers and the Brahmanas or sacrificial rituals- the utterance, successively, of poet, priest and philosopher. There are two great departments of the Veda. The first is called Karma Kanda, the department of works, which embraces both Mantras and Brahmanas; and is followed by the vast majority f persons whose action of religion is laying up of merit by means of ceremonial prayers and sacrificial rites. The second is called Jnana-kanda, the department of knowledge. The present edition has been compiled with English translation of 112 important Upanisads many of which are being translated for the first time by a distinguished board of scholars. This edition provides an authentic translation of 112 Upanisads along with a complex index of verses and an exhaustive introduction.
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Osho Media International, ओशो साहित्य
Bin Bati Bin Tel
“जीवन का न कोई उदगम है, न कोई अंत। न जीवन का कोई स्रोत है, न कोई समाप्ति। न तो जीवन का कोई प्रारंभ है, और न कोई पूर्णाहुति। बस, जीवन चलता ही चला जाता है। ऐसी जिनकी प्रतीति हुई, उन्होंने यह सूत्र दिया है। यह सूत्र सार है बाइबिल, कुरान, उपनिषद–सभी का; क्योंकि वे सभी इसी दीये की बात कर रहे हैं। पहली बात: जिस जगत को हम जानते हैं, विज्ञान जिस जगत को पहचानता है, तर्क और बुद्धि जिसकी खोज करती है, उस जगत में भी थोड़ा गहरे उतरने पर पता चलता है कि वहां भी दीया बिना बाती और बिना तेल का ही जल रहा है। वैज्ञानिक कहते हैं, कैसे हुआ कारण इस जगत का, कुछ कहा नहीं जा सकता। और कैसे इसका अंत होगा, यह सोचना भी असंभव है। क्योंकि जो है, वह कैसे मिटेगा? एक रेत का छोटा-सा कण भी नष्ट नहीं किया जा सकता। हम पीट सकते हैं, हम जला सकते हैं, लेकिन राख बचेगी। बिलकुल समाप्त करना असंभव है। रेत के छोटे से कण को भी शून्य में प्रवेश करवा देना असंभव है–रहेगा, रूप बदलेगा, ढंग बदलेगा, मिटेगा नहीं। जब एक रेत का अणु भी मिटता नहीं, यह पूरा विराट कैसे शून्य हो जायेगा? इसकी समाप्ति कैसे हो सकती है? अकल्पनीय है! इसका अंत सोचा नहीं जा सकता; हो भी नहीं सकता। इसलिये विज्ञान ने एक सिद्धांत को स्वीकार कर लिया है कि शक्ति अविनाशी है। पर यही तो धर्म कहते हैं कि परमात्मा अविनाशी है। नाम का ही फर्क है। विज्ञान कहता है, प्रकृति अविनाशी है। पदार्थ का विनाश नहीं हो सकता। हम रूप बदल सकते हैं, हम आकृति बदल सकते हैं, लेकिन वह जो आकृति में छिपा है निराकार, वह जो रूप में छिपा है अरूप, वह जो ऊर्जा है जीवन की, वह रहेगी।”—ओशो
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Brihadaranyak-Upanishad
यह उपनिषद् यजुर्वेद की काण्वीशाखा में वाजसनेय ब्राह्मण के अन्तर्गत है। कलेवर की दृष्टि से यह समस्त उपनिषदों की अपेक्षा बृहत् है तथा अरण्य (वन) में अध्ययन किये जाने के कारण इसे आरण्यक भी कहते हैं। वार्त्तिककार सुरेश्वराचार्य ने अर्थतः भी इस की बृहत्ता स्वीकार की है। विभिन्न प्रसंगों में वर्णित तत्त्वज्ञान के इस बहुमूल्य ग्रन्थरत्न पर भगवान् शंकराचार्य का सबसे विशद भाष्य है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Ishadi Nau Upanishad
इस पुस्तक में ईश, केन, कठ, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय तथा श्वेताश्वतर उपनिषद्के मन्त्र, मन्त्रानुवाद, शाङ्करभाष्य और हिन्दी में भाष्यार्थ एक ही जिल्द में प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक संस्कृत के विद्यार्थियों तथा ब्रह्मज्ञान के जिज्ञासुओं के लिये विशेष उपयोगी है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Kenopanishad
सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में भगवान के स्वरूप और प्रभाव-वर्णन के साथ परमार्थ ज्ञान की अनिर्वचनीयता, अभेदोपासना तथा यक्षोपाख्यान में भगवान का सर्वप्रेरकत्व एवं सर्वकर्तृत्व स्वरूप दर्शनीय है। सानुवाद शांकरभाष्य।
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Vishwavidyalaya Prakashan, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Manusmriti (Chapter II) Tattva-Bodhini
(श्रीकुल्लूकभट्ट प्रणीत ‘मन्वर्थ मुक्तावलीÓ तथा मेधातिथि प्रणीत अनुभाष्य सहित) भारत एक धर्मप्राण देश है। इस धर्म का प्रतिपादक मनुस्मृति एक महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रन्थ है। इसकी लोकप्रियता ही इसकी उपयोगिता को प्रकट करती है। हमारे प्राचीनकाल के महॢष अपने गम्भीर चिन्तन एवं गहन अनुशीलन के लिए विख्यात रहे हैं। महॢष मनु उसी शृंखला में एक कड़ी है जिनकी सुप्रसिद्ध कृति है—मनुस्मृति। आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य अपना आध्यात्मिक एवं नैतिक बल खो चुका है। उसके चरित्र-बल का ह्रïास हो चुका है और वह अपने सामाजिक एवं राष्ट्रीय कत्र्तव्यों के प्रति प्रमादग्रस्त हो गया है। अत: मानव को सच्चे अर्थ में मनुष्य की कोटि में लाने के लिए, उसे सदाचार-बल का सम्बल देने के लिए, सामाजिक कत्र्तव्यों के प्रति जागरूक बनाने के लिए, मातृ-पितृ एवं आचार्य के प्रति अपने दायित्वों का बोध कराने के लिए, आत्मस्वरूप से परिचित कराकर मोक्ष लाभ के लिए, पुरुषार्थ चतुष्ट्य का सम्पादन कराने के लिए, पातकों से मुक्त होकर विशुद्ध जीवन जीने के लिए, पाशविक बन्धन से मुक्त होने एवं मुक्त होकर विशुद्ध जीवन जीने के लिए, पाशविक बन्धन से मुक्त होने एवं आत्मस्वरूप से परिचित होने के लिए, मानसिक सुख-शान्ति के लिए एक आदर्श मानव-समाज एवं राज्य की स्थापना के लिए आज मनुस्मृति जैसे ग्रन्थ के परिशीलन की महती अपेक्षा है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shwetashwatar-Upanishad
कृष्णयजुर्वेदीय इस उपनिषद् के वक्ता श्वेताश्वतर ऋषि हैं। इसमें जगतके कारणतत्त्वके रूपमें ब्रह्मका निरूपण करते हुए साधक, साधन और साध्य-विषयपर मार्मिक भाषामें प्रकाश डाला गया है। शंकराचार्य जी द्वारा करी गयी व्याख्या और हिन्दी अनुवाद सहित।
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Osho Media International, ओशो साहित्य
THE WAY BEYOND ANY WAY
About The Way Beyond Any Way
Osho speaks on a jewel of Eastern mysticism, the Saravarsar Upanishad, one of the ancient texts of the rishis – the seers of India. Through his talks Osho describes step by step, the search within, the search for the essence, for what is divine within man.This Upanishad begins with the questions: “What is bondage? What is liberation?” Osho’s responses include commentary on the four states of consciousness, the five physical and energy bodies, on the individual search for truth, on love as freedom, on what is eternal, on meditation and “witnessing,” and how our actions express who we are – the true meaning of “karma.”
This book is a fascinating and transformative read!
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