Bhartiya Sanskriti
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Govindram Hasanand Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Bhartiya Sanskriti ka Pravah
Govindram Hasanand Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनBhartiya Sanskriti ka Pravah
लेखक ने इस पुस्तक में भारत की संस्कृति के जीवन की गाथा सुनाने का यत्न किया है। भारत युग-युगांतरों के परिवर्तनों, क्रांतियों और तूफानों में से निकलकर आज भी उसी संस्कृति का वेष धारण किए विरोधी शक्तियों की चुनौतियों का उत्तर दे रहा है।
यद्यपि सदियों से काल चक्र हमारा शत्रु रहा है, तो भी हमारी हस्ती नहीं मिटी। इसकी तह में कोई बात है, वह बात क्या है? लेखक ने इन प्रश्नों का उत्तर देने का यत्न किया है।
यदि अतीत का अनुभव भविष्य का सूचक हो सकता है तो हमें आशा रखनी चाहिए की भविष्य में जो भी अंधड़ आयेंगे वह हमारी संस्कृति की हस्ती को न मिटा सकेंगे।SKU: n/a