Puran
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sankshipt Narad Puran
इस में सदाचार-महिमा, वर्णाश्रम धर्म, भक्ति तथा भक्त के लक्षण, विविध प्रकार के मन्त्र, देवपूजन, तीर्थ-माहात्म्य, दान-धर्म के माहात्म्य और भगवान् विष्णु की महिमा के साथ अनेक भक्तिपरक उपाख्यानों का विस्तृत वर्णन किया गया है। सचित्र, सजिल्द।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sankshipt Shiv-Puran, Deluxe Edition (Code1468)
पाठकों के आग्रह को देखते हुए पूर्व प्रकाशित शिवपुराण को अब मोटे एवं अच्छे क्वालिटी के कागज पर बड़े टाइप, आकर्षक लेमिनेटेड चित्रावरण, उपासना योग्य सुन्दर रंगीन चित्र आदि अनेक विशेषताओं से युक्त कर के प्रकाशित किया गया है। भगवान् शिव के कल्याणकारी स्वरूप एवं विस्तृत लीलाओं का परिचायक यह पुराण अनेक रहस्यमय कथाओं, उपासना-पद्धति एवं तत्त्वज्ञान का असीम सागर है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sankshipt Skand Puran
यह पुराण कलेवर की दृष्टि से सबसे बड़ा है तथा इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञान के अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें धर्म, सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्ति के सुन्दर विवेचन के साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं। आज भी इसमें वर्णित आचारों, पद्धतियों के दर्शन हिन्दू समाज के घर-घर में किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान् शिव की महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म, तारकासुर वध आदि का मनोहर वर्णन है। सचित्र, सजिल्द।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shri Shiv Mahapuranam (Code2020)
इस पुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrimad Bhagvat Sudha Sagar, (Code1930)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। भगवान शुकदेवद्वारा महाराज परीक्षितको सुनाया गया भक्तिमार्गका तो मानो सोपानही है। इसके प्रत्येक श्लोकमें श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वयके साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। इस के प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। कलि सन्तरण का साधन-रूप यह सम्पूर्ण ग्रन्थ-रत्न मूल के साथ हिन्दी-अनुवाद, पूजन-विधि, भागवत-माहात्म्य, आरती, पाठ के विभिन्न प्रयोगों के साथ दो खण्डों में उपलब्ध है।
Srimadbhagavat Mahapuran has occupied its place as a crest-jewel among all the Indian literature. It is a step towards the path of devotion. Its each Shloka is full of fragrance with Shri Krishna’s love. This voluminous didactic doctrine contains the means of knowledge, a pathway to devotion. Available in two volumes. Bound with pictures.SKU: n/a -
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrivishnu Puran
श्री पराशर ऋषि-प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके प्रतिपाद्य भगवान् विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इसमें आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान् विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है।
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Gita Press, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrivishnu Puran 1364
श्री पराशर ऋषि-प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके प्रतिपाद्य भगवान् विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इसमें आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान् विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है।
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Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिSri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
प्रस्तुत भविष्यपुराण में भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन किया गया है ।
व्यास जी द्वारा रचित हमारे 18 वैदिक पुराणों मे से भविष्य पुराण भी एक है…
भविष्य पुराण में सूर्य का महत्व और वर्ष के 12 महीनों के निर्माण का उल्लेख मिलती है। इस पुराण में सांपों की पहचान, विष और विषदंश की संपूर्ण जानकारी दी गई है। इस पुराण में राजवंशों के अतिरिक्त भविष्य में आने वाले नंद वंशों, मौर्य वंशों, मुगल वंश, छत्रपति शिवाजी और महारानी विक्टोरिया का वर्णन मिलता है। साथ ही विक्रम बेताल और बेताल पच्चीसी की कथाएं भी इसी का हिस्सा है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Vaman Puran
यह पुराण मुख्यरूप से त्रिविक्रम भगवान् विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्याता है। इसमें भगवान् वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजी का लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरि का कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराण का उपसंहार हुआ है।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Srimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताSrimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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