soldier stories
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Bharatiya Sena Ke Soorveer
0 out of 5(0)देश के वीरों का दृढ़ निश्चय अपने देश के प्रति प्रेम और भक्ति को दरशाता है। रणभूमि की ये घटनाएँ उन देशवासियों को अवश्य प्रेरित करेंगी और उन्हें सोचने पर मजबूर करेंगी, जो स्वयं को धनी बनाने के लिए कई प्रकार के गलत रास्ते अपनाते हैं। विगत में सामने आए घोटालों की बहुलता के बीच यह जान लेना उचित होगा कि ये मूढ़ दिमाग गलत सबक सीख रहे हैं।
बाल अपराधों के तेजी से बढ़ने के साथसाथ अपराध करने के तौरतरीके भी बदल रहे हैं। यदि इन बच्चों का ध्यान सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च बलिदान कर देनेवाले या निश्चित मौत के मुँह से बिना खरोंच के लौट आए उन अनेक शूरवीरों की हैरान कर देनेवाली शौर्यमयी घटनाओं तथा उनके पीछे के जज्बे पर केंद्रित हो जाए तो यह बच्चों को ऐसे शूरवीरों के नक्शेकदम पर चलने के लिए उनके भीतर उपजे प्रेरणादायक विचार की एक खुराक का काम कर सकता है। जहाँ पाँच गोरखा राइफल्स के सूबेदार किशनबीर सिंह नगरकोटी ने चार बार आई ओ एम जीतकर इतिहास रचा, वहीं सारागढ़ी के युद्ध में 21 सिख जवानों को प्रथम श्रेणी आईओएम से सुसज्जित किया जाना अपने आप में दुर्लभ, गौरवशाली और अप्रतिम घटना है।
यह पुस्तक देश के स्कूली बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। जो उनमें देशभक्ति, शूरवीरता, निडरता और परस्पर सहयोग की भावना जाग्रत् करेगी।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Kargil Girl
0 out of 5(0)सन् 1994 में बीस साल की गुंजन सक्सेना पायलट कोर्स के लिए चौथे शॉर्ट सर्विस कमिशन (महिलाओं के लिए) की चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मैसूर जानेवाली ट्रेन पर सवार होती है। चौहत्तर सप्ताह की कमरतोड़ ट्रेनिंग के बाद वह डिंडीगुल स्थित एयरफोर्स एकेडमी से पायलट ऑफिसर गुंजन सक्सेना के रूप में पास आउट होती है।
3 मई, 1999 को स्थानीय चरवाहों ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की खबर दी। मध्य मई तक घुसपैठियों को खदेड़ने के मकसद से हजारों भारतीय सैनिक पहाड़ पर लड़े जानेवाले युद्ध में शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ का आगाज किया, जिसमें उसके सभी पायलट मोर्चे पर थे। महिला पायलटों को जहाँ अब तक युद्ध क्षेत्र में नहीं उतारा गया था, वहीं उन्हें घायलों के बचाव, रसद गिराने और टोह लेने के लिए भेजा गया।
गुंजन सक्सेना को अपनी क्षमता प्रमाणित करने का यह स्वर्णिम अवसर था। द्रास और बटालिक क्षेत्रों में बेहद जरूरी आपूर्ति को हवा से गिराने और लड़ाई के बीच से घायलों का बचाव करने से लेकर, पूरी सावधानी से दुश्मनों के ठिकानों की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों तक पहुँचाने और एक बार तो अपनी एक उड़ान के दौरान पाकिस्तानी रॉकेट मिसाइल से बाल-बाल बचने तक, सक्सेना ने निर्भीकतापूर्वक अपने दायित्वों को निभाया, जिससे उन्होंने यह नाम अर्जित किया—कारगिल गर्ल।
महिलाओं की सामर्थ्य, क्षमताओं और अद्भुत जिजीविषा की कहानी है गुंजन सक्सेना की यह प्रेरणाप्रद पुस्तSKU: n/a
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