Prabhat Prakashan
Showing 409–432 of 596 results
-
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Pauranik Granthon Mein Nari Shakti Ki Kahaniyan (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Pauranik Granthon Mein Nari Shakti Ki Kahaniyan (PB)
क्या आप जानते थे कि असुरों को पराजित करने के लिए त्रिदेव सदैव देवियों की सहायता लेते थे?
क्या आप जानते थे कि इस संसार का पहला क्लोन एक स्त्री ने बनाया था?
भारतीय पौराणिक कथाओं में स्त्रियों की संख्या भले ही बहुत कम होगी, लेकिन प्राचीन ग्रंथों और महाकाव्यों में शक्ति और रहस्य की उनकी कहानियाँ बहुत अधिक हैं। उन्होंने राक्षसों का वध किया और अपनी आक्रामकता से अपने भक्तों की रक्षा की। इस संग्रह में पार्वती से लेकर अशोक सुंदरी तक और भामती से लेकर मंदोदरी तक, मोहक और निर्भयी स्त्रियों का वर्णन है, जो हर बार देवताओं के लिए युद्ध का नेतृत्व करती हैं, जो अपने परिवारों का आधार और अपने प्रारब्ध की निर्माता थीं।
भारत की चहेती और सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका सुधा मूर्ति आपको उन कहानियों के माध्यम से सशक्त बनाने वाली यात्रा पर ले जा रही हैं जिन्हें भुला दिया गया है, जिनमें उन उल्लेखनीय स्त्रियों की एक बड़ी संख्या है, जो आपको आपके जीवन में महिलाओं के गहरे प्रभाव की याद दिलाती हैं।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Pehla Sanatan Hindu (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Pehla Sanatan Hindu (PB)
Pehla Sanatan Hindu “”पहला सनातन हिंदू”” Book in Hindi- Ratneshwar
हम कौन हैं ? हमारे पूर्वज कौन थे ? हमनेकब, कैसे और किसकी प्रार्थना शुरूकी ? पहला सनातन हिंदू कौन है ? ये कुछसहज सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं । हालके दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) कीगहराइयों में हिमयुग के समय की बत्तीसहजार साल पुरानी कुछ सभ्यता-सामग्री केऐसे अवशेष मिले, जिससे हमें अपने प्रश्नों केजवाब मिलते दिखने लगे। विज्ञानियों-पुराविदों के नबीन शोध और खोज को केंद्र मेंरखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखी गई है।“पहला सनातन हिंदू” तीन उपन्यासों कीश्रृंखला का तीसरा उपन्यास है।
उन दिनों संसार में साभ्यतिक-सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोगहुए । संसार में इन्हीं लोगों ने पहली बार पत्थरोंका घर, नौका, हिमवाहन के साथ विविधआग्नेय-अस्त्रों का निर्माण किया । पहली बारईश्वर की अवधारणा के साथ प्रार्थना शुरू हुई ।पहले प्रेम के साथ संसार का पहला ग्रंथ उन्हींदिनों लिखा गया। परिवार की अवधारणा केसाथ संसार के पहले राज्य की स्थापना हुईऔर संसार को पहला सम्राट मिला ।
परग्रहियों ने होमोसेपियंस के डी.एन.ए.का पुनर्लेखन किया। कुछ विज्ञानियों औरपुराविदों ने क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार परसमुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड मेंसंरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उन्हें फिल्टरकिया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा कोडिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्राकंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकीआवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले कीपूरी कहानी सामने आई।
SKU: n/a -
Hindi Books, Others, Prabhat Prakashan
Phalit Sarovar
प्रत्येक व्यक्ति को अपने भविष्य में घटित होनेवाली शुभाशुभ घटनाओं को जानने की जिज्ञासा रहती है । यही कारण है कि आजकल शिक्षित युवकों में भी ज्योतिष के अध्ययन के प्रति रुचि जाग्रत् होती जा रही है ।
विद्वान् लेखक की पहली पुस्तक ‘ आधुनिक ज्योतिष ‘ बड़े-बड़े ज्योतिर्विदों के लिए भी वैज्ञानिक आधार सिद्ध हो चुकी है । प्रस्तुत है, ज्योतिष के फलित पक्ष पर लिखी गई उनकी एक और प्रामाणिक रचना, जिसमें उन्होंने राशियों, ग्रहों एवं भावों की शुभाशुभता, भावात् भावम् के सिद्धांत, सुदर्शन पद्धति, ग्रह दृष्टि भेद आदि अनेक जटिल प्रकरणों के अतिरिक्त ज्योतिष के एक सौ इक्कीस महत्त्वपूर्ण फलित सूत्रो को भी अनेक व्यक्तियों की जन्मकुंडलियों द्वारा सिद्ध किया है तथा साथ ही विभिन्न लग्नों की कुंडलियों में राशियों, भावों तथा ग्रहों के फल का भावेश, स्थिति एवं दृष्टि के आधार पर विवेचन करते हुए प्रत्येक भाव से संबंधित अनेक विशिष्ट योग भी प्रस्तुत किए हैं, जिससे पुस्तक की उपयोगिता कई गुना बढ़ गई है ।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रयास किया गया है कि पाठक निश्चित सिद्धांतों के आधार पर स्वयं अपनी जन्मकुंडली का अध्ययन कर अपनी जिज्ञासा शांत कर सकें ।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Pheriwala Rachnakar
आत्मकथा ईमानदारी माँगती है, जिसे यहाँ बखूबी निभाया गया है। जहाँ-जहाँ इस लेखक में कमजोरियाँ नजर आईं, पूरी ईमानदारी से उसने स्वीकार किया। लेखकीय जीवन के वे राज भी बयाँ हुए हैं, जिन्हें एक उम्र तक कलम की नोक तले दबाकर रखा गया। ‘कृष्ण की आत्मकथा’ का यह रचनाकार अपनी आत्मकथा में भी उन्हीं योगेश्वर के आशीर्वाद की प्रतिध्वनि सुनता नजर आया है, वरना अपनी आँखों से उस युग की तस्वीर कैसे देख सकता था, जिसे कृष्ण ने भोगा था। उस संत्रास का कैसे अनुभव कर सकता था, जिसे उस युग ने झेला था। उस मथुरा को कैसे समझ पाता, जो भगवान् कृष्ण के अस्तित्व की रक्षा के लिए नट की डोर के तनाव पर सिर्फ एक पैर से चली। उस दुखी ब्रज के प्रेमोन्माद को कैसे महसूस करता, जो कृष्ण के वियोग में विरहाग्नि बिखेर रही थी।
जिंदगी के इस महाभारत में लेखक जयी हुआ या पराजित, इसका उत्तर सिर्फ समय के पास है। मगर यह आत्मकथा इस बात की गवाह है कि यह लड़ाई उन्होंने पूरी शिद्दत, ईमानदारी और पराक्रम से लड़ी।
मनु शर्मा की यह आत्मकथा फेरीवाला रचनाकार कृष्ण तथा अन्य चरित्रों की आत्मकथाओं की तरह पाठकों के हृदय में स्थान बनाएगी। पूरी शिद्दत और आत्मीयता के साथ पढ़ी जाएगी, इसमें कोई संशय नहीं है। आत्मकथाओं की शृंखला में एक और पठनीय आत्मकथा।मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज हैं।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Phoolon Ki Boli
सिद्ध : ताँबे के चूर्ण को मल्लिका की आँच यानी अपनो सखो माया की सहायता से किसी बड़ी आँच में पिघलाकर पलाश के पत्तों के रस से मिला दिया जाय और फिर मुचकुंद का संयोग किया जाय तो चोखा सोना बन जाएगा।
कामिनी : मुचकुंद का संयोग क्या और कैसा?
सिद्ध : बस, स्वर्ण-रसायन में इतनी ही पहेली और है, थोड़ी देर में बतलाता हूँ; परंतु सोचता हूँ पहले हीरे-मोती बना दूँ। अपना सारा स्वर्ण लाओ।
दोनों : बहुत अच्छा।
( दोनों जाती हैं और थोड़ी देर में अपना सब गहना लेकर आ जाती हैं।)
सिद्ध : (गहनों को देखकर) तुम्हारे गहनों में कोई हीरे तो नहीं जड़े हैं?
कामिनी : नहीं, सिद्धराज।
माया : नहीं, महाराज।
सिद्ध : कोई मोती?
कामिनी : बहुत थोड़े से।
माया : मेरे पास तो बिलकुल नहीं हैं।
सिद्ध : कुमुदिनी, तुम अपने मोती गिन लो।
-इस पुस्तक से
स्वर्ण-रसायन के मोह और लोभ में हमारे देश के कुछ लोग कितने अंधे हो जाते हैं और सोना बनवाने के फेर में किस तरह अपने को लुटवा डालते हैं, यह बहुधा सुनाई पड़ता रहता है। वर्माजी ने उज्जैन के नगरसेठ व्याडि तथा कुछ अन्य के स्वर्ण-मोह और एक ठग सिद्ध एवं उसके शिष्य की कथा को आधार बनाकर यह नाटक लिखा है। निश्चय ही यह कृति पाठकों का भरपूर मनोरंजन करेगी।SKU: n/a -
English Books, Others, Prabhat Prakashan
Planets Between Fortune and Misfortune
“This book ‘Planets between Fortune and Misfortune‘ is such an instrument to Know the circumstances and conditions of life through astrology that leads to recognizing the signs of favorable and unfavorable circumstances. Those who believe in and practice Jyotish need it at every step. Yet, sometimes when a person with dexterity in this sphere Is not available, people have to face serious problems. In today’s life those having insufficient Knowledge and who have travelled frequently and Stayed in jungles and deserts they too face difficulties. This book will prove to be a pathfinder for them.
The sphere of astrology is quite enormous. One should have mastery over its different aspects to comprehend it satisfactorily. Unless and until one attains deep Knowledge and expertise his Sincerity and honesty remain dubious. Meanwhile, whatever I could gain through my study and experience I have put together in this book. I take no pride in doing so as I am not an erudite scholar who Is presenting his views to Impress readers of his merits and accomplishments. To me there is no difference between fame and the sun of a rainy day.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
POK : Bharat Mein Wapas
नई दिल्ली के पी.एम.ओ. में 21 सीटोंवाली टीक से बनी अंडाकार मेज के नीचे छह लोगों ने एक साथ अपनी मुट्ठियाँ भींच रखी थीं। आखिर कैसे उनकी प्रधानमंत्री उनसे इस लहजे में बात कर सकती हैं? आखिर कैसे संविधान ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री बनने की इजाजत देता है जिनके पास लोकसभा की 543 में से महज 35 सीट हैं?
भारत के प्रधानमंत्री का विमान इस्लामाबाद एयरपोर्ट से भारतीय समय के अनुसार सुबह 7:45 बजे उड़ान भरता है। उसे नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आई.जी.आई.ए.) पर भारतीय समय के अनुसार सुबह 9:10 बजे उतरना था। विमान जैसे अपने निर्धारित रूट से भटकने लगता है, आई.जी.आई.ए. एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर में हड़कंप मच जाता है।
इस्लामाबाद के दौरे पर पी.एम. के साथ रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और एन.एस.ए. भी गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय वायु सेना के प्रमुख से बात करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति कैबिनेट सचिव या रक्षा सचिव ही हो सकते थे। दोनों ने ही उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन कोई बात नहीं हो पाई।
भारतीय समय के अनुसार सुबह 9:45 बजे, युद्ध के लिए तैयार वेशभूषा में भारतीय सेना के जवान सेना के ट्रकों से नॉर्थ और साउथ ब्लॉक पहुँचने लगे। लुटियन की दिल्ली में फैले अन्य मंत्रालयों की इमारतों के बाहर भी जवान एकत्र हो रहे थे।
पाकिस्तान के समय अनुसार सुबह 9:45 बजे, यानी नई दिल्ली में भारतीय जनरलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त होने के करीब पाँच घंटे बाद और भारत के पचास से ज्यादा शहरों की सड़कों पर लाखों लोगों के सड़कों पर प्रदर्शन शुरू होने के लगभग दो घंटे बाद, प्रधानमंत्री इरफान खान ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक बैठक की अध्यक्षता की और बैठक में आगे की काररवाई की योजना तैयार की।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Political Mysteries
-10%Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Political Mysteries
The author, Mr. K.R. Malkani through this book, explains various political issues which had drastic effects on the world. Who hatched the conspiracy of killing Mahatma Gandhi? How the former Prime Minister of India. Lal Bahadur Shastri died in suspicious circumstances Under what mysterious circumstances was Pt. Deendayal Upadhyaya murdered? Why were me Kashmir Princess and Kanishka blown up? Likewise, there are many other issues with which the author has desk. These are the result of five years of his painstaking research that this book has tuned out to be an excellent source of information about various political assassinations as well mysterious happenings.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
Pratham Vishwa Yuddha
औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे, जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें तथा मशीनों से बनाई हुई वस्तुएँ बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाजों को डुबोया। इससे अमरीका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा, किंतु रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया। सन् 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और ऑस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवंबर, 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें। मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Pratirodh: The Resistance
“Cast in the backdrop of the Mughal era during the reigns of Aurangzeb and his successors, Pratirodh is a saga of the relentless resistance by a few brave men against a seemingly invincible Empire to protect their honour and way of life. In response to the rather partisan policies of Mughal emperors, a number of personalities came forward in different parts of Hindustan, to lead people in resisting the tyranny.
Though the geographical dispersion precluded any visible unified approach, they were indirectly benefitted by each other. When Aurangzeb got cowed down in Rajputana against the unified resistance of Marwar and Mewar, it provided much needed succour to the great Shivaji and Guru Govind Singh to regroup and consolidate forces in their respective areas. The credit for tying down the Mughals for the longest period in history goes to the Marathas; this also acted as a lifeline to the Sikhs, Rajputs, Bundelas and Jats. Rajputs and Sikhs repaid their debt to Marathas by keeping the Mughals, post Aurangzeb, completely embroiled in Punjab and Rajputana, and indirectly paving the way for an almost unchallenged rise of the Marathas.
The prolonged resistance witnessed the supreme sacrifices of numerous unsung heroes of medieval history. Through unmatched grit and determination, they succeeded in bringing down the mighty Empire to its knees, eventually leading to its demise.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Premyog (PB)
संसार में यह एक प्रेरक शक्ति है। मनुष्य जैसें -जैसें उन्नत्ति करता जायेगा, वैसें वैसें विवेक और प्रेम उसके जीवन में आदर्श बनते जायेंगे। भक्ति को अपना सर्वोच्च आदर्श बनाना चाहिए तथा संसार और इंद्रियों से धीरे धीरे अपना रास्ता बनाते हुए हमें ईश्वर तक पहुचना है अथार्थ् भक्ति, भक्त और भगवान तीनों एक है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Pulwama Attack Paperback
बीते सात वर्षों में हमारे देश में जो बड़ी घटनाएँ घटीं, उन्होंने न सिर्फ देश के लोगों का, बल्कि दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति से जुड़ी घटनाओं और तमाम हलचलों के दौर में शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो, जिसकी बात जनसामान्य ने अपनी दैनिक वार्त्ताओं में न की हो। इन घटनाओं में दुश्मन देश की क्रूरता भी दिखी तो देश के जाँबाज वीरों की वीरता भी; शूरवीरों के बलिदान ने देश को झकझोरा भी और बदले में हुई काररवाई ने गर्व करने के क्षण भी दिए।
पुलवामा में हमारी सेना के 40 जवानों पर हुए हमले ने देश को झकझोरकर रख दिया था। विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी के लिए हर देशवासी प्रार्थना कर रहा था। देश की सीमाओं पर आए दिन पाकिस्तान की ओर से कोई कायराना हरकत की जाती थी और भारत की ओर से उसका कड़ा जवाब भी बराबर दिया जाता रहा है।
पुलवामा और उसके इर्द-गिर्द हुई घटनाओं के बाद भारत ने जवाबी काररवाई में बालाकोट में आतंकियों के बेस को नेस्तनाबूत कर दिया और उसके बाद जम्मू-कश्मीर को संवैधानिक राज्य का दर्जा देते हुए धारा 370 को हटाया। ये सभी वे बड़ी घटनाएँ थीं जिनकी उम्मीद देशवासियों को भारत सरकार से थी।
ऐसी ही तमाम घटनाओं का संकलन है ‘पुलवामा अटैक’, जिसे विकास त्रिवेदी और स्मिता अग्रवाल ने वास्तविक घटनाओं को काल्पनिक आधार पर प्रस्तुत किया है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Puranon Ki Kathayen- Harish Sharma
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिPuranon Ki Kathayen- Harish Sharma
पुराणों की कथाएँ भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद, पुराण, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है। पुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है, परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है, ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है, वही पुराण है। वैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं, परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इस प्रकार, विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan
Pushpanjali
साधारण भाषा में कहें तो पाँच वि, यानी विरह, विछोह, विराग, विद्रोह या वियोगावस्था में मन की भावनाएँ जब लयबद्ध होकर प्रस्फुटित होती हैं तो कविता अवतरित होती है। प्रतिदिन के ऊहापोह वाली दिनचर्या में मुझे इतनी फुरसत तो नहीं मिलती कि मैं कुछ लिखूँ या पढ़ूँ, पर जब भी ज्यादा एकाकीपन महसूस होता है या मन खुश होता है तो उन भावनाओं को मैं अवश्य ही शब्दों का जामा पहना देती हूँ। तब ‘वक्त के आईने में जिंदगी’, ‘कौन आया था’, ‘आत्मचिंतन’ जैसी गूढ़ एवं दार्शनिकता से भरी कविताओं की रचना होती है।
मेरी कुछ कविताएँ, जैसे ‘पेड़ लगाओ, शहर बचाओ’, ‘पनिहारिन’, ‘छात्र या बेटियाँ’ किसी के आग्रह पर लिखी गई हैं। इसी तरह ‘गरमी का मौसम’, ‘समय’, ‘कुछ लिखने को है’, ‘घना कोहरा’, ‘तुम आ जाओ’, ‘फेसबुक’, ‘कश्मीर’, ‘वक्त नहीं है’, ‘सहयात्री एवं झाँसी की रानी’ इत्यादि की रचना भी परिस्थितिजन्य हुई है। ‘गंगा’ तो गंगा की उद्दाम और शांत लहरों को देखकर लिखी गई है। यह छोटी सी भूमिका है मेरी पुष्पांजलि की विभिन्न कडि़यों की, लेकिन मेरी अपने सुधी पाठकों से विनम्र आग्रह है कि वे मेरे एक-एक पुष्प के मकरंद का रसास्वादन यह जानते हुए करें कि लेखिका न तो साहित्य की प्राध्यापिका है और न ही उसमें पी-एच.डी.। मैं मूलतः विज्ञान की छात्रा रही हूँ, लेकिन कला एवं साहित्य से अपने विशेष जुड़ाव को छिपा भी नहीं पाती हूँ।
—अरुणिमा शर्माSKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual LiteratureRahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
It is a well-established fact that since Vedic astrology has its basis in Vedic knowledge, it is as old as human creation and has been used from time immemorial to dispel the unfounded horrors and prejudices of the human mind. Rahu and Ketu, the two nodal points of the Moon, constitute the core of Vedic astrology. Ancient Indian seers visualised the north and the south nodes of the Moon as the most interesting and mysterious planetary influences. However, Rahu and Ketu have either been ignored or misunderstood in studies of Vedic astrology.
This book is an attempt to dispel the darkness that surrounds Rahu and Ketu so that they can be better understood and their importance in Vedic astrology appreciated. By no means the final word on Rahu and Ketu, this book attempts to provide readers with a practical understanding of these two nodes so that they can be placed in perspective. The book also provides other insights into Vedic astrology. The use of horoscopes of some prominent persons makes an understanding of Rahu and Ketu easier both for astrology enthusiasts and for other readers.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Raja Bhoj Ki Kathayen
भारतीय इतिहास में सर्वािधक लोकप्रिय राजाओं की अग्रिम पंक्ति में
अपनी पहचान बनानेवाले राजा भोज को भला कौन नहीं जानता! सहनशीलता, दयालुता, न्यायिप्रय, प्रजापालक, वीर, प्रतापी आदि गुणों के स्वामी राजा भोज की वीरता, साहस और न्यायप्रियता की कहानियाँ आज केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि राजा भोज अपने काल के लोकनायक के रूप में भी विख्यात हो चुके थे। उनके जीवन से जुड़ी कहावत ‘कहाँ राजा भोज-कहाँ गंगू तेली’ बहुत लोकप्रिय है। इस कहावत के पीछे राजा भोज के जीवन से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियां
Raja Harishchandra Ki Kathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियांRaja Harishchandra Ki Kathayen
प्रस्तुत पुस्तक में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कुछ ऐसी ही कहानियों को संगृहीत किया गया है, जिनके द्वारा धर्म, सत्यता, संस्कार और प्रेम का ज्ञान प्रकट होता है। सरल भाषा एवं सुंदर चित्रों के साथ पुस्तक को आकर्षक एवं उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि राजा हरिश्चंद्र के जीवन की प्रेरित ये कहानियाँ बाल पाठकों में अवश्य ही धर्म, संस्कृति एवं सत्यता का संचार करने में सहायक होंगी।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rajyog (PB)
राजयोग-विद्या इस सत्य को प्राप्त करने के लिए, मानव के समक्ष यथार्थ, व्यावहारिक और साधनोपयोगी वैज्ञानिक प्रणाली रखने का प्रस्ताव करती है। पहले तो प्रत्येक विद्या के अनुसंधान और साधन की प्रणाली पृथक्-पृथक् है। यदि तुम खगोलशास्त्री होने की इच्छा करो और बैठे-बैठे केवल ‘खगोलशास्त्र खगोलशास्त्र’ कहकर चिल्लाते रहो, तो तुम कभी खगोलशास्त्र के अधिकारी न हो सकोगे। रसायनशास्त्र के संबंध में भी ऐसा ही है; उसमें भी एक निर्दिष्ट प्रणाली का अनुसरण करना होगा; प्रयोगशाला में जाकर विभिन्न द्रव्यादि लेने होंगे, उनको एकत्र करना होगा, उन्हें उचित अनुपात में मिलाना होगा, फिर उनको लेकर उनकी परीक्षा करनी होगी, तब कहीं तुम रसायनविज्ञ हो सकोगे। यदि तुम खगोलशास्त्रज्ञ होना चाहते हो, तो तुम्हें वेधशाला में जाकर दूरबीन की सहायता से तारों और ग्रहों का पर्यवेक्षण करके उनके विषय में आलोचना करनी होगी, तभी तुम खगोलशास्त्रज्ञ हो सकोगे।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Rakta Ka Kan-Kan Samarpit
विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार भारतवर्ष को देखकर आज किस भारतीय का सीना चौड़ा नहीं होता होगा; लेकिन आज बराबरी और सम्मान के जिस मुकाम पर हम खड़े हैं, वहाँ हम यों ही नहीं पहुँचे हैं। इसके लिए हमें अनगिनत कुरबानियाँ देनी पड़ी हैं, लाखों जवानियाँ काल-कोठरी के पीछे खुशी- खुशी कैद हुई हैं। उनमें से कुछ को ही हम जानते हैं और बाकियों की स्मृति कस्बों एवं गाँवों में सिमटकर रह गई है।
यह पुस्तक ऐसे ही गुमनाम स्वातंत्र्य साथकों के बारे में है, जिन्होंने अपना सर्वस्व भारतमाता की स्वाधीनता के लिए हँसते-हँसते न्योछावर कर दिया, पर वे इतिहास की नामचीन क्या, साधारण सी पुस्तकों का भी हिस्सा नहीं बन सके। वैसे यह उनको इच्छा भी नहीं थी कि उनका नाम हो, लेकिन आज को युवा पीढ़ी और स्कूली बच्चों को उनके बारे में जानना आवश्यक है कि वे कौन महापुरुष थे। ‘जरा याद उन्हें भी कर लो’ इसी उद्देश्य को लेकर कहानी-दर-कहानी मजबूती से आगे बढ़ती है। चिरंजीव सिन्हा की पुस्तक ‘ रक्त का कण-कण समर्पित” उत्तर प्रदेश के गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरक गाथाओं का पठनीय संकलन है।”
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Ram Manohar Lohia: Jeevan Aur Vyaktitva
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Ram Manohar Lohia: Jeevan Aur Vyaktitva
“इतिहास अध्ययन का वह स्त्रोत है, जो मानव जीवन, उसका लक्ष्य तथा उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किए गए विभिन्न प्रयासों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करता है। 1917 से 1947 तथा उसके बाद का कालखंड भारतवर्ष के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि इस युग में कई ऐसे महापुरुषों का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने अपनी कृतियों के द्वारा इतिहास में स्वर्णिम स्थान प्राप्त किया।
ऐसे ही महापुरुषों में डॉ. राम मनोहर लोहिया का नाम स्तुत्य है, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में, उसके आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोहिया का दर्शन शाश्वत है, जो देश व काल की परिधि से ऊपर है। उनके विचारों को हम विश्व-राजनीति में परिलक्षित होते देख रहे हैं। भारतीय राजनीतिज्ञ उनके चिंतन-वर्धन से अत्यधिक प्रभावित तो हैं ही, साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनके समाजवादी आंदोलन ने जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे बहुआयामी राम मनोहर लोहिया पर यह पुस्तक पाठकों और भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगी।”SKU: n/a