Religious & Spiritual Literature
Showing 625–648 of 923 results
-
Osho Media International, ओशो साहित्य
SATYA KA DARSHAN
प्रेम है दान स्वयं का आपको पता है ईश्वर के संबंध में? आप जानते हैं? पहचानते हैं? है भी या नहीं है, दोनों बातें आपको पता नहीं हैं। लेकिन बचपन से हम कुछ सुन रहे हैं। और उस सुने को हमने स्वीकार कर लिया है। और उस स्वीकृति पर ही हमारी खोज की मृत्यु हो गई, हत्या हो गई। जो आदमी स्वीकार कर लेता है, वह आदमी अंधा हो गया। ओशो
SKU: n/a -
Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shakuni
महाभारत एक ऐसी महागाथा है, जो कई मायनों में अद्भुत है। इसका हरेक पात्र अपने आप में बेहद अहम है और उसका अपना दृष्टिकोण है। यही वजह है कि महाभारत की मूल कथा को आधार बनाकर कथाकारों ने श्रीकृष्ण से लेकर भीष्म, कुन्ती, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर, कर्ण, द्रौपदी, गान्धारी, दुर्योधन, द्रोण, अश्वत्थामा आदि के चरित्र पर आधारित कथा व उपन्यास लिखे हैं। लेकिन इस महागाथा के एक बेहद अहम पात्र ‘शकुनि’ की न केवल अनदेखी की गयी है वरन् उसका चित्रण केवल और केवल खलनायक के रूप में ही किया गया है। हर खलनायक में एक नायक छुपा होता है, उसी प्रकार शकुनि के चरित्र का भी यदि सूक्ष्म अवलोकन किया जाये तो कई ऐसी बातें उभरकर आती हैं जो न केवल उसके चरित्र की नकारात्मकता को कम करती हैं, बल्कि कई बार तो उससे सहानुभूति भी होने लगती है। ये उपन्यास शकुनि को नायक के रूप में प्रस्तुत नहीं करता वरन् महाभारत की अहम घटनाओं को एक दूसरे दृष्टिकोण से देखने का एक प्रयास है।
SKU: n/a -
-
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shatapatha Brahmana in three volumes
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिShatapatha Brahmana in three volumes
प्रस्तुत ग्रन्थ में वेदार्थ और कर्मकाण्ड का अत्यन्त प्रसिद्ध, अति प्राचीन ग्रन्थ, महर्षि याज्ञवल्क्य और शाण्डिल्य मुनि की कृति मूल ग्रन्थ में 14 काण्ड हैं। 100 अध्याय और 7625 कण्डिकायें हैं। शतपथ ब्राहाण की दो शाखायें प्रसिद्ध हैं- माध्यन्दिनीय शाखा और काण्व शाखा है। प्रस्तुत हिन्दी अनुवाद
माध्यन्दिनीय शाखा का है।शतपथ ब्राहाण का अन्तिम काण्ड बृहदारण्यक उपनिषद् के नाम से विख्यात है, जो अध्यात्म की सर्वश्रेष्ठ रचना है। डॉ0 अलबेर्त वेबेर ने बड़े परिश्रम से माध्यन्दिनी शाखा के शतपथ ब्राहाण का स्वर-संयुक्त संस्करण बर्लिन से प्रकाषित, सन् 1849 में किया था, उसे ही हिन्दी अनुवाद के साथ दिया जा रहा है। स्वामी सत्यप्रकाष सरस्वती ने शतपथ ब्राहाण का सांस्कृतिक अध्ययन विस्तारपूर्वक अेग्रेजी में भी किया है।
SKU: n/a -
Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Shikhandi
पितामह ने बड़े उत्साह से कहा, “तुम लोग जानते ही हो कि तुम्हारी सेना में मेरे वध के लिए कौन सबसे अधिक उत्कण्ठित है।” “शिखण्डी।” सारे पाण्डव सहमत थे। पितामह हँस पड़े, “अम्बा ने ही पुनर्जन्म लिया है। वह अन्तिम बार विदा होते हुए कह गयी थी कि वह उस जन्म में मेरी हत्या न कर पायी तो दूसरा जन्म लेगी। लगता है शिखण्डी के रूप में आयी है, नहीं तो मुझसे क्या इतनी शत्रुता है शिखण्डी की। पता नहीं यह उनकी शत्रुता है या प्यार है। प्रेम नहीं मिला तो शत्रुता पाल ली। कौन जाने लोहा-चुम्बक एक-दूसरे के शत्रु होते हैं या मित्र। किन्तु वे एक-दूसरे की ओर आकृष्ट अवश्य होते हैं। शिखण्डी मेरी ओर खिंच रहा है।… शिखण्डी या शिखण्डिनी।…” पितामह हँसे, “शिखण्डी को अनेक लोग आरम्भ में स्त्री ही मानते रहे हैं। मैं आज भी उसे स्त्री रूप ही मानता हूँ। लगता है कि कुछ देय है मेरी ओर। अम्बा को उसका देय नहीं दे पाया। शिखण्डिनी को दूँगा। उसकी कामना पूरी करूँगा। उसे कामनापूर्ति का वर देता हूँ।” “पर वह अम्बा नहीं है तात! वह शिखण्डी है, द्रुपद का पुत्र । महारथी शिखण्डी। वह शस्त्रधारी योद्धा है। वह आपका वध कर देगा।” भीम के मुख से जैसे अकस्मात ही निकला। “जानता हूँ।” भीष्म बोले, “तभी तो उसे कामनापूर्ति का वर दे रहा हूँ।” “यह तो आत्मवध है पितामह!” कृष्ण बोले। “नहीं! यह तो मेरी मुक्ति है वासुदेव ! स्वैच्छिक मुक्ति! मेरे पिता ने मुझे यही वर दिया था।” वे जैसे किसी और लोक से बोल रहे थे, “मैं जब कुरुवंश का नाश रोक नहीं सकता, तो इस जीवन रूपी बन्धन में बँधे रहने का प्रयोजन क्या है। मैं स्वेच्छा से मुक्त हो रहा हूँ।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, रामायण/रामकथा
Shiv Ki Mahima
भगवान् शिव की महिमा अपरंपार है। पुराणों में उन्हें सृष्टि का जन्मदाता भी माना जाता है। कहते हैं, जब उन्होंने इस सृष्टि की रचना करने का मन बनाया तो स्वयं ब्रह्मा की उत्पत्ति की तथा उन्हें इस सृष्टि को बढ़ाने का आदेश दिया। भगवान् शिव की अनेक कथाओं का हमारे पुराणों में वर्णन मिलता है। उनकी अनेक चमत्कारी कथाएँ जन-जन में प्रचलित हैं। भगवान् शिव की कुछ चमत्कारी कथाओं को सरल भाषा व चित्रों के माध्यम से हमने इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। कथाओं को लिखते समय पूरा ध्यान रखा गया है कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुँचे। यदि फिर भी किन्हीं शब्दों से किसी भक्त को ठेस पहुँचती है तो हम उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं। हमें विश्वास है कि यह पुस्तक बाल पाठकों सहित प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए भी उपयोगी रहेगी।
SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shiv Stotra Ratnakar
भगवान् शिव के चरित्र बड़े ही उदात्त तथा अनुकम्पापूर्ण हैं। ये थोड़ी ही उपासना से प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देते हैं। इस पुस्तक में भक्तों के लिये उपयोगी भगवान् शिव के विभिन्न स्तोत्रों, स्तुतियों, सहस्रनाम तथा आरती आदि का सुन्दर संकलन किया गया है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, उपन्यास
Shivgiri
‘शिवगिरि’ कश्मीर की पृष्ठभूमि में रचित उपन्यास है और प्रधानतः आध्यात्मिक अन्वेषण के विषय को परखता है। यह न केवल एक उत्कृष्ट कथा है, अपितु प्रगाढ़ आंतरिक संदेशों से भी गर्भित है, जो विवेकी पाठकों के लिए अत्यंत रुचिकर होंगे। आदिशंकराचार्य की रचनाओं में अभिव्यक्त उनके दर्शन की यत्किंचित् व्याख्या एक गुरु और साधक के बीच संवाद के रूप में इस उपन्यास में प्रस्तुत है। गुरु पूछते हैं—‘‘तुम किसकी खोज कर रहे हो?’’ साधक उत्तर देता है—‘‘मैं उपनिषदों द्वारा व्याख्यायित उस आदर्श अवस्था की खोज में हूँ—वह अवस्था, जिसमें सारे दुःखों व संघर्षों का अंत होता है और जिसमें आनंद एवं निश्चिंतता का प्रकाश है।’’ ‘‘तुम्हारा अन्वेषण उचित है, अशोक! तुम वही खोज रहे हो, जो तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’’ गुरु कहते हैं।
सभी आयु वर्ग के पाठकों हेतु जानकारीपरक एवं अत्यंत रुचिकर उपन्यास।SKU: n/a