Rajpal and Sons Prakashan Books
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Rajpal and Sons
Path Ka Geet
एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार, चित्रकार, चिंतक एवं दार्शनिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की यह कृति उनकी चुनी हुई कविताओं का उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत गद्य रूपांतरण है। इसके काव्य-माधुर्य को संजोये रखते हुए इन भावभीनी रचनाओं की हिन्दी में प्रस्तुति इस पुस्तक के माध्यम से हो रही है। इन कविताओं में सुकोमल प्रकृति के अर्थपूर्ण संकेत, मुक्ति के लिये मन की अकुलाहट, सीमित से असीम में एकाकार होने की अदम्य चाह और निराशा के पलों में आशा का संचार, सभी कुछ रवीन्द्रनाथ टैगोर की कलम से व्यक्त हुआ है। ये रचनाएं प्रेरणादायी हैं और काव्य-सुख के साथ बोध-कथा का प्रकाश भी देती हैं। इनमें जीवन की जय-यात्रा का संगीत है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Pather Panchali
सत्यजित राय की विश्वप्रसिद्ध फिल्म, पथेर पांचाली, लेखक बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। यह उपन्यास बंगाल के निश्चिन्दिपुर गाँव में रहने वाले अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा की कहानी है। अपू और दुर्गा गरीबी की कड़वी सच्चाई से अनजान अपने बचपन की अल्हड़ शैतानियों में मस्त अपना जीवन बिताते हैं। इस उम्मीद से कि शायद अधिक आमदनी हो पाए उनके पिता काशी चले जाते हैं। पीछे परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती हैं कि अपू को समय उसे पहले ही अपने परिवार की देख-भाल का बोझ उठाना पड़ता है। लड़कपन से जवानी तक का यह उपन्यास पथेर पांचाली सबसे पहले एक पत्रिका में धारावाहिक रूप में, और 1929 में पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ। 1944 में पुस्तक के नये संस्करण के लिए सत्यजित राय को इसकी तस्वीरें बनाने की जि़म्मेदारी सौंपी गई और तभी उन्होंने तय कर लिया कि वह इस पर फिल्म अवश्य बनाएंगे। पथेर पांचाली पर बनी सत्यजित राय की फिल्म को देश-विदेश में अनेक सम्मान मिले। आधुनिक बंगला साहित्य के जाने-माने लेखक बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय का जन्म 12 सितम्बर 1894 में बंगाल के 24 परगना क्षेत्र मंे हुआ। उन्होंने अपने जीवन में कई उपन्यास लिखे जिनमें पथेर पांचाली और उसी कड़ी की अगली कृति अपराजितो सबसे लोकप्रिय हैं। उनके उपन्यास इच्छामति के लिए मरणोपरान्त उन्हें 1951 में ‘रबीन्द्र पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Paul Ki Tirth Yatra
ऐसी क्या खासियत है पति पत्नी के रिश्ते में जो दोनों के जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की बहार तो बिखेरती है , लेकिन भारतीय मूल की नीना और उसके डेनिस पति , पॉल ,डेनमार्क में अपना सुखी जीवन व्यतीत कर रहे होते है . जब अचानक ……ऐसी ही परतो , यादो और साथ सहे सुख दुःख के ताने बाने को बुनता यह दिल को छु लेने वाला उपन्यास बहुत लम्बे समय तक पाठको के मन में मीठी टीस छोड़ता है .
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Rajpal and Sons, उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Pawan Putra
देश में महाबली हनुमान के मंदिर बिखरे पड़े हैं और सभी भारतीय ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ भी करते हैं परन्तु कितने हैं जो उनके जीवन तथा इतिहास से ज़रा भी परिचित हैं? यह उपन्यास उनके जीवन को बहुत विस्तार से प्रस्तुत करता है और इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जो हनुमानजी के सम्बन्ध में किसी भी धर्मग्रन्थ में लिखा गया है। अपने विषय का अकेला आदि से अन्त तक पठनीय उपन्यास।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Peetambara
यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Pratham Aur Antim Mukti
प्रथम और अंतिम मुक्ति’ में जे. कृष्णमूर्ति की अंतर्दृष्टियों का व्यापक व सारगर्भित परिचय तथा उनमें सहभागिता का चुनौती-भरा निमंत्रण प्राप्त होता है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओं के विविध सरोकारों का समावेश इस एक पुस्तक में उपलब्ध है जो अंग्रेज़ी पुस्तक ‘द फस्र्ट एंड लास्ट फ्रीडम’ का अनुवाद है। इस पुस्तक का प्रकाशन 1954 में हुआ था लेकिन आज भी यह पुस्तक कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। कृष्णमूर्ति की शिक्षाओं के सघन अध्ययन में एक और आयाम जुड़े, इसी अभिप्राय से यह संस्करण प्रस्तुत है।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Prem Kya Hai, Akelapan Kya Hai
जिसे हम प्रेम कहते-समझते हैं, क्या वह सच में प्रेम है? क्या अकेलेपन की वास्तविक प्रकृति वही है जिसका अनुमान हमें डराता है और हम उससे दूर भागते रहते हैं, और इस कारण जीवन में कभी भी उस एहसास से हमारी सीधे-सीधे मुलाकात नहीं हो पाती? दैनिक जीवन के निकष पर इन दो सर्वाधिक आवृत प्रतीतियों के अनावरण का सफर है: ‘प्रेम क्या है? अकेलापन क्या है?’ जे. कृष्णमूर्ति के शब्दों में अधिष्ठित निःशब्द से रहस्यों के धुँधलके सहज ही छँटते चलते हैं, और जीवन की उजास में उसकी स्पष्टता सुव्यक्त होती जाती है। ‘मन जब किसी भी तरकीब का सहारा लेकर पलायन न कर रहा हो, केवल तभी उसके लिए उस चीज़ के साथ सीधे-सीधे संपर्क-संस्पर्श में होना संभव है जिसे हम अकेलापन कहते हैं, अकेला होना। किंतु, किसी चीज़ के साथ संस्पर्श में होने के लिए आवश्यक है कि उसके प्रति आपका स्नेह हो, प्रेम हो।’
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Rajpal and Sons, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Prernatmak Vichar
विश्वभर में गुरुदेव के नाम से विख्यात रवीन्द्रनाथ टैगोर कवि, लेखक और चित्रकार होने के साथ-साथ दार्शनिक और विचारक भी थे। वह सही मायनों में पूर्वी और पश्चिमी संस्कृति के अद्भुत संगम थे। अपने काव्य-संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वह पहले भारतीय थे। इस प्रेरणात्मक पुस्तक में दिए गए टैगोर के विचार उनकी गहन अंतर्दृष्टि और संवेदनशीलता की झलक प्रस्तुत करते हैं।
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Purushottam
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPurushottam
पुरुषोत्तम
ऐतिहासिक एवं पौराणिक गाथाओं को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने में सिद्धहस्त, बहुचर्चित लेखक की यह नवीनतम औपन्यासिक कृति अपनी भाषा के माधुर्य एवं शिल्पगत सौष्ठव द्वारा पाठक को मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी। ‘पहला सूरज’, एवं ‘पवन पुत्र’ जैसी बहुचर्चित कृतियों के पश्चात् श्रीकृष्ण जीवन के उत्तरार्ध पर आधारित यह बृहत् उपन्यास डॉ. मिश्र की लेखकीय यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है जो केवल अपनी आधुनिक दृष्टि ही नहीं अपितु विचारों की नवोन्मेषता और मौलिकता के कारण भी विशिष्ट है।
डॉ. मिश्र शिल्पकार पहले हैं और उपन्यासकार बाद में, यही कारण है कि पुस्तक अथ से इति तक पाठक के मन को बाँधने में सक्षम है और श्रीकृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के जटिलतम प्रसंग भी बोधगम्य एवं सहज सरल बन आए हैं।
श्रीकृष्ण को लेखक ने पुरुषोत्तम के रूप में ही देखा है और उसकी यह दृष्टि इस कृति को प्रासंगिक के साथ-साथ उपयोगी भी बना जाती है। विघटनशील मानवीय मूल्यों के इस काल में आदर्शों एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना के सफल प्रयास का ही नाम है ‘पुरुषोत्तम’।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां
Rasiya
‘‘मैं एक रसिया हूँ। अपनी काम-वासना पूरी करने के अलावा मैं और कुछ नहीं कर पाता।’’ रसिया कहानी है एक ऐसे आदमी की जो अपनी काम-प्रवृत्ति का गुलाम है। वासना का भूत उसके सिर चढ़कर तो जैसे तांडव करता है और वह अपनी यौनेच्छाओं को पूरा करने की राह पर चलने को मजबूर है। इस राह पर उसे आनन्द तो मिलता है लेकिन साथ ही जोखिमों का सामना भी होता है। रस्किन बॉन्ड का यह लघु उपन्यास रसिया उनकी जानी-पहचानी शैली से हटकर है जिसमें उन्होंने मानव-प्रवृत्ति के नकारात्मक पक्षों को उजागर किया है। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया और मुट्ठी भर यादें।
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rekha: The Untold Story
‘पितृसत्तात्मक फिल्म इंडस्ट्री में दबाई गई एक औरत के बेमिसाल उदय की दास्तान’-वोग। ‘चैंका देने वाले तथ्यों का खुलासा’-डीएन। परिवार के ख़राब आर्थिक हालात में चैदह साल की, मोटे डील-डौल और गहरी रंगत वाली भानुरेखा बालीवुड आईं। कैसे वो फिल्म उद्योग की सबसे ग्लैमरत सेक्स सिंबल रेखा बनी? कैसे उनके बेबाक रवैए और सेक्स पर खुले विचारों ने बालीवुड को हिलाया और कैसे इंडस्ट्री ने उन्हें कुचलने की कोशिश की? यह किताब अपने वक्त के सुपरस्टार के साथ उनके रिश्तों, उनकी दूसरी प्रेम कहानियों, उनके पति की खुदकुशी और अपनी मर्दाना चाल-ढाल वाली उनकी सेक्रेटरी फरज़ाना से उनके अजीबोगरीब रिश्ते की सच्ची दास्तान बयान करती है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Room on the Roof
1992 में साहित्य अकादमी अवार्ड से पुरस्कृत रस्किन बान्ड का यह पहला उपन्यास है जिसे उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में लिखा था। इस उपन्यास का पात्र, रस्टी एक सोलह वर्षीय एंग्लो-इंडियन लड़का है जिसके मां-बाप नहीं हैं और जिसे अपने अंग्रेज़ रिश्तेदारों के साथ रहना पड़ता है। मनमौजी, घुमक्कड़ और विद्रोही स्वभाव वाले रस्टी को अपने रिश्तेदारों का अनुशासन और तौर-तरीके बिलकुल रास नहीं आते और वह उनके घर से भाग जाता है। फिर उसे मिलते हैं नये दोस्त जिनके साथ बाज़ार, मेले और त्योहारों की चहल-पहल में वह खो जाता है…बचपन और जवानी के बीच की अल्हड़ उम्र के अनुभवों पर आधारित यह क्लासिक उपन्यास आज भी पाठकों का भरपूर मनोरंजन करता है। ‘‘अपना एक विशेष जादू है इस पुस्तक का’’-हैरल्ड ट्रिब्यून बुक रिव्यू ‘‘बेहद पठनीय’’-द गार्डियन।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Aur Cheetah
रस्टी की ज़िन्दगी की कहानियों की कड़ी में यह तीसरी किताब है। रस्टी अपने अभिभावक का घर छोड़ चुका है और कपूर परिवार के साथ रहने आता है। वहाँ वह उनके बेटे किशन को पढ़ाता है और उससे उसकी अच्छी दोस्ती हो जाती है। बेहद सुन्दर, किशन की माँ, मीना कपूर, से रस्टी बहुत प्रभावित है और उनसे बहुत कुछ सीखता है। अचानक मीना की मौत हो जाने के बाद रस्टी और किशन देहरा छोड़ देते हैं और दून घाटी और गढ़वाल के पहाड़ों की ओर निकल जाते हैं। इस दौरान रस्टी और किशन के साथ क्या गुज़रता है यही है इस पुस्तक का ताना-बाना। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी जब भाग गया, रस्टी की घर वापसी और रस्टी चला लंदन की ओर।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Chala London Ki Ore
बीस साल की उम्र पार करते ही रस्टी देहरा छोड़कर लंदन चला जाता है। उसके मन में सपना है वहाँ जाकर एक लेखक बनने का। दिन में वह क्लर्क की नौकरी करता है और देर रात जागकर लिखता है। तीन साल वहाँ बिताने के बावजूद, रस्टी को लंदन रास नहीं आता। उसके मन में, यादों में अब भी बसा है भारत और देहरा, जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था। आखिरकार वह देहरा वापिस आ जाता है और फिर वहीं रहता है। लंदन में रस्टी के साथ अनेक मज़ेदार किस्से होते हैं जो इस किताब में सम्मिलित हैं। रस्किन बॉन्ड भारत के अत्यन्त लोकप्रिय लेखक हैं। लोकप्रिय पात्र, रस्टी, की कहानियों की शृंखला में रस्किन बॉन्ड की यह चौथी किताब है। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी की घर वापसी और रस्टी जब भाग गया।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Jab Bhag Gaya
बारह वर्षीय रस्टी की दुनिया में उथल-पुथल मच जाती है जब उसके पिता और नानी का देहान्त हो जाता है। रस्टी को अब मिस्टर हैरिसन के साथ रहना पड़ता है, लेकिन वे उसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं और रस्टी को बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं। स्कूल से दुखी और दुनिया देखने को बेचैन रस्टी स्कूल से भाग जाने का प्लान बनाता है लेकिन सफल नहीं हो पाता और एक बार फिर अपने अभिभावक, मिस्टर हैरिसन, के पास वापिस पहुँच जाता है। सत्रह साल के रस्टी को मिस्टर हैरिसन के साथ रहना कबूल नहीं है और वह हमेशा के लिए उनका घर छोड़ देता है। बचपन और जवानी के बीच के समय के दिलकश किस्सों का यह संकलन रस्टी की कहानी-शृंखला की दूसरी पुस्तक है। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी की घर वापसी और रस्टी चला लंदन की ओर।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Ki Ghar Wapsi
लम्बे अरसे से रस्किन बॉन्ड की पुस्तकों का लोकप्रिय पात्र, रस्टी, अपने कारनामों से पाठकों का मन लुभाता, गुदगुदाता और हँसाता आ रहा है। रस्टी ने पाठकों के मन में अपना एक विशेष स्थान बना लिया है और उसके किस्से-कहानियाँ से पाठक न थकता है, न ऊबता। लंदन से लौटने के बाद रस्टी देहरादून, दिल्ली और शाहगंज में कुछ समय बिताता है और आखिर में मसूरी के पहाड़ों में बस जाता है जहाँ वह बतौर लेखक अपना जीवन शुरू करता है। रस्टी फिर कभी मसूरी के पहाड़ों को छोड़कर कहीं नहीं जाता। रस्टी की कहानियों की शृंखला में यह पाँचवीं और आखिरी कड़ी है। इसमें पायेंगे रस्टी के कई दोस्तों-यारों के किस्से, जिसमें उसका खास दोस्त, सुरेश भी शामिल है, अंकल बिल जो लोगों को ज़हर देने की नई-नई तरकीबें सोचते रहते हैं और जिमी नामक जिन्न। कुछ अजीबोगरीब किरदार, कुछ प्यार-मोहब्बत के किस्सों से भरी रस्किन बॉन्ड की यह किताब हर उम्र के पाठकों को रास आयेगी। सहज भाषा और दिल को छू लेने वाले लेखक – यही है रस्किन बॉन्ड की खासियत जिसके कारण वह इतने लोकप्रिय हैं। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी जब भाग गया और रस्टी चला लंदन की ओर।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Saagar Swar
‘‘आदमी सागर की सतह तक तो पहुंच गया है लेकिन अभी तक मानव मस्तिष्क की गहरी सतह तक नहीं पहुंच पाया है और न ही उसे पूरी तरह से समझ पाया है। शायद आज तक लोगों के बीच जो आपसी रिश्ते कायम हैं, वह इसलिए कि हम एक-दूसरे के अंदर के मन की बात को नहीं जान पाते। वर्षों साथ रहने के बाद भी शायद दो लोग एक-दूसरे को पूरी तरह से जान नहीं पाते। इसी बात को सोचते-सोचते मेरे मन में यह प्रश्न उठा कि यदि कोई ऐसी मशीन बन जाए जिससे सबके मस्तिष्क पारदर्शी हो जाएं, तो क्या होगा? मुझे जवाब मिला कि शायद मानव सभ्यता ढह जाएगी। यहीं से शुरू हुई मेरे उपन्यास की शुरुआत…’’-प्रतिभा राय जब एक संवेदनशील नारी का विवाह एक ऐसे वैज्ञानिक से होता है जो हर मनुष्य को केवल एक मशीन ही समझता है, हृदय की भावनाएँ उसके लिए कोई मायने नहीं रखतीं तब नारी के कोमल मन पर क्या बीतती है, इसी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है यह उपन्यास। वैज्ञानिक ‘ब्रेनोविश्जॅन’ का अन्वेषण करता है जिससे कि हरेक व्यक्ति के दिमाग में जो बात चल रही है, उसको सब देख सकते हैं। इससे उसकी पत्नी के साथ रिश्ते और खुद पर उसका क्या असर होता है? जानिए इस उपन्यास में।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Saath Saha Gaya Dukh
दिल्ली प्रशासन के ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित सुप्रतिष्ठित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली का यह सामाजिक उपन्यास उनकी अन्य रचनाओं की भाँति अत्यंत मार्मिक और प्रभावी है, यह इस उपन्यास से स्पष्ट है। बच्चे की बीमारी और मृत्यु की घटना में पति और पत्नी का साथ सहा और एक-दूसरे में बांटा गया दुख उपन्यास का विषय है-जो पाठक के अन्तरंग को छू लेता है।
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Rajpal and Sons, पाठ्य-पुस्तक, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोश
Sanskrit Swayam Shikshak | संस्कृत स्वयं-शिक्षक
-24%Rajpal and Sons, पाठ्य-पुस्तक, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोशSanskrit Swayam Shikshak | संस्कृत स्वयं-शिक्षक
Sanskrit Self Learner An easy guide to learning Sanskrit on your own without attending any classes or going to a teacher. * Written by the renowned Sanskrit scholar, Shripad Damodar Satvalekar, complete with self-testing exercises, the book has proved popular both with students as well as educational institutions. Bi-lingual
संस्कृत स्वयं शिक्षक किसी भी कक्षा में भाग लेने या शिक्षक के पास जाए बिना अपने दम पर संस्कृत सीखने के लिए एक आसान गाइड * प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा लिखित, आत्म-परीक्षण अभ्यासों के साथ, यह पुस्तक छात्रों और शैक्षिक संस्थानों के साथ लोकप्रिय साबित हुई है। द्वि-बहुभाषी”
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Rajpal and Sons, कहानियां
Satrangini
‘सतरंगिनी’ में एक गीत है और उनचास कविताएं। इन्हें बच्चनजी ने सात रंगों के शीर्षकों में विभाजित किया है। प्रत्येक रंग की कविताएं अपनी विशिष्टता लिये हुए हैं और इनमें से कई कविताएं आज लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। बच्चनजी ने ‘सतरंगिनी’ की भूमिका में अपने पाठकों से अनुरोध किया है कि वे उनकी मनोभूमि को अच्छी तरह समझने और इन कविताओं का पूरा आनंद लेने के लिए ‘सतरंगिनी’ से पहले प्रकाशित उनकी रचनाओं, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अन्तर’, ‘मधुबाला’, ‘मधुशाला’ और ‘मधुकलश’ को भी अवश्य पढ़ें।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Setu Bhanjan
‘‘ऊपरी तौर पर देखें तो लगता है कि यह युद्ध सरकारों और आतंकियों का है किन्तु सत्य यह है कि यह युद्ध धरती और समुद्र का है और उसमें एक बड़ा और बलवान चरित्र रामसेतु भी है। किसी को दिखाई नहीं दे रहा किन्तु रामसेतु ही युद्ध कर रहा है; और उसका युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है।’’
भारत-श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु का विवरण रामायण में पाया जाता है। लेकिन क्या यह सेतु मात्र कल्पना है या यथार्थ-लम्बे समय से यह विवाद का विषय रहा है और-यही इस उपन्यास का केन्द्र भी है। जहाँ एक ओर यह आस्था का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर भौतिक, वैज्ञानिक प्रमाणों की भी बात है। समय-समय पर अलग राजनैतिक दल अपने मतलब के लिए रामसेतु का प्रयोग करते आये हैं और इन राजनैतिक दाँवपेंचों के बीच उलझे इसके रहस्य को उजागर करने में कल्पित पात्र वरुणपुत्री भी रहस्यमयी भूमिका निभाती है। अपने लोकप्रिय उपन्यास वरुणपुत्री के बाद एक बार फिर लेखक नरेन्द्र कोहली इस उपन्यास में मिथक, फ़ैंटेसी, पौराणिक घटनाएँ, वैज्ञानिक तर्क का एक अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
पिछले छह दशकों से साहित्य जगत को समृद्ध करते आ रहे नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में की जाती है। उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, निबन्ध – अलग-अलग विधाओं में अब तक उनकी सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से उन्हें अलंकृत किया गया है।
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