Prabhat Prakashan
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Narad Muni Ki Aatmkatha
‘नारद मुनि की आत्मकथा’ पुस्तक में कुल मिलाकर छोटे-बड़े ऐसे छियालीस वृंत हैं, जो देवर्षि नारद के अपने मुखार-विंद से निसृत हुए और जिन्हें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास एवं गोस्वामी तुलसीदास ने पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न स्थलों पर प्रस्तुत किया है। इन आयानों से पता चलता है कि नारदजी की कथनी-करनी न केवल भेद रहित है, बल्कि सर्वत्र सात्विक और मधुर है। वे एक ओर लोक-कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, तो दूसरी ओर दक्ष-पुत्रों, वेदव्यास, वाल्मीकि, राजा बलि, बालक ध्रुव, दैत्य पत्नी कयाधू का हित साधन करते हैं और जहाँ आवश्यक समझते हैं, वहाँ ज्ञान देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
इन सब नेक और शुभ कर्मों को करते हुए भी वे राम और कृष्ण एवं विष्णु रूप अपने ‘नारायण’ को कभी विस्मृत नहीं करते। बहुआयामी सकारात्मक व्यतित्व वाले देवर्षि नारद, बिना भेदभाव के सभी से मधुर व्यवहार करते हुए व्यष्टि और समष्टि के कल्याण हेतु तत्पर रहते हैं। इसीलिए या देव, दानव और राक्षस, तो या मनुष्य, उनका आदर और सम्मान करते हैं। ऐसे दुर्लभ गुण एवं विशेषताओं वाले नारद मुनि श्रीकृष्ण के लिए भी स्तुत्य हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Narrative ka Mayajaal (PB)
-17%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Narrative ka Mayajaal (PB)
आखिर हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है ? क्या भारत 15 अगस्त, 1947 से पहले एक राष्ट्र नहीं था ?
क्या भारत में बहुलतावाद, लोकतंत्रऔर पंथनिरपेक्षता, विदेशियों द्वारा दिया गया कोई उपहार है ? क्या ब्रितानियों ने हमें देश का स्वरूप दिया ? क्या आक्रांताओं को राष्ट्र-निर्माता कह सकते हैं? द्विराष्ट्र सिद्धांत की सच्चाई क्या है ? क्यों छल-बल से समाज में मतांतरण अब भी जारी है ? क्यों देश का एक राजनीतिक वर्ग बहुसंख्यकों को तोड़ने हेतु उन्हें जातियों मेंबाँटकर टकराव, तो अल्पसंख्यकों को मजहब के नाम पर एकजुट रखने का प्रयास करता है? किसने ब्राह्मणों का दानवीकरण किया?
हिंदुत्व पर कैसे विषवमन करके फर्जी हिंदू/भगवा आतंकवाद का नैरेटिव बनाया गया ? जब भगवान् श्रीराम सनातन भारत की सांस्कृतिक पहचान हैं, तो उनकी जन्मभूमि अयोध्यामें मंदिर निर्माण में लगभग 500 वर्ष क्यों लग गए ?
इस प्रकार के कई प्रश्नों के उत्तर और उनमें से जनमे अन्य प्रश्नों का उत्तर क्या हो सकता है, यह सब विमर्श (नैरेटिव) सुनिश्चित करता है।
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Hindi Books, Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Naxalwad Aur Samaj
-15%Hindi Books, Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Naxalwad Aur Samaj
प्रस्तुत पुस्तक, नक्सलवाद और समाज पर लेखक के नक्सलियों और उनके परिवारों के भावपूर्ण अध्ययन का परिणाम है। यह अध्ययन एक पुलिस अधिकारी के रूप में उनके अनुभवों और बचपन की उनकी यादों से फलीभूत हुआ है। लेखक का जन्मस्थान नक्सलवाद के कुख्यात केंद्र के निकट हुआ; अत: बाल्यकाल से हुए अनुभव के आधार पर लिखी इस पुस्तक में उन्होंने नक्सलवाद और एक नक्सली के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला है। नक्सलवाद के विभिन्न पहलुओं को समझने में इसने काफी मदद की है। एक प्रकार से इसे नक्सलवाद एनाटॉमी कहा जा सकता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Nazarband Loktantra
लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है, न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-‘ ‘ यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार, समर्पित, सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । ” इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है, न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-‘ ‘ यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार, समर्पित, सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । ” इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।
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Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Neeti Aur Ramcharit
मूलत: यह पुस्तक ‘स्वान्त: सुखाय’ ही लिखी गई है। एक और लक्ष्य भी रहा है। वह है भारत तथा विदेशों में रहती भारत-मूल की युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय पारंपरिक ज्ञान से परिचित कराना।
रामचरितमानस ज्ञान का भंडार है। इस ‘दोहा शतक’ में रामचरितमानस से मूलत: ऐसे दोहों या चौपाइयों का चयन किया गया है, जो साधारण मनोविज्ञान पर आधारित हैं। इन दोहों-चौपाइयों को हिंदी में दिया गया है, साथ-साथ उनका अंग्रेजी में अनुवाद भी दिया गया है। इस कारण जो पाठक हिंदी से भली-भाँति परिचित नहीं हैं, उन्हें भी इन दोहो-चौपाइयों में छिपे ज्ञान का लाभ मिल सके। विद्वान् लेखक ने अपने सुदीर्घ अनुभव और अध्ययन के बल पर अपनी टिप्पणी भी लिखी है, जिन्हें पाठकगण अपने जीवन-अनुभवों व विचारों के अनुसार उन्हें आत्मसात् कर सकते हैं।
मानस के विशद ज्ञान को सरल-सुबोध भाषा में आसमान तक पहुँचाने का एक विनम्र प्रयास।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
Nehru Banam Subhash
सुभाष को यकीन था कि वे और जवाहरलाल साथ मिलकर इतिहास बना सकते हैं, मगर जवाहरलाल अपना भविष्य गांधी के बगैर नहीं देख पा रहे थे।
यही इन दोनों के संबंधों के द्वंद्व का सीमा-बिंदु था।
एक व्यक्ति, जिसके लिए भारत की आजादी से अधिक और कुछ मायने नहीं रखता था और दूसरा, जिसने अपने देश की आजादी को अपने हृदय में सँजोए रखा, मगर इसके लिए अपने पराक्रमपूर्ण प्रयास को अन्य चीजों से भी संबंधित रखा और कभी-कभी तो द्वंद्व-युक्त निष्ठा से भी।
सुभाष और जवाहरलाल की मित्रता में लक्ष्यों की प्रतिद्वंद्विता की इस दरार ने एक तनाव उत्पन्न कर दिया और उनके जीवन का कभी भी मिलन न हो सका।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासNehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan
चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ””जवाहरलाल नेहरू (एएस/103)
किसी ने ठीक ही कहा है : नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे।
अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं; और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता। और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है।
इस पुस्तक में नेहरू की मूर्खतापूर्ण भूलों का प्रयोग ‘एक सामान्य शब्द के रूप में विफलताओं, लापरवाहियों, गलत नीतियों, खराब फैसलों, निंदनीय या अशोभनीय कृत्यों, अनर्जित पदों को हड़पने आदि के लिए भी किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू की आलोचना करना नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को, जिन्हें अकसर तोड़ा-मरोड़ा गया या छिपाया गया या दबा दिया गया, व्यापक करना है, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों, और भारत का भविष्य उज्ज्वल बन सके ।
हो सकता है कोई कहे : नेहरू पर हायतौबा मचाने की जरूरत क्या है ? उन्हें गए तो बरसों हो गए । बरसों हो गए शारीरिक रूप से, किंतु दुर्भाग्य से उनकी अधिकतर सोच और नीतियाँ अब भी जीवित हैं । यह समझना जरूरी है कि उन्होंने गलत रास्ते को चुना । पर देश को उन विचारों से मुक्त होकर आगे बढ़ना पड़ेगा, जिनमें से अधिकांश अब भी जारी हैं ।
यह पुस्तक वर्तमान समय के लिए भी अत्यधिक प्रासंगिक है।
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Netaji Subhas Chandra Bose (PB)
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। बचपन से ही सुभाष पढ़ाई में बडे़ कुशाग्र बुद्धि के थे। इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटने पर सुभाष कलकत्ता के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काम करना चाहते थे। उन दिनों गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा था। उनके साथ सुभाष बाबू उस आंदोलन में सहभागी हो गए और जल्द ही देश के एक महत्त्वपूर्ण युवा नेता बन गए। सन् 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो कलकत्ता में सुभाष बाबू ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष बाबू गांधीजी और कांग्रेस के तौर-तरीकों से असहमत थे। गांधीजी के विरोध के बावजूद वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, पर कार्यकारिणी का सहयोग न मिलने पर उन्होंने त्याग-पत्र दे दिया। नजरबंदी में ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर वे जापान पहुँचे और आजाद हिंद फौज की स्थापना की। उन्होंने नारा दिया-‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’ उन्होंने भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष किया। सुभाष की राष्ट्रभक्ति बेमिसाल है। उनकी मृत्यु के बारे में अभी तक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि 23 अगस्त, 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। राष्ट्रनायक सुभाष बाबू आज भी अदम्य प्रेरणा के स्रोत हैं।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Operation Blue Star Ka Sach (PB)
ऑपरेशन ब्लू स्टार संसार की अत्यंत विवादग्रस्त एवं चर्चा का ज्वलंत विषय बननेवाली सैन्य काररवाइयों में से एक है, जो निश्चित ही समकालीन भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ समझी जाएगी।
यह पुस्तक उस सैन्यअधिकारी की ओर से प्रस्तुत किया गया विवरण है, जिसने इस काररवाई का नेतृत्व किया था। इसमें दिल को छूनेवाले, मर्मांतक, छोटे-छोटे अनेक सूक्ष्म विवरण पेश किए गए हैं। इस पुस्तक में कुछ भी छिपाया नहीं गया है, न उन नाकामयाबियों के बारे में, जिनका सेना को मुँह देखना पड़ा; न सेना की कमियों को; न उन अतिवादियों की शिद्दत तथा दृढता, जिन्हें बाहर निकालने का काम सेना को सौंपा गया था।
अनेक काल्पनिक कहानियों, आलोचनाओं तथा अर्ध-सच्चाइयों का जोरदार खंडन करते हुए इसमें हिम्मत से बहुत सारे ऐसे सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो सिर्फ सिखों को ही नहीं, सारे भारतीयों को परेशान करते हैं।
लेखक—जो काररवाई को योजनाबद्ध करने तथा इसे व्यावहारिक रूप देने के प्रत्येक पड़ाव पर इसमें शामिल रहा—शायद यही एक ऐसा व्यक्ति है, जो सचमुच यह जानता है कि 5 जून, 1984 की अनहोनी भरी रात को ठीक-ठीक क्या घटा। यही इस पुस्तक में वर्णित है। संपूर्ण सच, सच्चाई के अलावा और कुछ भी नहीं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Operation Khatma (PB)
सन् 1990 के दशक में जम्मू और कश्मीर में ‘आजादी’ और ‘जेहादी’ तत्वों के बीच प्रधानता की लड़ाई चल रही थी, जिसमें आम नागरिक झुलस रहा था। ‘आजादी’ समर्थक जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जे.के.एल.एफ.) को ‘जेहादी’ हिजबुल मुजाहिदीन (एच.एम.) से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। दोनों आतंकी संगठन पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली थे। जे.के.एल.एफ. और एच.एम. की प्रतिस्पर्धा में सनसनीखेज मोड़ तब आया जब जे.के.एल.एफ. ने 1996 में श्रीनगर स्थित पाक हजरत बल दरगाह पर कब्ज़ा कर लिया। राज्य सरकार आतंकवादियों से लगातार मुँह की खा रही थी, पर इस बार उसने उन्हें आड़े हाथों लेने का फैसला किया। जम्मू और कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने पहली बार आतंकियों को खत्म करने का बीड़ा उठाया। आतंकी पाक दरगाह में थे, इसलिए ऑपरेशन बेहद संवेदनशील था। कैसे हुई यह सर्जिकल स्ट्राइक? कैसे आतंकवाद की कमर तोड़ी गई, जिससे कश्मीर में दस साल बाद संसद् और विधानसभा के चुनाव हो पाए। ‘ऑपरेशन खात्मा’ आतंकवाद पर लिखा ग्राफिक फर्स्ट हैंड थ्रिलर है, जो एक साहसिक कदम से परिचित कराता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Operation Yoddha (PB)
अर्जुन एक होनहार लड़का है, जो सेना में जाने के सपने देखता है। लेकिन आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में अचानक ही मिली सफलता उसे दुविधा में डाल देती है। हमेशा साथ निभानेवाला उसका परिवार उसे इस उलझन से निकालता है और उसके सपनों को पूरा करने में मदद करता है।
नेशनल डिफेंस एकेडमी में उसकी दोस्ती तीन अन्य प्रशिक्षुओं से होती है और ये दोस्ती जीवन भर के लिए हो जाती है। आखिरकार, उसे भारतीय सेना की सबसे गुप्त और घातक टीम ‘टीम-ए’ का हिस्सा बनने का मौका दिया जाता है।
अर्जुन अपना जीवन देश के प्रति समर्पित कर देता है और कई प्राणघातक अभियानों को पूरा करता है। लेकिन एक खतरनाक आतंकवादी हमला अर्जुन को उन सारी बातों पर सवाल करने के लिए मजबूर कर देता है, जिन्हें उसने सीखा और जिन्हें वह पसंद करता था। अपने देशवासियों के कदमों से उसे घोर निराशा होती है और वह अपना वतन छोड़ने का फैसला करता है।
लेकिन इससे पहले कि वह अपना सामान बाँधता और देश को अलविदा कहता, 200 से अधिक यात्रियों वाले एक विमान को एक अज्ञात गिरोह हाईजैक कर लेता है। सिर्फ वही उन्हें बचा सकता है। पर क्या कड़वाहट से भर चुका अर्जुन अपनी और अपनी टीम के लोगों की जान एक बार फिर जोखिम में डालेगा?
भारतीय सेना के जाँबाज वीरों के पराक्रम, समर्पण और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत प्रेरणाप्रद पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Over The Top (PB)
Over The Top “ओवर द टॉप” : OTT ka Mayajaal Book in Hindi – Anant Vijay
ओवर द टॉप (ओ.टी.टी.) प्लेटफॉर्म हमारे देश के लिए मनोरंजन का अपेक्षाकृत नया माध्यम है। इस माध्यम को हमारे देश में आरंभ हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। देश में इंटरनेट का बढ़ता घनत्व और डाटा सस्ता होने के कारण इस प्लेटफॉर्म की व्याप्ति बढ़ी है। कोरोना महामारी के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन ने भी इस माध्यम को लोकप्रिय बनाया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों और ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों के बीच ओ.टी.टी. के कंटेंट को लेकर विचारों का आदान-प्रदान होता रहा है। ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जानेवाली सामग्री के विनियमन को लेकर जो त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई गई थी, उसके परिणाम संतोषजनक नहीं दिखाई दे रहे हैं। न तो अश्लीलता रुक रही है और न ही विवादित प्रसंग।
ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जानेवाली सामग्री में गालियों की भरमार, यौनिकता और नग्नता का प्रदर्शन, जबरदस्त हिंसा और खून- खराबा, अल्पसंख्यकों की स्तिथि को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ, कई बार सैनिकों की छवि खराब करने जैसे प्रसंग भी सामने आते रहे हैं।
अभिव्यक्त की रचनात्मक स्वतंत्रता और यथार्थ की आड़ में नग्नता एवं गाली-गलौज दिखाने का चलन कम नहीं हुआ। संसदीय समिति ने ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म पर दिखाई जानेवाली अश्लीलता पर चिंता प्रकट की थी। समिति के अधिकांश सदस्यों का मानना था कि इनमें दिखाई जानेवाली सामग्री भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है।
ओ.टी.टी. के सभी पक्षों पर विश्लेषणात्मक विवरण देती विचारप्रधान पुस्तक।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Paap Aur Punya
यशस्वी रचनाकार स्व. गुरुदत्त ने रसायन विज्ञान (कैमिस्ट्री) में एम.एस-सी. करने के पश्चात् आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया, साथ-ही-साथ भारतीय आर्षषष ग्रंथों का गहन अध्ययन किया।
उन्होंने अपने पाठकों को अपने उपन्यासों के पात्रों के माध्यम से इन ग्रंथों का ज्ञान अत्यंत रुचिकर ढंग से दिया। प्रस्तुत उपन्यास ‘पाप और पुण्य’ की पात्र श्रीमद्भगवद्गीता के संदर्भ से पाप और पुण्य को परिभाषित करती है। वह समझाती है कि कुछ कार्य पाप नहीं होते, परंतु कानून की दृष्टि में अपराध होते हैं । इसी प्रकार कई कार्य कानून की दृष्टि में अपराध न होते हुए भी पाप होते हैं। ऐसा क्यों है ? यही इस उपन्यास का विषय है।
रोचकता से भरपूर कथा वर्तमान कानून व्यवस्था पर करारी चोट करती है। लेखक अपने इस पठनीय उपन्यास के पात्रों के माध्यम से हमें उस राह पर चलने का परामर्श देते हैं, जो न पापमय हों और न ही वर्तमान कानून की दृष्टि में अपराध हों। उपन्यास की तेज गति पाठक को बाँधकर रखती है और वह इसे आरंभ कर समाप्त किए बिना नहीं छोड़ सकता ।
–पद्मेश दत्तSKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Pakistan-Bangladesh : Aatankvad Ke Poshak
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Pakistan-Bangladesh : Aatankvad Ke Poshak
पिछले बीस वर्षों में भारत में आतंकवादी हिंसा में 60 हजार से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं। उनमें बूढ़े व जवान,स्त्रियाँ व बच्चे और गरीब व निस्सहाय भी शामिल हैं; और यह सब जेहाद के नाम पर हो रहा है। ऐसी कौन सी बात है, जो अल्लाह के वफादारों को ‘हत्यारे’ के रूप में तैयार कर रही है? पाकिस्तान के ‘गैर-मजहबी’ स्कूलों व मदरसों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के मन-मस्तिष्क में क्या घोला जा रहा है? पाकिस्तान में शासन कर रही संस्थाओं का इसलाम-पसंद पार्टियों और आतंकवादी संगठनों के साथ क्या संबंध है? क्या हमें पाकिस्तान के राष्ट्रीय और सामाजिक स्वरूप पर नजर डालनी चाहिए?
भारत के एक बड़े हिस्से पर बँगलादेशी घुसपैठियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। देश की सुरक्षा पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है? हमारे पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी और इसलामिक संगठनों को कौन जोड़ रहा है? बँगलादेश में तेजी से बढ़ रही कट्टरवादिता से क्या खतरा उत्पन्न हुआ है? आतंकवाद से निपटने में हम कहाँ चूके और इससे हमने क्या-क्या सबक सीखे हैं?
ऐसे और भी अनेक गंभीर प्रश्न हैं, जिनके उत्तर वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरुण शौरी की यह पुस्तक देती है। इसमें पाकिस्तान व बँगलादेश का आतंकवादी चेहरा तो बेनकाब हुआ ही है, उनकी करतूतों का कच्चा चिट्ठा भी खुला है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, कहानियां, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Panch Pandav
प्रस्तुत पुस्तक पाँच पांडवों के व्यक्तित्व तथा उनके जीवन पर आधारित है। महाभारत के अनुसार पाँचों पांडव राजा पांडु के पुत्र थे। सबसे बड़े पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर, भीमसेन तथा अर्जुन पांडु की पहली पत्नी रानी वुंक्तती से उत्पन्न हुए तथा नकुल और सहदेव राजा पांडु की दूसरी रानी माद्री के पुत्र थे। पाँचों पांडवों का लालन-पान रानी वुंक्तती ने ही किया था। बचपन से ही पाँचों पांडव शूरवीर, बलशाली, नीतिवान, बुद्धिमान तथा विवेकी थे। महाभारत में पाँचों पांडवों के जीवन से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनके माध्यम से इनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है।
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Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Paramhans Ek Khoj
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांParamhans Ek Khoj
युगावतार श्री श्री रामकृष्ण की लीलाकथा को केंद्रित करते हुए उन्नीसवीं सदी के अंतिम पर्व से लेकर अनेक जीवनी, कथामृत, पुस्तक, काव्य, नाटक, यात्रा, चलचित्र इत्यादि की रचना की गई है।
इतिहास की मर्यादा को पूरी तरह अक्षुण्ण रखकर, मृत्युंजयी साहित्य सृजनकर्ताओं के मार्गदर्शन, कल्पना और सत्य घटनाओं पर आधारित इस उपन्यास की रचना की है इस युग के प्रिय लेखक शंकर ने, जिनकी पूर्व प्रकाशित कृतियों को पाठकों की भरपूर सराहना मिली।
इस रहस्य उपन्यास में कई काल्पनिक चरित्रों का समावेश किया गया है, कई चरित्र इतिहास से जुड़े हैं, विशेषकर वे भाग्यशाली पुरुष जो 16 अगस्त, 1886 में श्रीरामकृष्ण के समाधि पर्व में काशीपुर उद्यान वाटी में उपस्थित थे। इनमें कई लोगों की दुर्लभ तसवीरों ने इस गं्रथ का महत्त्व और भी बढ़ा दिया है।
रामकृष्ण-विवेकानंद की भावधारा के रूप में शंकर की पहली पहचान बनी सन् 1942 में, जिसके 40 साल पहले बेलूर में विद्रोही, विप्लवी, जन-गण-मन विवेकानंद महासमाधि में लीन हुए थे।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Paramveer Albert Ekka- 1971 Ke Nayak
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणParamveer Albert Ekka- 1971 Ke Nayak
“सन 1971 के मार्च महीने से लेकर दिसंबर तक के नौ महीनों के मुक्तियुद्ध का परिणाम है बांग्लादेश। मार्च के महीने में ही स्थितियाँ बिगडऩी शुरू हो गई थीं। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच कड़वाहट और तेज हो गई थी।
यह कहानी उसी अल्बर्ट एक्का की है, जिस अल्बर्ट ने 1962 के चीन के साथ युद्ध में भाग लिया और 1971 के युद्ध में भी, लेकिन 1971 के युद्ध में वे शहीद हो गए। 44 साल बाद उनकी मिट्टी उनके गाँव आई और 46 साल बाद उनकी कथा लिपिबद्ध की जा रही है। इस दीर्घावधि सालों में शंख और महानंदा में न जाने कितना पानी बह गया। परमवीर के संगी-साथी उनके बचपन की यादें-बातें बताने को रहे नहीं। गाँव वैसा ही है, जैसा वे छोड़ गए थे। परमवीर का परिवार संघर्ष करते हुए आगे बढ़ता रहा।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. शिवप्रसाद सिंह का एक लेख, डॉ. धर्मवीर भारती का चर्चित यात्रा-वृत्तांत और एक रिपोर्ट भी है। इनके साथ ही विष्णुकांत शास्त्रीजी का एक रिपोर्ताज भी यहाँ दिया जा रहा है। इन रचनाओं से गुजरते हुए पाठक उस समय के कराह, द्वंद्व, संघर्ष और नरसंहार को भीतर तक महसूस कर सकेंगे। एक ही धर्म के माननेवाले कैसे एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे। दुनिया में यह अकेला युद्ध था, जिसकी पृष्ठभूमि में धर्म नहीं, भाषा थी।
धर्म के आधार पर बँटा यह देश भाषा के कारण अलग हो गया। 1971 के युद्ध के हीरो, बांग्लादेश बनाने में सहायक रहे जाँबाज परमवीर अल्बर्ट एक्का की रोमांचक और प्रेरक कहानी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Parivartansheel Vishwa Mein Bharat Ki Ranneeti
वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से लेकर वर्ष 2020 के कोरोना महामारी तक का दशक वैश्विक व्यवस्था में एक वास्तविक परिवर्तन का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बुनियादी प्रकृति और नियम हमारी नजरों के सामने बदल रहे हैं।
भारत के लिए इसके मायने अपने लक्ष्यों को सर्वश्रेष्ठ तरीके से आगे बढ़ाने के लिए सभी प्रमुख शक्तियों के साथ संबंधों को सर्वोत्कृष्ट करने से है। हमें अपने नजदीकी व विस्तारित पड़ोस में भी एक दृढ़ और गैर-पारस्परिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। एक वैश्विक पहचान, जो भारत की वृहद् क्षमता और प्रासंगिकता के साथ इसके विशिष्ट प्रवासी समुदाय का लाभ उठाए, अभी बनने की प्रक्रिया में है। वैश्विक उथल-पुथल का यह युग भारत को एक नेतृत्वकारी शक्ति बनने की राह पर ले जाते हुए इससे और अधिक अपेक्षाओं की जरूरत पर बल देता है।
‘परिवर्तनशील विश्व में भारत की रणनीति’ में भारत के विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने इन्हीं चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए संभावित नीतिगत प्रतिक्रियाओं की व्याख्या की है। ऐसा करते समय वे भारत के राष्ट्रीय हित के साथ अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का संतुलन साधने में अत्यंत सतर्क रहे हैं। इस चिंतन को वे इतिहास और परंपरा के संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं, जो कि एक ऐसी सभ्यतागत शक्ति के लिए, जो वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को पुनः हासिल करने की तलाश में है, सर्वथा उपयुक्त है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Parivrajak: Meri Bhraman Kahani
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनParivrajak: Meri Bhraman Kahani
“स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। हिंदू धर्म में घोर आडंबर और अंधविश्वासों का बोलबाला हो गया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक पूर्ण पहचान प्रदान की। इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म संसद् में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलाई।
प्रस्तुत पुस्तक ‘परिव्राजक: मेरी भ्रमण कहानी’ में स्वामीजी ने अपनी यूरोप यात्रा के माध्यम से सरल शब्दों में तत्कालीन इतिहास, कला, समाज, जीवन-दर्शन इत्यादि का अत्यंत रोचक वर्णन प्रस्तुत किया है। इनके माध्यम से व्यक्ति अपने तत्कालीन ज्ञान-दर्शन को सहज ही प्रशस्त कर सकता है। स्वामी विवेकानंद की यात्रा-वृत्तांत की यह पुस्तक हमें सांस्कृतिक-सामाजिक यात्रा का आनंद देगी।”
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Partitioned Freedom Hardcover
At the stroke of the midnight on 14-15 August 1947, India secured independence. That moment also witnessed the tragic partition of India and birth of Pakistan. Nobody wanted it. Yet it couldn’t be averted.
Four decades earlier, in 1905, Bengal was partitioned by the British. A massive movement, called Vande Mataram Movement, was launched against it by the Indian National Congress. British were forced to annul partition of Bengal in 1911.
A country that defeated the British designs to partition one province failed when the whole country was being partitioned four decades later. Why? What missteps had led to the disaster? Who were responsible?
‘Partitioned Freedom’ explores answers to these questions.
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Patan (PB)
उपन्यास “पतन’ एक कहानी के साथ- साथ भारत की राजनीति में घटनेवाली बड़ी घटनाओं को सही समय और काल के साथ व प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत करता है। देश के राजनीतिक पटल पर बदलते दृश्यों को लेकर लेखक के रूप में मेरी एक राय हो सकती है, एक दृष्टिकोण हो सकता है, किंतु घटनाओं के तथ्य, काल, चाल और चरित्र को हू-ब-हू प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। फिर चाहे वह 1975 की इमरजेंसी के भीतर का सच हो, जनता पार्टी की सतबेझडी हाँड़ी का फूटकर बिखरना उसकी स्वाभाविक परिणति हो, इंदिरा गांधी के द्वारा जनता पार्टी को तोड़ने का सफल षड़्यंत्र हो, मंडल आयोग के कारण पूरे देश के उपद्रव हों, लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा हो, नरसिम्हा राव का हवाला हो, अटल बिहारी की सरकार का बहुमत साबित न कर पाने के कारण तेरह दिन में और फिर तेरह महीने में सत्ता से बेदखल होना हो या छह साल के सफल नेतृत्व के बाद भी अटल सरकार को जनता के द्वारा नकारकर आर्थिक घोटालों के कारण चर्चा में रहे सोनिया गांधी के नेतृत्ववाली मनमोहन सरकार की स्वीकार्यता के दस वर्ष हों। उपन्यास पतन में स्वतंत्र भारत में नेहरू- काल के बाद के इतिहास की नकारात्मकता और सकारात्मकता को उल्लेखित किया गया है।
‘पतन’ में एकात्म मानवतावाद, साम्यवाद, समाजवाद और नक्सलवाद को गहन चिंतन और वार्त्ताओं के माध्यम से खँगालने का भी सफल प्रयास किया गया है।
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Patna Mein 1857 Ki Bagawat
विलियम टेलर ने सन् 1857 में पटना विद्रोह को दबाने में अहम भूमिका निभाई थी, किंतु उसकी अनेक गतिविधियाँ ऊपर के पदाधिकारियों को पसंद नहीं आईं। अति उत्साह में उसके द्वारा उठाए गए कदमों की काफी आलोचना हुई। बिना पुख्ता सबूत के लोगों को फाँसी देना, धोखे से वहाबी पंथ के तीनों मौलवियों को गिरफ्तार करना, उद्योग विद्यालय खोलने के लिए जमींदारों से जबरदस्ती चंदा वसूल करना, पटना के प्रतिष्ठित बैंकर लुत्फ अली खाँ के साथ बदसलूकी से पेश आना, मेजर आयर को आरा की तरफ कूच करने से मना करना, बगावत की आशंका से सारे यूरोपीयनों को पटना बुला लेना इत्यादि अनेक कदम टेलर ने उठाए, जिससे ऊपर के पदाधिकारी, खासकर लेफ्टिनेंट गवर्नर हैलिडे बहुत नाराज हुए। परिणामस्वरूप 5 अगस्त, 1857 को विलियम टेलर को पदमुक्त कर दिया गया।
प्रस्तुत पुस्तक ‘पटना में 1857 की बगावत’ विलियम टेलर द्वारा अपने आपको दोषमुक्त साबित करने के लिए लिखी गई थी। इसमें उसने बताया है कि कितनी विषम परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर उसने अंग्रेज कौम का भला किया और एक सच्चे अंग्रेज का फर्ज निभाया।
पटना में स्वतंत्रता के प्रथम आंदोलन का जीवंत एवं प्रामाणिक इतिहास।SKU: n/a