R. K Narayan Books
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Rajpal and Sons, कहानियां
Bargad Ke Ped Tale
बरगद के पेड़ तले भारत के श्रेष्ठ कहानीकार आर.के. नारायण के प्रिय काल्पनिक शहर, मालगुडी, की अमूल्य धरोहर में एक अनूठे नग की तरह है जिसमें सौदागर, भिखारी, साधु-सन्त, अध्यापक, चरवाहे, ठग जैसे अलग-अलग चरित्रों की दिलचस्प कहानियाँ हंै। कहीं तो है एक विद्रोही नवयुवक जो पैतृक मन्दिर में अपने माता-पिता की ली गई प्रतिज्ञा का पालन करने से साफ इनकार कर देता है, तो वहीं सीधा-सादा दुकानदार एक अजनबी की मनमोहक बातों में आकर दिवालिया हो जाता है, और एक छोटा-सा लड़का अपना साहस दिखाने के लिए रात को अकेले ही चोर को पकड़ दिखाता है। ऐसी ही अट्ठाईस रोचक कहानियाँ हैं बरगद के पेड़ तले में। कहानीकार आर.के. नारायण शब्दों के जादूगर थे जो अपने शब्दों के मायाजाल और जीवन्त चित्राण से पाठकों को मोह लेते हैं। कहानी का विषय कैसा भी हो, पात्रा कितना भी क्रूर क्यों न हो, परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो, लेकिन आर.के. नारायण की शालीन कलम हर स्थिति को मानवीय नजरिये से पेश करती है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Dark Room
मेरा कुछ नहीं है इस दुनिया में। औरत के पास उसके बदन के अलावा अपना और क्या है? इसके अलावा सब कुछ उसके बाप का है, पति का है, बेटे का है। बच्चे तुम्हारे हैं, क्योंकि तुमने मिडवाइफ और नर्स को पैसा दिया है। तुम इनके कपड़ों और पढ़ाई का खर्चा देते हो और यह सब भी लो…’ यह कहकर उसने अपनी हीरे की अँगूठी, नथ, नेकलेस, सोने की चूड़ियाँ, सब ज़ेवर उतारे और उसके सामने फेंक दिये। इस उपन्यास में पति-पत्नी के बनते-बिगड़ते सम्बन्धों का बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी चित्रण किया गया है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत आर.के. नारायण की अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं-‘मालगुड़ी की कहानियाँ’, ‘स्वामी और उसके दोस्त’, ‘गाइड’, और इंग्लिश टीचर’।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
English Teacher
काल्पनिक मालगुडी पर आधारित यह उपन्यास कहीं न कहीं लेखक आर.के. नारायण की अपनी ज़िन्दगी से प्रेरित है। कृष्ण एक कॉलेज में अध्यापक है और उसकी पत्नी व बेटी थोड़ी दूरी पर उसके माता-पिता के साथ रहते हैं। फिर अवसर मिलता है सारे परिवार को साथ रहने का, लेकिन विवाहित जीवन का आनन्द कृष्ण कुछ ही दिन तक भोग पाता है और…विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक आर.के. नारायण की यह विशेषता रही है कि वह ज़िन्दगी की छोटी से छोटी बात को बहुत जीवंत और मनोरंजक बना देते हैं। ‘गाइड’ और ‘मालगुडी की कहानियाँ’ की तरह उस उपन्यास में भी जीवन के हर रस का आनन्द पाठक को मिलता है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Guide
आर.के. नारायण उन पहले भारतीय लेखकों में से थे जिनको विश्व-स्तर पर साहित्यिक ख्याति मिली। ‘गाइड’ उनका सबसे बेहतरीन उपन्यास है जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इस उपन्यास में प्रेम का उत्कर्ष तो है ही, इसमें जीवन के बहुत-से अर्थ खुलकर सामने आते हैं। इसमें उलझी हुई परतों को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया गया है। इस उपन्यास पर इसी नाम से बनी फिल्म की लोकप्रियता आज भी कायम है। आर.के. नारायण का यह उपन्यास बार-बार पढ़े जाने लायक एक क्लासिक रचना है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Aadamkhor
विश्व प्रसिद्ध ‘मालगुडी की कहानियां’ की तरह ही आर.के. नारायण के इस उपन्यास की पृष्ठभूमि भी उनका प्रिय काल्पनिक शहर मालगुडी है। यहां रहने वाले नटराज की शांत ज़िंदगी में तब भूचाल आ जाता है, जब उसकी प्रिंटिंग प्रेस की ऊपरी मंज़िल पर वासु डेरा डाल लेता है। वासु अव्वल दर्जे का गुंडा और फसादी है। उसका पेशा मरे हुए जानवरों की खाल में भूसा भर उन्हें सजावटी रूप देना है, इसलिए वह खुलेआम उनका शिकार करता है। यहां तक कि नटराज की प्यारी बिल्ली भी वासु की भेंट चढ़ जाती है और वह कुछ नहीं कर पाता। बड़े शिकार की तलाश में वासु मंदिर के हाथी पर निशाना साधने की फिराक में है। आखिरकार, नटराज भी वासु को सबक सिखाने की ठान लेता है और बड़ी होशियारी और सावधानी से एक-एक कर उसकी सभी चालों को नाकाम कर देता है। मंदिर में नृत्य करने वाली दिलकश रंगी और नटराज का निजी सहायक शास्त्री ‘मालगुडी का आदमख़ोर’ को और भी रंगीन और दिलचस्प बनाते हैं। उनकी बातें और हरकतें भीतर तक गुदगुदा देती हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Chalta Purza
इस चुलबुले और रोचक उपन्यास में एक बार फिर लेखक आर.के. नारायण ने अपने प्रिय स्थान ‘मालगुडी’ को पृष्ठभूमि में रखा है। मार्गैय्या अपने आप को एक बहुत बड़ा वित्तीय सलाहकार समझता है लेकिन वास्तव में वह एक चलता पुर्ज़ा के अलावा कुछ नहीं जो औरों को सलाह मशवरा देकर, अनपढ़ किसानों को यह समझाकर कि कैसे वे बैंक से ऋण ले सकते हैं और तरह-तरह के छोटे-मोटे फार्म बेचकर अपनी अच्छी खासी आमदनी कर लेता है। उसका ‘दफ़्तर’ है मालगुडी का बरगद का पेड़, जिसके नीचे वह अपनी कलम, स्याही की दवात और टीन का बक्सा लेकर बैठता है और शायद आपको आज भी बैठा मिलेगा…आर.के. नारायण शायद अंग्रेज़ी के ऐसे पहले भारतीय लेखक हैं जिनके लेखन ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए न केवल रोचक विषयों को चुना, बल्कि उन्हें अपने चुटीले संवादों से इतना चटपटा भी बना दिया कि जिसने भी उन्हें एक बार पढ़ा उसमें नारायण की रचनाओं को पढ़ने की चाहत और बढ़ गई।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Mehmaan
काल्पनिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास में लेखक आर.के. नारायण ने एक अपने से मिलता-जुलता किरदार रचा है जो बेहद मज़ेदार कहानियां सुनाने वाला बातूनी है। बातू एक पत्रकार के रूप में अपनी जगह बनाने में लगा हुआ है। उसकी मुलाकात होती है डा. रोन से जो मालगुडी में संयुक्त राष्ट्र की एक बहुत बड़ी परियोजना पर काम करने के लिए पहुँचते हैं। डा. रोन बातों में बातू से भी ज़्यादा होशियार हैं और बातू को फुसलाकर उसके ही घर में रहने लगते हैं। पता चलता है कि मालगुडी में आए मेहमान, डा. रोन मालगुडी की किसी लड़की को बहकाने के चक्कर में हैं और तभी उनकी पत्नी भी वहां आ पहुंचती है! क्या होता है इस सबका अंजाम-पढ़िए इस चुलबुली, जादुई कहानी में। विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक आर.के. नारायण की यह विशेषता रही है कि वह ज़िंदगी की छोटी से छोटी बात को बहुत जीवंत और मनोरंजक बना देते हैं। ‘ गाइड’ और ‘मालगुडी की कहानियां’ की तरह इस उपन्यास में भी जीवन के हर रस का आनन्द पाठक को मिलता है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Mithai Wala
साठ साल की उम्र में जगन आज भी अपने-आपको पूरी तरह जवान रखता है और कड़ी मेहनत से अपनी मिठाई की दुकान चलाता है, जिससे वह अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा लेता है। आराम से चल रही जगन की ज़िन्दगी में उथल-पुथल आ जाती है, जब उसका बेटा माली अमरीका से अपनी नवविवाहिता कोरियन पत्नी के साथ मालगुडी आता है और यहां से शुरू होता है दो पीढ़ियों के विचारों के बीच टकराव। भरपूर कोशिश करने के बाद भी जगन अपने पारम्परिक ख्यालों को नहीं बदल पाता और काम-धन्धे को छोड़कर धार्मिक कार्यों और यात्राओं की तरफ अपना मन लगाने की सोचता है और तभी यह खबर आती है कि उसका बेटा पुलिस की हिरासत में है और उसने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया है। इस स्थिति से जगन कैसे निकलता है, पढ़िये इस रोचक उपन्यास में जो आर. के. नारायण के अपने अनूठे ढंग में लिखा गया है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Printer
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण लिखते तो अंग्रेज़ी में थे लेकिन उनकी सभी पुस्तकों के पात्र और घटनास्थल पूरी तरह भारत की मिट्टी से जुडे़ होते हैं। उनके लेखन में सहजता और मन को गुदगुदाने वाले व्यंग्य का एक अनोखा मिश्रण मिलता है, जो उनकी हर कृति को अपना ही एक अलग रंग प्रदान करता है। ‘मालगुडी का प्रिन्टर’ सम्पत और श्रीनिवास की दोस्ती की कहानी है। सम्पत मालगुडी में एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं और श्रीनिवास एक पत्र निकालते हैं, जो सम्पत के प्रेस में छपता है और यहीं से शुरू होती है दोनों की दोस्ती की कहानी जिसमें कई मज़ेदार किस्से, रोचक मोड़ और अजीबो-गरीब परिस्थितियां आती हैं। लेखक के प्रिय काल्पनिक शहर मालगुडी पर आधारित यह एक पठनीय और रोचक उपन्यास है।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Maalgudi Ki Kahaniyaan
अपने उपन्यास ‘गाइड’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा पद्मविभूषण द्वारा अलंकृत उपन्यासकार आर.के. नारायण विश्वस्तरीय रचनाकार गिने जाते हैं। उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर बनी फिल्म ने उन्हें लोकप्रियता का एक और आयाम दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। ‘मालगुडी की कहानियां’ आर.के. नारायण की अद्भुत रोचक कहानियां समेटे हुए पुस्तक है। अपने दक्षिण भारत के प्रिय क्षेत्र मैसूर और चेन्नई में घूमते हुए उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच यहां-वहां ठहरते साधारण चरित्रों को देखा और उन्हें अपने असाधारण कथा-शिल्प के ज़रिये, अपने चरित्र बना लिये। ‘मालगुडी के दिन’ पर दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया जो दर्शक आज तक नहीं भूले हैं। दशकों बाद भी ‘मालगुडी के दिन’ की कहानियां उतनी ही जीवंत और लोकप्रिय हैं, जितनी पहले कभी थीं। यही उनकी खूबी है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Mahatma Ka Intezaar
महात्मा गांधी और उनके राष्ट्रीय आंदोलन की कहानी के साथ यह दो युवा दिलों की प्रेम कहानी है। दोनों को अपनी-अपनी मंज़िल की तलाश है। दोनों प्रेमी अपनी चाहत को तब तक दबाए रखते हैं जब तक स्वतंत्रता के लिए चलने वाला संघर्ष पूरा नहीं हो जाता और उन्हें एक-दूसरे को अपनाने के लिए महात्मा गांधी की स्वीकृति नहीं मिल जाती। वर्षों चले इस इंतज़ार में उन्हें किन-किन मुसीबतों और ज़ोखिमों से होकर गुज़रना पड़ता है, इसका बेहद रोमांचक वर्णन करता है यह उपन्यास। आर.के. नारायण की अनोखी शैली में लिखा यह बेहद रोचक उपन्यास बाकी उपन्यासों से हटकर है।
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Meri Jeewan Gatha
मेरी जीवन गाथा आर. के. नारायण की आत्मकथा है जिसमें उन्होंने नानी के घर बिताये बचपन के दिनों से लेकर लेखक बनने की अपनी यात्रा का वर्णन किया है। उनके लेखन में सहजता और मन को गुदगुदाने वाले हल्के व्यंग्य का अनोखा मिश्रण मिलता है जो इस आत्मकथा को एक अलग ही रंग प्रदान करता है। वे जि़न्दगी से जुड़ी छोटी से छोटी बातों को जीवन्त और मनोरंजक बना देते हैं और यही कारण है कि इस आत्मकथा को पढ़ते हुए पाठक उनके जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्षों में पूरी तरह डूबा रहता है। आर. के. नारायण विश्व स्तर के ख्यातिप्राप्त लेखक थे। लिखते वह अंग्रेज़ी में थे लेकिन उनकी सभी कहानियों के पात्रा और घटना-स्थल भारत की मिट्टी से जुड़े थे। उनका जन्म 10 अक्तूबर 1906 में मद्रास में हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में 15 उपन्यास, 5 कहानी-संग्रह, यात्रा-वृत्तांत और निबन्ध लिखे। उनके उपन्यास गाइड के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य में योगदान के लिए उन्हें 1964 में पद्मभूषण और 2000 में पद्मविभूषण से नवाज़ा गया। 2001 में 94 वर्ष की आयु में आर.के. नारायण ने इस दुनिया को अलविदा कहा लेकिन अपने साहित्य के माध्यम से पाठकों के दिलों में वे हमेशा जीवित रहेंगे।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Mister BA
आर.के. नारायण भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेज़ी लेखन को विश्वभर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य में पिरोने के कारण वे न जाने कितने ही पुस्तक प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए। इस उपन्यास की कहानी चंद्रन नाम के एक युवक के इर्द-गिर्द घूमती है जिसने बी.ए. पास कर लिया है और जिसे यह तय करना है कि जीवन में आगे क्या किया जाए। एक ओर उसके सामने अच्छी नौकरी कर अपना भविष्य संवारने का सवाल है तो दूसरी ओर अपने प्रेम को पाने की तड़प। दिलचस्प विषय के साथ ही किरदारों के जीवंत चित्रण और जगह-जगह हास्य के तड़के से यह उपन्यास बहुत रोचक बन गया है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Naagraj Ki Duniya
आर.के. नारायण शायद ऐसे पहले भारतीय अंग्रेज़ी लेखक हैं जिनके लेखन ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए न केवल रोचक विषयों को चुना, बल्कि उन्हें अपने चुटीले संवादों से इतना चटपटा भी बना दिया कि जिसने भी उन्हें एक बार पढ़ा उसमें नारायण की रचनाओं को पढ़ने की प्यास और बढ़ गई। नारायण ने अपनी कल्पनाओं में मालगुडी नाम का एक शहर बसाया और फिर उसके इर्द-गिर्द अनेकों कहानियां बुन डालीं। ‘नागराज की दुनिया’ भी मालगुडी की ही पृष्ठभूमि में रचा एक अनूठा उपन्यास है। नागराज का अपनी पत्नी के साथ खूब मज़े से जीवन कट रहा है। उनके पास रहने को एक बड़ा-सा घर है और करने को सिर्फ मनपसंद काम। बरामदे में बैठकर सड़क की रौनक देखना, पत्नी के साथ गप-शप करते हुए कॉफी पीना और अपनी किताब की योजना बनाना नागराज की दिनचर्या के हिस्से हैं पर उसकी शांत ज़िंदगी में तब उथल-पुथल मच जाती है जब उसका भतीजा टिम वहां रहने आ जाता है…।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Nani Ki Kahani
लेखक आर.के. नारायण की पड़नानी, बाला, के जीवन पर आधारित है यह पुस्तक। सात साल की मासूम बाला का विवाह दस वर्षीय विश्वा से होता है। एक दिन विश्वा कुछ तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा पर निकल जाता है और वर्षों तक उसकी कोई खबर नहीं मिलती। रिश्तेदारों, पास-पड़ोस के तानों से परेशान होकर बाला पति को खोजने खुद ही निकल पड़ती है और पूना में उसे ढूँढ लेती है। अपने पति को किसी तरह वापस घर आने के लिए मना लेती है। परदेस में बाला को कैसी-कैसी कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है, कैसे रोमांचक और खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं, पढि़ये इस पुस्तक में…. नानी की कहानी आर.के. नारायण की पड़नानी के जीवन पर लिखी रचना है जो उन्होंने अपनी नानी से सुनी। ज्यों-ज्यों उनकी नानी यह कहानी बताती हैं त्यों-त्यों लेखक की रचना भी विस्तार लेती है। जीवन्त चरित्रों और रोज़मर्रा की जि़न्दगी की छोटी-छोटी बातों पर पैनी नज़र से कलम चलाना आर.के. नारायण की विशेषता थी जिसकी झलक इस पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ पर मिलती है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Painter Ki Prem Kahani
‘पेन्टर की प्रेम कहानी’ आर.के. नारायण के चहेते काल्पनिक शहर ‘मालगुडी’ पर आधारित है। यह कहानी पेन्टर रमन की है, जो विभिन्न प्रकार के विज्ञापन साइन बोर्ड पेन्ट कर अपना गुज़ारा करता है और एक दिन उसकी ज़िंदगी में आती है डेज़ी, जो परिवार नियोजन क्लिनिक चलाती है और रमन से परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने वाला साइन बोर्ड बनाने के लिए कहती है। रमन एक तरफ तो डेज़ी के सौन्दर्य के मायाजाल में अपने को फंसता पाता है और दूसरी तरफ उसके काम करने के स्वतंत्र स्वभाव से कुछ हिचकिचाता भी है। डेज़ी और रमन एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं तब भी एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित हैं। आर.के. नारायण भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेज़ी लेखन को विश्व-भर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य मंर पिरोने के कारण वे पुस्तक-प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Swami Aur Uske Dost
स्वामी एक चुलबुला और शरारती लड़का है जिसका एकमात्र मकसद है अपने दोस्तों के साथ मस्ती करना एवं स्कूल और होमवर्क से पीछा छुड़ाना। लेकिन स्वामी की एक मासूम शरारत उसे मुसीबत में डाल देती है और नौबत यहाँ तक आ जाती है कि उसे घर से भाग जाना पड़ता है…अपने अनूठे अंदाज़ में लिखा आर.के. नारायण का यह उपन्यास उनकी पुस्तक मालगुडी की कहानियाँ की तरह ही अत्यंत मनोरंजक है, जो कभी तो पाठक के चेहरे पर हँसी लाता है और कभी स्वामी का दुःख उसके मन को छू लेता है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण की अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें हैं: गाइड, मालगुडी की कहानियाँ, डार्क रूम, मिस्टर बी.ए., नागराज की दुनिया, मालगुडी का प्रिन्टर, इंग्लिश टीचर, महात्मा का इन्तज़ार, मालगुडी का मिठाईवाला, मालगुडी का चलता पुर्ज़ा, मालगुडी का मेहमान, बरगद के पेड़ तले, मेरी जीवन गाथा और नानी की कहानी।
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