kapot Books
Showing 1105–1128 of 2601 results
-
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kahani Jammu-Kashmir Ki (Hindi Translation of Kashmir Narratives: Myths Vs Realities of J&K)
-11%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Kahani Jammu-Kashmir Ki (Hindi Translation of Kashmir Narratives: Myths Vs Realities of J&K)
“कश्मीर-जम्मू और कश्मीर है’ से ‘मकबूल शेरवानी ने कश्मीर को बचाया’, ‘डोगराओं ने कश्मीरियों पर अत्याचार किया’, ‘विलय के दस्तावेज पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए गए’ से लेकर ‘कश्मीरी अलग हैं और एक विशेष सुलूक के हकदार हैं’, बहुत से आख्यान—झूठे और विश्वास करने लायक, दोनों कई दशकों से जम्मू-कश्मीर के बारे में राजनीतिक और अकादमिक बातचीत के केंद्र बिंदु रहे हैं।
इस काम में ऐसे आख्यानों पर जानबूझ कर एक नजर डाली गई है, क्योंकि ये हमारे इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण अवधि से संबंधित हैं और जम्मू-कश्मीर के लोगों के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। किंतु कई समीक्षक आज भी भुलावे और भ्रमित मनस्थिति में हैं।
यह पुस्तक उन लोगों की मदद कर सकती है, जो हमारे देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में कुछ आख्यानों का मजमून खोजने के लिए घूम रहे हैं। आशा है कि जो पाठक इस पुस्तक को पढेंग़े, उनके पास इसमें निहित मुद्दों के बारे में अपना विचार बदलने के कारण होंगे; यदि कोई भी बदलाव, होगा तो, वह इस पुस्तक में प्रस्तुत किए जा रहे तर्क की कसौटी पर होगा।”SKU: n/a -
Rajasthani Granthagar, Religious & Spiritual Literature, कहानियां
Kahawati Kathayen (Kahawaton ke sath Kathayen)
Rajasthani Granthagar, Religious & Spiritual Literature, कहानियांKahawati Kathayen (Kahawaton ke sath Kathayen)
कहावती कथाएँ (कहावतों के साथ कथाएँ) : कहावतों के महत्त्व के सम्बन्ध में अनेक बातें कही जा सकती है। यह पिछली पीढ़ियों के अनमोल अनुभवों का भण्डार है। कहावतें भाषा का श्रृंगार है, इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता का संचार होता है। कहावतें झूठ नहीं बोलती, वे मानव के अनुभव की सन्तान है। कहावतें और मुहावरे लोगों की सम्पूर्ण सामाजिक और ऐतिहासिक अनुभूतियों के संक्षिप्त रूप है। ईसा मसीह, गौतम बुद्ध और सुविख्यात दार्शनिक अरस्तू कहावतों के प्रभाव को स्वीकार कर इनका बहुलता से प्रयोग करते थे।
प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखक श्री विजयदान देथा जी राजस्थानी साहित्य और संस्कृति के विद्वान थे और उनका यह अद्वितीय शोध ग्रन्थ अथक परिश्रम तथा गहन गम्भीर सोच का प्रतिफल है, जो भावी पीढ़ियों के लिये उपयोगी बना ही रहेगा। प्रस्तुत ग्रन्थ कहावतों के संकलन मात्र तक सीमित नहीं है। श्री विजयदान देथा ने राजस्थानी कहावतों की समाजशास्त्रीय, सांस्कृतिक साहित्यिक तथा भाषागत सारगर्भित विवेचना की है तथा कहावत से सम्बन्धित कथा का विवरण भी प्रस्तुत किया है। श्री विजयदान देथा ने कहावतों का रूपात्मक और विषयानुार वर्गीकरण कर अपने शोध ग्रन्थ को स्थाई महत्त्व प्रदान कर दिया है।SKU: n/a -
Hindi Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kailash Manasarovar Teerthayatra: Bhaaratey Marg
-15%Hindi Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Kailash Manasarovar Teerthayatra: Bhaaratey Marg
Since times immemorial, Indian renunciates have been going on pilgrimage to Mount Kailash and Lake Manasarovar. This trek is considered one of the most difficult pilgrimage treks in the world. Merit thus accumulated by undertaking pilgrimage during the year of the Water Horse is considered to be multiplied manifold. In the pre-1959 period, the pilgrimage to Kailash and Manasarovar used to mainly attract sadhus from India. The general public mostly avoided this pilgrimage due to the harsh climate, tough terrain, and lawlessness in the region. However, pilgrimage in present times is largely undertaken by lay people. Not only the governments of India and China but also various local organizations on both sides of the border take interest in this exercise. As a result of this, many changes of far reaching consequences are taking place in the Himalayas. The author has made an attempt in this book to examine the history of the Indian tradition of pilgrimage to Kailash and Manasarovar; the perils and difficulties involved in this pilgrimage; the social, religious, geo-political, and economic factors on both sides of the Sino-Indian border that have affected, and have been affected in turn by this pilgrimage. pp. x + 146 ; Copiously Illustrated ; Bibliography ; Index.SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Kaili, Kamini Aur Anita
अनीता ‘एक थी अनीता’ उपन्यास की नायिका है जिसके पैरों के सामने कोई रास्ता नहीं, लेकिन वह चल देती है-कोई आवाज़ है, जाने कहाँ से उठती है और उसे बुलाती है…कैली ‘रंग का पत्ता’ उपन्यास की नायिका है, एक गाँव की लड़की और कामिनी ‘दिल्ली की गलियाँ’ उपन्यास की नायिका है, एक पत्रकार। इनके हालात में कोई समानता नहीं, वे बरसों की जिन संकरी गलियों से गुज़रती हैं, वे भी एक दूसरी की पहचान में नहीं आ सकतीं। लेकिन एक चेतना है, जो इन तीनों के अन्तर में एक सी पनपती है…वक्त कब और कैसे एक करवट लेता है, यह तीन अलग-अलग वार्ताओं की अलग-अलग ज़मीन की बात है। लेकिन इन तीनों का एक साथ प्रकाशन, तीन अलग-अलग दिशाओं से उस एक व्यथा को समझ लेने जैसा है, जो एक ऊर्जा बन कर उनके प्राणों में धड़कती है…मशहूर कवयित्री और लेखिका अमृता प्रीतम (1919-2005) ने पंजाबी और हिन्दी में बहुत साहित्य-सृजन किया जिसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मश्री और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
SKU: n/a -
Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां
Kala Ka Jokhim
निर्मल वर्मा के निबन्ध-संग्रहों के सिलसिले में कला का जोखिम उनकी दूसरी पुस्तक है, जिसका पहला संस्करण लगभग बीस साल पहले आया था। स्वयं निर्मलजी इस पुस्तक को अपने पहले निबन्ध-संग्रह शब्द और स्मृति तथा बाद वाले ढलान से उतरते हुए शीर्षक संग्रह के बीच की कड़ी मानते हैं जो इन दोनों पुस्तकों में व्यक्त चिन्ताओं को आपस में जोड़ती है। निर्मल वर्मा के चिन्तक का मूल सरोकार ‘आधुनिक सभ्यता में कला के स्थान’ को लेकर रहा है। मूल्यों के स्तर पर कला, सभ्यता के यांत्रिक विकास में मनुष्य को साबुत, सजीव और संघर्षशील बनाये रखनेवाली भावात्मक ऊर्जा है, किन्तु इस युग का विशिष्ट अभिशाप यह है कि जहाँ कला एक तरफ मनुष्य के कार्य-कलाप से विलगित हो गयी, वहाँ दूसरी तरफ वह एक स्वायत्त सत्ता भी नहीं बन सकी है, जो स्वयं मनुष्य की खण्डित अवस्था को अपनी स्वतन्त्रा गरिमा से अनुप्राणित कर सके। साहित्य और विविध देश-कालगत सन्दर्भों से जुडे़ ये निबन्ध लेखक की इसी मूल पीड़ा से हमें अवगत कराते हैं। अपनी ही फेंकी हुई कमन्दों में जकड़ी जा रही सभ्यता में कला की स्वायत्तता का प्रश्न ही ‘कला का जोखिम’ है और साथ ही ज़्यादा महत्त्वपूर्ण यह है कि ‘वही आज रचनात्मक क्रान्ति की मूल चिन्ता का विषय’ बन गया है। इन निबन्धों के रूप में इस चिन्ता से जुड़ने का अर्थ एक विधेय सोच से जुड़ना है और कला एक ज़्यादा स्वाधीन इकाई के रूप में प्रतिष्ठित हो सके, उसके लिए पर्याप्त ताकत जुटाना भी।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Kala Pani (PB)
काला पानी की भयंकरता का अनुमान इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि इसका नाम सुनते ही आदमी सिहर उठता है। काला पानी की विभीषिका, यातना एवं त्रासदी किसी नरक से कम नहीं थी। विनायक दामोदर सावरकर चूँकि वहाँ आजीवन कारावास भोग रहे थे, अत: उनके द्वारा लिखित यह उपन्यास आँखों-देखे वर्णन का-सा पठन-सुख देता है। इस उपन्यास में मुख्य रूप से उन राजबंदियों के जीवन का वर्णन है, जो ब्रिटिश राज में अंडमान अथवा ‘काला पानी’ में सश्रम कारावास का भयानक दंड भुगत रहे थे। काला पानी के कैदियों पर कैसे-कैसे नृशंस अत्याचार एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार किए जाते थे, उनका तथ वहाँ की नारकीय स्थितियों का इसमें त्रासद वर्णन है। इसमें हत्यारों, लुटेरों, डाकुओं तथा क्रूर, स्वार्थी, व्यसनाधीन अपराधियों का जीवन-चित्र भी उकेरा गया है। उपन्यास में काला पानी के ऐसे-ऐसे सत्यों एवं तथ्यों का उद्घाटन हुआ है, जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Kale Pani Ki Kalank Katha
अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में, जिसे लोकप्रिय रूप से काला पानी के नाम से जाना जाता है, 572 द्वीप हैं और उनमें से केवल 36 बसे हुए हैं। उत्तम सुंदरता के इन द्वीपों का प्रारंभिक इतिहास रहस्य में डूबा हुआ है। 18वीं शताब्दी के करीब इनपर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा कर लिया गया था। 1857 के बाद अंग्रेजों ने उनका उपयोग दंड-बस्ती के लिए किया। कारावासियों को आजीवन कारावास की सजा के लिए सेल्युलर जेल में रखा गया।
23 मार्च, 1942 के वास्तविक कब्जे से एक दशक पूर्व ही जापानियों ने द्वीपों पर कब्जे की पूरी तैयारी कर ली थी। उन्होंने द्वीपवासियों के मन में स्वतंत्रता की नई आशाएँ और इच्छाएँ जगाईं। शीघ्र ही द्वीपवासी कुछ कट्टर और भयावह जासूसी के मामलों की निराधार याचिका पर आतंक की चपेट में आ गए।
जापानियों ने सहयोगी सूचनाओं की आपूर्ति में स्थानीय लोगों पर संदेह करना आरंभ कर दिया। वे जासूसी के वास्तविक स्रोतों का पता लगाने में असफल रहे, जो मुख्य रूप से मेजर मैकार्थी के आदेश के तहत थे। अगस्त 1945 तक लोगों की मौन पीड़ा की प्रबलता जारी रही तथा नरसंहार बढ़ने लगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यात्रा भी एक अनंतिम भारत सरकार स्थापित करने और अत्याचारों और यातनाओं की जाँच करने में विफल रही।
परमाणु हमलों ने जापान को उसके घुटनों पर ला दिया और 9 अक्तूबर, 1945 को पोर्ट ब्लेयर में समर्पण के साधन पर हस्ताक्षर किए गए। युद्ध-अपराध अदालतों के परिणामस्वरूप, 16 अभियुक्तों में से 6 को सिंगापुर में मृत्युदंड दिया गया और बाकी को 7 से 25 साल तक के लिए सजा सुनाई गई। द्वीप अब एक केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का आनंद लेते हैं।SKU: n/a -
Vani Prakashan, कहानियां
KALJAYEE SUR : PANDIT BHIMSEN JOSHI
पंडित भीमसेन जोशी की संगीत यात्रा को बताती ये पुस्तक कई रौचक तथ्य हमारे सामने पेश करती है। भारतीय सिनेमा दुनिया में गीत संगीत एवं नृत्य की प्रधानता के कारण एक अलग पहचान रखती है| इसके नीव में ही संगीत रही है| मूक दौर में भी भारतीय सिनेमा संगीत से अलग नहीं था| जब बोलना शुरू किया तो यह विधा मुखर रूप से विस्तार लिया| सांगीतिक रोचकता और रौनकता प्रदान करने में सलिल चौधरी, सी रामचंद्रन, मदन मोहन, नौशाद जैसे संगीतकारों का विशेष योगदान रहा है| हालाँकि आज के फ़िल्मी संगीत में वह तासीर नहीं बची है, जिस संगीत से भारतीय सिनेमा की पहचान थी| गीत संगीत एवं नृत्य भारतीय सिनेमा की पहली पहचान है|
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Kaljayi Yoddha Chhatrasal Bundela
Om Parkash Pahujaडॉ. ओम प्रकाश पाहूजा ने भारत के प्रसिद्ध शिक्षा केंद्रों से विभिन्न उपाधियाँ प्राप्त कीं—हिंदू महाविद्यालय, सोनीपत से स्नातक; होल्कर विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर से स्नातकोत्तर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी तथा खगोल-भौतिकी विभाग से विद्या-वाचस्पति की उपाधि।
सन् 1972 से 2007 तक राजधानी महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के भौतिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में अध्यापन कार्य करते रहे। इससे पूर्व हिंदू महाविद्यालय, सोनीपत में छह वर्षों तक भौतिकी के प्राध्यापक रहे।
अध्यापन तथा सामाजिक कार्य इनके जीवन का उद्देश्य है। इनका सामाजिक जीवन स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद तथा महर्षि अरविंद जैसे दिव्य पुरुषों तथा दार्शनिकों से प्रेरित है। अध्यापन काल में नाभिकीय-भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कंप्यूटर के मौलिक सिद्धांत आदि उनके रुचिकर विषय रहे हैं।
SKU: n/a -
Garuda Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Kalki Tu Kahan Hai: Life story of Swami Pranavanand Saraswati
-10%Garuda Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणKalki Tu Kahan Hai: Life story of Swami Pranavanand Saraswati
कल्कि तू कहाँ है: स्वामी प्रणवानंद की जीवन गाथा ‘मेजर जनरल जीडी बख्शी द्वारा लिखित पुस्तक स्वामी प्रणवानंद के जीवन के बारे में बात करती है। उन्होंने अपने जीवन के 12 साल जंगल में बिताए और कैसे उनके श्रम का भुगतान हुआ। एक पुस्तक जो जीवन के प्रति आपके विचारों को बदल देगी क्योंकि आप स्वामी प्रणवानंद के जीवन से बहुत कुछ सीखेंगे।
SKU: n/a -
Hindi Books, Sasta Sahitya Mandal, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Kalp Barikchh (PB)
इस पुस्तक में हिंदी के विद्वान लेखक और पुरातत्ववेत्ता डा. वासुदेवशरण अग्रवाल के कुछ चुने हुए लेखों का संग्रह है। इन लेखों में उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनेक छिपे पृष्ठों को खोला है और विविध रूपों में उस महान् संस्कृति के दर्शन पाठकों को कराए हैं। लेखक ने प्राचीन साहित्य का अध्ययन ही नहीं किया, उसमें बार-बार डुबकी लगाकर उसकी आत्मा के साथ साक्षात्कार भी किया है। यही कारण है कि वह उसका रसास्वादन इतने रोचक और सजीव ढंग से करा सके हैं। लेखक का यह दूसरा संग्रह ‘मण्डल’ से प्रकाशित हुआ है। प्रथम संग्रह ‘पृथ्वीपुत्र’ में उन्होंने जनपदीय लोक-जीवन के अध्ययन के लिए दिशा-निर्देश किया था।
SKU: n/a -
Gita Press, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Kalyan Annual Number, Hindu-Sanskriti-Ank
यह विशेषांक भारतीय संस्कृतिके विभिन्न पक्षों – हिन्दू-धर्म, दर्शन, आचार-विचार, संस्कार, रीति-रिवाज पर्व-उत्सव, कला-संस्कृति और आदर्शोंपर प्रकाश डालनेवाला तथ्यपूर्ण बृहद् (सचित्र) दिग्दर्शन है। भारतीय संस्कृतिके उपासकों, अनुसन्धानकर्ताओं और जिज्ञासुओंके लिये यह अवश्य पठनीय तथा उपयोगी दिशा-निर्देशक है।
SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Kalyan Path
कर्तव्य-कर्म का समुचित रीति से पालन करते हुए अधिकार और फलासक्ति का त्याग कर भगवत्प्राप्ति का उद्देश्य वाला व्यक्ति स्वतः मुक्त है। स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज द्वारा प्रस्तुत यह पुस्तक कल्याण-पथ-पथिकों हेतु योग्य मार्गदर्शक है।
SKU: n/a