ARSH SAHITYA PRACHAR TRUST
Showing all 3 results
-
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Maharishi Dayanand Sarswati Ka Jeevan Charitra
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणMaharishi Dayanand Sarswati Ka Jeevan Charitra
आर्य समाज के संस्थापक,आधुनिक भारत के महान चिन्तक एवं समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती जी का जीवन चरित्र | 19 वीं शताब्दी में ऋषि जीवन का महत्व, भारतीय इतिहास का काल-विभाजन, ऋषि दयानंद के अविर्भाव का परिस्तिथि, भौतिक तथा आरंभिक अशांति के परिणाम, शांतिदूत के आगमन के चिन्ह |
SKU: n/a -
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
THE MANUSMRITI (HB)
स्मृतियों या धर्मशास्त्रों में मनुस्मृति सर्वाधिक प्रामाणिक आर्ष ग्रन्थ है। मनुस्मृति का महत्त्व इसी से ज्ञात होता है कि इसे ऋषियों ने औषध कहा है – “मनुर्वै यत्किञ्च्चावदत् तद् भैषजम्” अर्थात् मनु ने जो कुछ कहा है, वह औषध के समान गुणकारी एवं लाभकारी है। शास्त्रकारों ने मनुस्मृति के महत्त्व को निर्विवाद रूप में स्वीकार करते हुए ही यह स्पष्ट घोषणा की है कि –
“मनुस्मृति-विरुद्धा या सा स्मृतिर्न प्रशस्यते। वेदार्थोपनिबद्धत्वात् प्राधान्यं हि मनोः स्मृतेः” – बृहस्पति स्मृति, संस्कार खंड 13-14
जो स्मृति मनुस्मृति के विरुद्ध है, वह प्रशंसा के योग्य नहीं है। वेदार्थों के अनुसार वर्णन होने के कारण मनुस्मृति ही सब में प्रधान एवं प्रशंसनीय है।
इस तरह दीर्घकाल से मनु का महत्त्व शिष्टजन स्वीकारते आ रहें हैं।
मनुस्मृति से न केवल वैदिक धर्मी प्रभावित थे अपितु बौद्ध मतावलम्बी भी प्रभावित थे। इसका एक उदाहरण उन्हीं के ग्रन्थ धम्मपद से देखिए –
“अभिवादनसीलस्य निच्चं बुढ्ढापचायिनो।
चत्तारो धम्मा वड्ढन्ति आयु विद्दो यसो बलम्”।।- धम्मपद 8.20
धम्मपद का ये श्लोक मनुस्मृति के निम्न श्लोक का पाली रूपान्तरण मात्र है –
“अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशो बलम्”।। – मनुस्मृति 2.121
बोद्ध महाकवि अश्वघोष ने भी अपनी कृति वज्रसूचिकोपनिषद् मे अनेक मनु के वचनों को उद्धृत किया है।
इस तरह मनुस्मृति का व्यापक प्रचार दृष्टिगोचर होता है लेकिन विगत कुछ वर्षों से मनुस्मृति का विरोध शुरू हो गया है। इसके निम्न कारण है –
मनु में शुद्र विरोधी श्लोकों का पाया जाना।
मनु में स्त्री विरोधी श्लोकों का पाया जाना।
कुछ अवैज्ञानिक और अवांछनीय तथ्यों का मनुस्मृति में प्राप्त होना।ये सब मनुस्मृति में उत्तरोत्तर काल में हुए प्रक्षेप का परिणाम है। मनुस्मृति में कौनसा श्लोक प्रक्षिप्त है और कौनसा सही, ये ज्ञात करने के लिए ऐसे अनुसंधात्मक कार्य की आवश्यकता है जो सकारण प्रक्षिप्त श्लोंकों का तार्किक विवरण प्रस्तुत कर सकें और मनुस्मृति के शुद्ध और वास्तविक स्वरूप का दिग्दर्शन करवा सकें।
इस विषय में डॉ.सुरेन्द्र कुमार जी ने मनुस्मृति पर अनुसंधान करते हुए, अनेक वर्षों के श्रम के पश्चात् मनुस्मृति का प्रस्तुत् भाष्य प्रकाशित किया है। प्रस्तुत् भाष्य में मनुस्मृति के प्रक्षिप्त श्लोंकों का निर्धारण निम्न मानदण्डों के आधार पर किया है –
अन्तर्विरोध या परस्परविरोध (2) प्रसंगविरोध (3) विषयविरोध या प्रकरणविरोध (4) अवान्तरविरोध (5) शैलीविरोध (6) पुनरुक्ति (7) वेदविरोध।
इन मानदण्डों के आधार पर प्रक्षिप्त श्लोक निर्धारित किए है।SKU: n/a -
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
VISHUDDHA MANUSMRITI (HB)
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिVISHUDDHA MANUSMRITI (HB)
मनुस्मृति पर अनुसंधान करने के पश्चात्, डॉ. सुरेन्द्र कुमार जी ने मनुस्मृति के दो संस्करण प्रकाशित किये हैं, जिनकें नाम क्रमशः – विशुद्ध मनुस्मृति और मनुस्मृति है। दोनों संस्करणों में प्रक्षिप्त श्लोकों पर विचार प्रस्तुत किया है और प्रयास किया गया है कि पाठकों के समक्ष मनुस्मृति के वास्तविक सिद्धान्त दृष्टिगोचर हो। अपितु दोनों संस्करण बहुत ही महत्त्वपूर्ण और पठनीय है, किन्तु इनमें जो मौलिक भेद है, उनमें से कुछ का उल्लेख निम्न पंक्तियों में करते हैं – – विशुद्ध मनुस्मृति में सभी प्रक्षिप्त श्लोकों को पृथक कर केवल मनु के मौलिक श्लोकों को ही प्रकाशित किया गया है। – मनुस्मृति में सभी उपलब्ध श्लोकों को रखा गया है किन्तु जो श्लोक प्रक्षिप्त है उनकें प्रछिप्त होने की समीक्षा भी की गई है। – विशुद्ध मनुस्मृति में श्लोकों की व्यवस्था, इस प्रकार की गई है कि पाठकों को मनु के उपदेशों को अविरलरूप से पढ़ने का आनन्द प्राप्त हो। – मनुस्मृति में श्लोकों को इस प्रकार रखा गया है कि पाठक प्रक्षिप्त और मौलिक श्लोकों में भेद कर तुलनात्मक अध्ययन करने में सक्षम होवें।
SKU: n/a