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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास, कहानियां
Kitni Maayen Hain Meri
माँ एक सुखद अनुभूति व कोमल भाव है, जहाँ समस्त प्रेम शुरू होते हैं और परिणति को प्राप्त होते हैं। इस भाव को शब्दों में बाँध पाना असंभव सा है। इस संकलन के केंद्र में माँ है—सृष्टि की अद्वितीय कृति! मातृत्व एक विशेष अनुभव है और माँ एक अनोखी कहानी, जिसके आदि-अंत का कोई छोर नहीं। माँ की गहराई, माँ की व्यापकता को मापना सरल नहीं है, क्योंकि माँ शब्द में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। भारतीय संस्कृति में जननी एवं जन्मभूमि दोनों को ही माँ का स्थान दिया गया है। इन दोनों के बिना देह-रचना संभव नहीं। इनको समकक्ष रखते हुए भगवान् श्रीराम के मुख से निकला—‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’
‘कितनी माँएँ हैं मेरी’ कहानी संकलन माँ के बहुआयामी रूप को साकार करने का एक प्रयास है। माँ, सौतेली माँ, बिनब्याही माँ और धाय माँ की परंपरागत परिधि से आगे बढ़कर आज के युग में माँ के कई नए रूप— फोस्टर मदर, अडॉप्टेड मदर, सरोगेट मदर, सिंगल मदर, गे मदर…आकार ले चुके हैं।
संकलन की लगभग सभी माँएँ लेखिका के संपर्क में आई हैं और उसके अनुभव का हिस्सा रही हैं। परिस्थितियों की उठा-पटक के बीच उलझे घटनाक्रम में माँ किस प्रकार अस्तित्वमान रहती है, यही बात इस संकलन की कहानियों का प्राणतत्त्व है।
विभिन्न कालखंडों और विभिन्न स्थानों से जुड़ी कुल 12 कहानियों में माँ आपके सम्मुख है। माँ के विविध रूपों को मूर्त करने की यह कोशिश कितनी सफल हुई है, इसका निर्णय पाठक के हाथों में है।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, कहानियां
Kohinoor
‘खूबसूरती से लिखी गई एक मनोरंजक दास्तान’- वायर। ‘एक पत्थर के रोमांचक सफर के ज़रिए…भारत की कहानी’-ओपन। कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है, लेकिन इस पर हमेशा ही रहस्य का एक पर्दा पड़ा रहा है। अब इसके बारे में सुनी-सुनाई बातों और मिथकों को तार-तार करते हुए विलियम डेलरिंपल और अनिता आनंद ने इसका एक सच्चा इतिहास लिखने की कोशिश की है। कोहिनूर की यह दास्तान इतनी अजीबोगरीब और हिंसक है कि इसके आगे कपोल कल्पनाएं भी फीकी पड़ जाएं। मुग़लों के तख्त-ए-ताऊस से लेकर नादिर शाह के खज़ाने तक, रणजीत सिंह की पगड़ी से लेकर रानी विक्टोरिया के ताज तक के सफ़र के बारे में, यह कोहिनूर की अब तक की बेहतरीन कहानी है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Konark
उड़िया भाषा की प्रतिभासम्पन्न लेखिका प्रतिभा राय के उड़िया उपन्यास ‘शिलापद्म’ को ‘ओड़ीसा साहित्य अकादमी पुरस्कार’-1986 प्रदान किया गया था। उसी उपन्यास का हिन्दी रूपान्तर ‘कोणार्क’ के रूप में प्रस्तुत है। यह कोई इतिहास नहीं है, यहाँ इतिहास-दृष्टि भी प्रमुख नहीं है-साहित्य दृष्टि ही इसके प्राणों में है। इस कृति में केवल पत्थरों पर तराशी गईं कलाकृतियों का मार्मिक चित्रण नहीं है। उड़िया जाति की कलाप्रियता और कलात्मक ऊँचाइयों की ओर संकेत करते हुए लेखिका ने उस कोणार्क मंदिर को चित्रित किया है जो आज भारतीय कला-कौशल, कारीगरी एवं आदर्शों का एक भग्न स्तूप है। शिल्पी कमल महाराणा और वधू चंद्रभागा के त्याग, निष्ठा, उत्सर्ग, प्रेम-प्रणय-विरह की अमरगाथा को बड़े सुन्दर ढंग से इस प्रशंसित और पुरस्कृत उपन्यास में प्रस्तुत किया गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Kranti Ka Bigul
“देश के लिए लड़ने वालों की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अब तुम जाओ। अँधेरे में ही निकल जाना तुम्हारे लिए ठीक होगा। आगे जो भी खबरें मिलें, वह बताते रहना। खुद न आना संभव हो तो किसी के द्वारा संदेश भिजवा देना। वैसे तुम्हारी बातों से तो यही लगता है कि 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिनगारी निकली है, वह धीरे धीरे ज्वाला बन गई है। मैं यह तो जानता हूँ कि क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी। नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झाँसी, तात्या टोपे, कुँवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है। तुम सँभलकर जाना।”
1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ भी माना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति की ज्वाला दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार फैलती रही। माधव छोटा था, लेकिन उसके अंदर भी देश सेवा का जज्बा था। मंगल पांडे से प्रेरित होकर वह किस तरह से इस क्रांति का हिस्सा बना, पढ़िए इस दिलचस्प उपन्यास में।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Krishna Janmabhoomi (PB)
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताKrishna Janmabhoomi (PB)
“The sole intention of the outcome of the book is do provide clearer view with regard to the position of the Krishna Janmasthan and Shahi Idgah Mosque. I have written this book so that Readers may arrive at a conclusion themselves with regard to status quo of the disputed site whether it is a Temple or a Mosque.
The book encompasses vividly the historical facts with regard to Krishna Janmabhoomi and Shahi Idgah mosque, legal position what is and what should be. It’s not only about the historical facts but then also about the Islamic law, Hindu Dharmshastras, culture & practices and above all a broader picture in the light of the Constitution of India.
Efforts have been made to keep this book as a complete package of historical, philosophical and legal treatise with a flow and language that even the layman could assimilate it.”
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